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'प्रोजेक्ट चीता' मनमोहन सरकार की देन, 2008-09 में तैयार हुआ प्रस्ताव, चीता आयात पर बोली कांग्रेस- पीएम मोदी ने बेवजह तमाशा खड़ा किया

By अनिल शर्मा | Updated: September 17, 2022 14:07 IST

मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों को छोड़ने के दौरान पीएम मोदी अपने पेशेवर कैमरे से चीतों की कुछ तस्वीरें भी खींचते हुए दिखाई दिए। भारत में चीतों को विलुप्त घोषित किए जाने के सात दशक बाद उन्हें देश में फिर से बसाने की परियोजना के तहत नामीबिया से आठ चीते शनिवार सुबह कुनो राष्ट्रीय उद्यान पहुंचे।

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ठळक मुद्देकांग्रेस ने कहा, ये राष्ट्रीय मुद्दों को दबाने और भारत जोड़ो यात्रा से ध्यान भटकाने का प्रयास है।कांग्रेस ने कहा- अप्रैल 2010 में तत्कालीन वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश अफ्रीका के चीता आउट रीच सेंटर गए। 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने प्रोजेक्ट पर रोक लगाई, 2020 में रोक हटी। अब चीते आएंगे।

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में नामीबिया से लाए गए चीतों को एक विशेष बाड़े में छोड़ दिया। इस मौके पर कांग्रेस का कहना है कि पीएम मोदी ने बेवजह तमाशा खड़ा किया। ये राष्ट्रीय मुद्दों को दबाने और भारत जोड़ो यात्रा से ध्यान भटकाने का प्रयास है।

कांग्रेस ने कहा कि 'प्रोजेक्ट चीता' का प्रस्ताव 2008-09 में तैयार हुआ। मनमोहन सिंह जी की सरकार ने इसे स्वीकृति दी। अप्रैल 2010 में तत्कालीन वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश अफ्रीका के चीता आउट रीच सेंटर गए। 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने प्रोजेक्ट पर रोक लगाई, 2020 में रोक हटी। अब चीते आएंगे।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मोदी सरकार द्वारा चीतों के आयात पर कहा कि पीएम शासन में निरंतरता को शायद ही कभी स्वीकार करते हैं। चीता प्रोजेक्ट के लिए 25.04.2010 को केपटाउन की मेरी यात्रा का जिक्र तक न होना इसका ताजा उदाहरण है।  जयराम रमेश ने कहा, आज पीएम ने बेवजह का तमाशा खड़ा किया। ये राष्ट्रीय मुद्दों को दबाने और भारत जोड़ो यात्रा से ध्यान भटकाने का प्रयास है।

मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों को छोड़ने के दौरान पीएम मोदी अपने पेशेवर कैमरे से चीतों की कुछ तस्वीरें भी खींचते हुए दिखाई दिए। भारत में चीतों को विलुप्त घोषित किए जाने के सात दशक बाद उन्हें देश में फिर से बसाने की परियोजना के तहत नामीबिया से आठ चीते शनिवार सुबह कुनो राष्ट्रीय उद्यान पहुंचे। पहले इन्हें विशेष विमान से ग्वालियर हवाई अड्डे और फिर हेलीकॉप्टरों से श्योपुर जिले में स्थित केएनपी लाया गया।

जयराम रमेश ने कहा कि 2009-11 के दौरान जब बाघों को पहली बार पन्ना और सरिस्का में स्थानांतरित किया गया तब कई लोग आशंकाएं व्यक्त कर रहे थे।वे गलत साबित हुए। चीता प्रोजेक्ट पर भी उसी तरह की भविष्यवाणीयां की जा रही हैं। इसमें शामिल प्रोफेशनल्स बहुत अच्छे हैं। मैं इस प्रोजेक्ट के लिए शुभकामनाएं देता हूं!

 

 

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