Rahul Gandhi: सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को राहत देते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट के आदेश के प्रभाव व्यापक हैं। इससे न केवल राहुल गांधी का सार्वजनिक जीवन में बने रहने का अधिकार प्रभावित हुआ, बल्कि उन्हें चुनने वाले मतदाताओं का अधिकार भी प्रभावित हुआ।
'मोदी' उपनाम टिप्पणी मामले में सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि निचली अदालत के न्यायाधीश द्वारा अधिकतम सजा देने का कोई कारण नहीं बताया गया है, अंतिम फैसला आने तक दोषसिद्धि के आदेश पर रोक लगाने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश में 'मोदी सरनेम' टिप्पणी पर आपराधिक मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सजा पर रोक लगा दी।
'मोदी' उपनाम टिप्पणी मामले में सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि कोर्ट जानना चाहता है कि अधिकतम सज़ा क्यों दी गई? अगर 1 साल 11 महीने की सजा दी होती तो वे (राहुल गांधी) अयोग्य (लोकसभा सदस्यता) नहीं ठहराए जाते। कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि आज खुशी का दिन है...मैं आज ही लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखूंगा और बात करूंगा।
उच्चतम न्यायालय ने मोदी उपनाम को लेकर की गई कथित विवादित टिप्पणी के संबंध में 2019 में दर्ज आपराधिक मानहानि मामले में राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर रोक लगाते हुए शुक्रवार को उनकी लोकसभा की सदस्यता बहाल कर दी।
न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि टिप्पणी उचित नहीं थी और सार्वजनिक जीवन में भाषण देते समय एक व्यक्ति से सावधानी बरतने की उम्मीद की जाती है।
पीठ ने कहा, “निचली अदालत के न्यायाधीश द्वारा अधिकतम सजा देने का कोई कारण नहीं बताया गया है, ऐसे में अंतिम फैसला आने तक दोषसिद्धि के आदेश पर रोक लगाने की जरूरत है।” शीर्ष अदालत गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली राहुल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
उच्च न्यायालय ने ‘मोदी उपनाम’ से जुड़े मानहानि मामले में कांग्रेस नेता की दोषसिद्धि पर रोक लगाने के अनुरोध वाली उनकी याचिका खारिज कर दी थी। गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने 13 अप्रैल 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी सभा में मोदी उपनाम के संबंध में की गई कथित विवादित टिप्पणी को लेकर राहुल के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था। राहुल ने सभा में टिप्पणी की थी कि “सभी चोरों का एक ही उपनाम मोदी कैसे हो सकता है?”