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शिक्षा गुणवत्ता में सुधार के लिए राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच के गठन की तैयारी

By भाषा | Updated: September 22, 2021 18:40 IST

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दीपक रंजन

नयी दिल्ली, 22 सितंबर सरकार स्कूली एवं उच्चतर शिक्षा के स्तर पर प्रौद्योगिकी के उपयोग के जरिये शिक्षा के गुणवत्ता में सुधार एवं विचारों के मुक्त आदान-प्रदान के उद्देश्य से मंच प्रदान करने के लिए एक स्वायत्त निकाय के रूप में ‘‘राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच’’ गठित करने की तैयारी कर रही है।

सूत्रों ने बताया, ‘‘ स्वायत्त निकाय के रूप में राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच (एनईटीएफ) के गठन एवं इससे जुड़े विविध आयामों को अंतिम रूप देने के लिए शिक्षा मंत्रालय ने एक कार्यान्वयन समिति का गठन किया है।’’

इस समिति के अध्यक्ष इंफोसिस के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी शिबू लाल हैं। इसके सदस्य सचिव राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) के महानिदेशक विनीत जोशी हैं। समिति के अन्य सदस्यों में शिक्षा मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव संतोष सारंगी तथा आईआईटी कानपुर के निदेशक अभय कारंदीकर शामिल हैं ।

उन्होंने बताया कि इस समिति की अगस्त के अंतिम सप्ताह में एक बैठक हुई जिसमें शिक्षा, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री ने हिस्सा लिया ।

सूत्रों ने बताया कि आज (22 सितंबर) डिजिटल शिक्षा के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सार्वभौम बनाने के विषय पर शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान की अध्यक्षता में हुई बैठक के दौरान भी एनईटीएफ के विषय पर चर्चा हुई ।

मंत्री ने प्रद्योगिकी के उपयोग के जरिये विचारों के मुक्त आदान-प्रदान के लिये मंच प्रदान करने की जरूरत पर बल दिया ।

नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में एनईटीएफ का गठन करने की सिफारिश की गई है। सरकार साल 2022 तक इस प्रौद्योगिकी नीत मंच को शुरू करना चाहती है। इस विषय पर शिक्षा मंत्रालय ने राज्यों के संबंधित विभागों एवं स्कूली बोर्ड के साथ चर्चा की है ।

वहीं, शिक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि आमतौर पर यह देखा गया है कि स्कूलों में प्रौद्योगिकी से जुड़े विषय पर पठन-पाठन कम्प्यूटर शिक्षा तक ही सीमित रहता है, अब इसमें नये प्रौद्योगिकी क्षेत्र जैसे कोडिंग, कृत्रिम बुद्धिमता, मशीन लर्निंग, ब्लाक चेन (ब्लाक श्रृंखला), स्मार्ट बोर्ड, एडेप्टिव कम्प्यूटर टेस्टिंग एवं अन्य साफ्टवेयर आदि को जोड़ा जा रहा है ।

उन्होंने कहा कि ऐसे में यह ध्यान रखा जायेगा कि छात्र क्या सीखता है और कैसे सीखता है।

शिक्षा मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, शैक्षणिक प्रौद्योगिकी के कारण परिवर्तनों के मद्देनजर इन क्षेत्रों में प्रासंगिक बने रहने के लिए प्रस्तावित एनईटीएफ विभिन्न स्रोतों से प्राप्त प्रामाणिक आंकड़ों का नियमित प्रवाह बनाये रखेगा तथा शोधार्थियों के विविध वर्गो के साथ मिलकर इन आंकड़ों का विश्लेषण करेगा ।

इसके साथ ही एनईटीएफ अंतरराष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी शोधकर्ताओं, उद्यमियों एवं प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों के विचारों से लाभ प्राप्त करने के लिए क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय कार्यशालाओं का आयोजन करेगा । सभी स्तरों पर शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के लिए भारतीय भाषाओं में शैक्षणिक साफ्टवेयर विकसित किये जायेंगे । साथ ही प्रौद्योगिकी आधारित शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने पर जोर दिया जायेगा।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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