India-US strategic partnership: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीअमेरिका दौरे पर हैं। उन्होंने शनिवार को डेलावेयर में क्वाड शिखर सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति जो बिडेन से मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच भारत-अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाने पर भी चर्चा हुई। दोनों नेताओं के बीच वार्ता के बाद जारी पत्रक में, बिडेन ने 31 जनरल एटॉमिक्स MQ-9B ड्रोन की खरीद का स्वागत किया।
MQ-9B ड्रोन भारत की निगरानी और टोही (ISR) क्षमताओं को बढ़ाने में मदद करेगा। इसे भारतीय सेनाएं लंबे समय से अपने बेड़े में शामिल करना चाहती हैं। संयुक्त तथ्य पत्रक में लिखा है, "राष्ट्रपति बिडेन ने भारत द्वारा 31 जनरल एटॉमिक्स MQ-9B (16 स्काई गार्जियन और 15 सी गार्जियन) दूर से संचालित विमानों और उनके संबंधित उपकरणों की खरीद को पूरा करने की दिशा में प्रगति का स्वागत किया, जो सभी क्षेत्रों में भारत के सशस्त्र बलों की खुफिया, निगरानी और टोही (ISR) क्षमताओं को बढ़ाएगा।"
MQ-9B ड्रोन क्या है, कितनी है इसकी ताकत?
इस साल फरवरी में संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारतीय सेना को 31 MQ-9B ड्रोन बेचने की मंजूरी दी थी। इस सौदे की अनुमानित कीमत 3.99 बिलियन अमेरिकी डॉलर है। इस सौदे के तहत, भारतीय नौसेना को 15 सी गार्जियन ड्रोन मिलेंगे, जबकि भारतीय वायु सेना और सेना को आठ-आठ स्काई गार्जियन ड्रोन मिलेंगे।
MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन को दुनिया का सबसे घातक हथियार माना जाता है। यह बिना किसी रडार की नजर में आए उड़कर चुपके से काम करने की क्षमता के लिए जाना जाता है। यह ड्रोन 50,000 फीट की ऊँचाई पर उड़ सकता है, जिसकी अधिकतम गति 442 किमी/घंटा है। यह चार मिसाइलों और 450 किलोग्राम बमों सहित लगभग 1,700 किलोग्राम का पेलोड ले जा सकता है और बिना ईंधन भरे 2,000 मील की यात्रा कर सकता है। यह ड्रोन लगातार उड़ सकता है या 35 घंटे तक लक्ष्य के ऊपर मंडरा सकता है।
चीन को सख्त संदेश
क्वाड नेताओं की बैठक के बाद संयुक्त रूप से जारी एक घोषणा पत्र में कहा गया कि चार देशों का यह समूह अच्छे मकसद से बनाया गया है और रणनीतिक रूप से पहले से कहीं अधिक एकजुट है। बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज और जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने भाग लिया।
क्वाड की चौथी बैठक के बाद जारी विलमिंगटन घोषणापत्र में चीन का बिना नाम लिए उसे सख्त संदेश भी दिया गया। घोषणापत्र में कहा गया कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चार प्रमुख समुद्री लोकतांत्रिक देशों के रूप में हम इस गतिशील क्षेत्र में उस शांति और स्थिरता को बनाए रखने के लिए स्पष्ट रूप से खड़े हैं जो वैश्विक सुरक्षा एवं समृद्धि के लिए अनिवार्य है। चीन का परोक्ष रूप से जिक्र करते हुए कहा गया कि समूह किसी भी ऐसी अस्थिरकारी या एकतरफा कार्रवाई का दृढ़ता से विरोध करता है, जो बल या दबाव के जरिए यथास्थिति को बदलने की कोशिश करती है। चीन का दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में कई देशों से विवाद है। वह पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपनी संप्रभुता का दावा करता है। दूसरी ओर, वियतनाम, मलेशिया, फिलीपीन, ब्रुनेई और ताइवान भी इस क्षेत्र पर अपने-अपने दावे करते हैं।
घोषणापत्र में कहा गया है कि हम क्षेत्र में हाल में किए गए उन अवैध मिसाइल प्रक्षेपणों की निंदा करते हैं जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन करते हैं। हम समुद्री क्षेत्र में हाल में की गई खतरनाक और आक्रामक कार्रवाइयों पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हैं। हम एक ऐसा क्षेत्र चाहते हैं, जहां कोई भी देश किसी भी देश पर हावी न हो, जहां सभी देश दबाव से मुक्त हों और अपने भविष्य को निर्धारित करने के अपने अधिकार का इस्तेमाल कर सकें।