तो क्या नरेंद्र मोदी सरकार ने मनमोहन सिंह सरकार से सस्ते में खरीदे हैं राफेल फाइटर प्लेन?

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: March 1, 2018 10:09 IST2018-03-01T10:09:13+5:302018-03-01T10:09:13+5:30

अधिकारियों का दावा है कि यह सौदा यूपीए सरकार ने 2007 में जो रेट तय किए थे, उससे भी कम में किया गया है। 

Rafale deal: Narendra Modi government purchased Rafael Fighter in less price than Manmohan Singh Government claimed officials | तो क्या नरेंद्र मोदी सरकार ने मनमोहन सिंह सरकार से सस्ते में खरीदे हैं राफेल फाइटर प्लेन?

तो क्या नरेंद्र मोदी सरकार ने मनमोहन सिंह सरकार से सस्ते में खरीदे हैं राफेल फाइटर प्लेन?

नरेंद्र मोदी सरकार ने साल 2016 में फ्रांस से 36 राफेल विमानों की खरीद का सौदा 59,000 करोड़ में किया था। 2019 तक इसकी आपूर्ति भी शुरू हो जाएगी। लेकिन कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियां इतने महंगे दामों में विमान खरीद पर घोटाले का आरोप लगा रही हैं। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारियों का दावा है कि यह सौदा यूपीए सरकार ने 2007 में जो रेट तय किए थे, उससे भी कम में किया गया है।

पुराने फॉर्मूले के मुताबिक 2007 में उड़ने को तैयार 18 राफेल विमानों की डील होनी थी जिसमें प्रत्येक की अनुमानित कॉस्ट 100.85 मिलियन यूरो थी। ( 2015 के यूरो एक्सचेंज रेट के मुताबिक 765 करोड़ रुपये)। 2016 में जब फ्रांस से 36 राफेल विमान खरीदे गए तो उस वक्त प्रत्येक विमान के लिए 91.7 मिलियन यूरो दिए गए (2015 के यूरो एक्सचेंज रेट के मुताबिक 696 करोड़ रुपये)। यह खर्च 2007 के मुकाबले कम है।

एक सीनियर एयरफोर्स अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि राफेल विमान पूरी तरह से मॉडर्न हैं और वायुसेना की जरूरतों को पूरा करने वाले हैं। ये 36 विमान वायुसेना के बेड़े को मजबूती देंगे। लेकिन अधिकारिक सूत्रों का यह भी कहना है कि एनडीए सरकार के अधिक राफेल विमान खरीदने की फिलहाल कोई योजना नहीं है। इस बारे में फ्रांस से अभी तक कोई बात-चीत भी नहीं शुरू की गई है। बता दें कि 2006 में 126 राफेल विमानों की खरीद होनी थी जिसमें 18 विमान उड़ने के लिए तैयार होंगे और बाकी विमानों को भारत में असेंबल किया जाएगा।

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इससे पहले कांग्रेस के आरोपों का जवाब देते हुए रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि राफेल सौदे की गोपनीयता को देश की सुरक्षा के लिए जरूरी है। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाए कि वो तथ्यों से छेड़छाड़ कर रही है। रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में जानकारी देते हुए कहा था कि 2008 में कांग्रेस सरकार में बनाई गई गोपनीयता की शर्तों का ही बीजेपी पालन कर रही है। सत्ता में रहते हुए कांग्रेस ने भी इन शर्तों का पालन किया था। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक राफेल सौदा सार्वजनिक होने से इसका असर सैन्य तैयारियों और राष्ट्रीय सुरक्षा पर इसका असर पड़ सकता है।

राहुल गांधी ने पिछले दिनों राफेल विमान सौदे पर घोटाले के आरोप लगाए थे। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सरकारी खजाने को बड़ा नुकसान होने की बात सभी को पता हैं लेकिन सरकार सत्य बताने से इनकार कर रही है। कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि अब समय आ गया है कि प्रधानमंत्री को राफेल सौदे पर कांग्रेस के सवालों का जवाब देना चाहिए।

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सरकारी बयान के मुताबिक, 'भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों की जरूरतों के लिए 2002 में जो पहल की गई थी, वह केंद्र में पिछली सरकार के 10 साल के कार्यकाल में पटरी से उतर गई। 2012 में जब मीडियम मल्टीरोल कॉम्बैट विमान की खरीद की स्थापित संस्थागत प्रक्रिया जारी थी, तब के रक्षा मंत्री ने अभूतपूर्व ढंग से पर्सनल वीटो का इस्तेमाल किया। यह सब तब हुआ, जब वायुसेना के लड़ाकू विमानों की संख्या में चिंताजनक कमी आ रही थी।'

Web Title: Rafale deal: Narendra Modi government purchased Rafael Fighter in less price than Manmohan Singh Government claimed officials

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