लंदन: कांग्रेस नेता राहुल गांधी हफ्ते भरे के ब्रिटेन दौर पर लगातार सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी पर हमलावर हैं। कैंब्रिज में छात्रों के साथ परिचर्चा हो या फिर अप्रवासी भारतीयों के कार्यक्रम हो, राहुल गांधी ने मौजूदा नरेंद्र मोदी सरकार की कार्यप्रणाली पर जमकर हमला किया और उसे गौर लोकतांत्रिक बताने की कोशिश की।
वहीं राहुल गांधी द्वारा विदेश में दिये जा रहे विभिन्न तरह के वक्तव्यों की भाजपा की ओर तीखी आलोचना की जा रही है और उसे विदेश धरती पर प्रधानमंत्री और सरकार को अपमानित करने की साजिश बताया जा रहा है। लेकिन राहुल गांधी भाजपा की आलोचना से इतर लगातार जुबानी हमला जारी रखे हुए हैं और इसी क्रम में उन्होंने बीते सोमवार को भाजपा की अनुषांगिक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर निशाना साधा और उसे भारत में लोकतंत्र के लिए खतरा बताया।
राहुल गांधी ने लंदन में संघ पर बेहद तल्ख आरोप लगाते हुए कहा कि मौजूदा वक्त में देखें तो भारत में लोकतांत्रिक चुनाव की प्रकृति पूरी तरह से बदल गई है और इसका कारण यह है कि आरएसएस नामक एक संगठन, जो कट्टरपंथी और फासीवादी संगठन है। उस संगठन ने मूल रूप से भारत के सभी संस्थानों पर कब्जा कर लिया है।
राहुल गांधी ने लंदन में संवाद की दिशा को आगे ले जाते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) एक गुप्त समाज है। इसे मुस्लिम ब्रदरहुड की तर्ज पर बनाया गया था और इसका विचार था कि सत्ता में आने के लिए लोकतांत्रिक विचारों का का उपयोग किया जाए और सत्ता मिलने के बाद लोकतांत्रिक प्रक्रिया को ही खत्म कर दिया जाए।
संघ पर हमलावर राहुल गांधी ने आरोपों के आखिरी कड़ी में संघ पर और गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि मुझे इस तथ्य ने चौंका दिया कि वे (संघ) हमारे देश के विभिन्न संस्थानों पर कब्जा करने में किस तरह से सफल रहे। उनके द्वारा न केवल प्रेस बल्कि न्यायपालिका, संसद और चुनाव आयोग को किसी न किसी तरह से नियंत्रित किया जा रहा है और सभी संस्थाएं खतरे में हैं।
मालूम हो कि इससे पहले बीते रविवार को राहुल गांधी ने लंदन में प्रवासी भारतीयों के साथ बातचीत में 'भारत जोड़ो यात्रा' का जिक्र करते हुए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा था और महंगाई, बेरोजगारी के साथ-साथ महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसा को लेकर केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा करने का प्रयास किया था।
राहुल गांधी ने भारत में सरकार द्वारा बोलने पर अंकुश लगाये जाने का गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था, "मुझे भारतीय राजनीति और वैश्विक राजनीति पर बात करने के लिए कैंब्रिज विश्वविद्यालय में बोलने की अनुमति दी गई। मैंने वहां कई मुद्दों पर खुलकर बात की क्योंकि वहां काफी अच्छा माहौल है। उस वक्त मैं सोच रहा था कि यह काफी अजीब है कि एक भारतीय नेता कैंब्रिज और हार्वर्ड जैसी यूनिवर्सिटी में भाषण दे सकता है, लेकिन वह भारत के किसी यूनिवर्सिटी में भाषण नहीं दे सकता है।"