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प्रदीप सांगवान के हिमालय से प्लास्टिक अपशिष्ट हटाने के अभियान की प्रधानमंत्री ने प्रशंसा की

By भाषा | Updated: December 27, 2020 18:41 IST

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चंडीगढ़, 27 दिसंबर हिमालय के विभिन्न क्षेत्रों से प्लास्टिक अपशिष्ट हटाने का अभियान चला रहे हरियाणी युवक प्रदीप सांगवान की रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रशंसा की।

हिमाचल प्रदेश में रह रहे गुड़गांव के 35 वर्षीय पर्वतारोही सांगवान ने चार साल पहले ‘हीलिंग हिमालयाज फाउंडेशन’ की स्थापना की थी। स्वयंसेवकों की टीम के साथ सांगवान टनों प्लास्टिक और अन्य अपशिष्टों की सफाई करते हैं, जो पर्यटक हर साल अपने पीछे छोड़ जाते हैं।

इस साल के आखिरी ‘मन की बात’ प्रसारण में मोदी ने नये साल के संकल्पों की चर्चा करते हुए कहा कि कुछ ऐसे लोग हैं जो लगातार कुछ नया करते रहते हैं और नये संकल्पों को साकार करते रहते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘आपने अपने जीवन में अवश्य ही अनुभव किया होगा कि जब आप समाज के लिए कुछ करते हैं तो समाज अपने आप आपको कुछ और करने के लिए ऊर्जा देतेा है। प्रेरणा के आम स्रोत से भी बड़े कार्य पूरे हो सकते हैं। एक ऐसा ही युवा व्यक्ति प्रदीप सांगवान हैं।’’

उन्होंने कहा कि सांगवान 2016 से ‘हीलिंग हिमालयाज’ अभियान चला रहे हैं और उसके तहत वह अपनी टीम के साथ हिमालय के विभिन्न क्षेत्रों में जाते हैं और पर्यटकों द्वारा छोड़े गये कचरे की सफाई करते हैं।

मोदी ने उनकी तारीफ करते हुए कहा, ‘‘अब तक प्रदीप ने हिमालय के विभिन्न क्षेत्रों से टनों प्लास्टिक अपशिष्ट साफ किया है।’’

सांगवान ने बाद में ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘यह बहुत प्रेरणादायी है कि प्रधानमंत्री मुझ जैसे लोगों के छोटे प्रयासों को सम्मान देते हैं। मैं इस कार्य की ओर राष्ट्र का ध्यान खींचने के लिए उन्हें धन्यवाद देता हूं जो हम हमारे पर्यावरण की रक्षा के लिए कर रहे हैं।’’

अपने अभियान की शुरुआत की बातें साझा करते हुए सांगवान ने कहा कि उनके पिता सेना में थे और चाहते थे कि वह भी सैन्य अधकारी बनें लेकिन वह सेना में शामिल होने से जुड़ा साक्षात्कार नहीं उत्तीर्ण कर पाये।

उन्होंने बताया कि चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज से स्नातक करने के दौरान वह हिमाचल प्रदेश के कुछ दोस्तों के संपर्क में आये जिनके साथ वह 2007-08 में हिमालय की यात्रा करने लगे।

सांगवान ने बताया, ‘‘ मैं 2009 में हिमाचल चला गया जहां अगले पांच सालों तक खूब यात्राएं और ट्रेकिंग आदि कीं। लाहौल स्पीति में मैं जब चंद्रताल झील से सूरत ताल झील तक ट्रेकिंग कर रहा था तब गड्डी (गड़ेरिये) समुदाय के लोगों से मिला ।’’

उन्होंने बताया कि वह और उनके दोस्त ने इस समुदाय के साथ तीन-चार दिन गुजारे और वह इस बात से बड़ा प्रभावित हुए कि वे पर्यावरण की कितनी फिक्र करते हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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