नई दिल्ली, 27 मईः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन और खुली जीप में रोडशो किया। इस दौरान उनके साथ दूसरी गाड़ी में सड़क परिवहन, राजमार्ग और पोत परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी मौजूद थे। इसके बाद पीएम मोदी आज 11,000 करोड़ रुपये की लागत से तैयार देश के पहले स्मार्ट और हरित ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे (ईपीई) का उद्घाटन करेंगे। यह एक्सप्रेस-वे 135 किलोमीटर लंबा है। साथ ही साथ यह देश का पहला एक्सप्रेस-वे होगा जो सौर बिजली से सड़कें रोशनी फैलाएगा।
सरकार द्वारा जारी इस परियोजना के एक विज्ञापन के अनुसार दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के पहले चरण में 14 लेन के राजमार्ग पर नौ किलोमीटर मार्ग के निर्माण पर 842 करोड़ रुपये की लागत आई है। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर दिल्ली से डासना के बीच करीब 28 किलोमीटर मार्ग पर एक साइकिल ट्रैक बनाया गया है।
इस एक्सप्रेसवे की वजह से दिल्ली से मेरठ की यात्रा का समय घटकर 45 मिनट रह जाएगा। अभी इसमें करीब ढाई घंटे का समय लगता है। इस परियोजना की पूरी लंबाई 82 किलोमीटर है। इसमें से 27.74 किलोमीटर हिस्सा 14 लेन का होगा, जबकि शेष एक्सप्रेसवे छह लेन का होगा। इस एक्सप्रेसवे से दिल्ली-मेरठ रोड पर 31 ट्रैफिक सिग्नल हट जाएंगे। यह सिग्लन या लालबत्ती मुक्त क्षेत्र हो जाएगा। यह इस इलाके का सबसे व्यस्त मार्ग है। मोदी ने दिसंबर, 2015 में दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे की आधारशिला रखी थी। इसके निर्माण की लागत 7,566 करोड़ रुपये थी। वहीं, सड़क परिवहन, राजमार्ग और पोत परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को ट्वीट कर कहा, 'ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे देश का पहिला स्मार्ट वे है, जो रेकॉर्ड टाइम में पूरा हुआ है, यह हमारी इंजीनियरिंग का नमूना है। मैं हमारी पूरी टीम को बधाई देता हूं।'
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को कहा था, 'प्रधानमंत्री दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे पर छह किलोमीटर खुले जीप पर यात्रा करेंगे। प्रधानमंत्री वहां प्रदर्शनी तथा 3 डी मॉडल का उद्घाटन करेंगे और वहां से ईपीई राष्ट्र को समर्पित करने के लिये बागपत जाएंगे।'
ईपीई पर प्रत्येक 500 मीटर पर दोनों तरफ वर्षा जल संचयन की व्यवस्था होगी। साथ ही इसमें 36 राष्ट्रीय स्मारकों को प्रदर्शित किया जाएगा तथा 40 झरने होंगे। इसे रिकॉर्ड 500 दिनों में पूरा किया गया है। इस एक्सप्रेस वे पर 8 सौर संयंत्र हैं जिनकी क्षमता 4 मेगावाट है। प्रधानमंत्री ने इस परियोजना के लिये आधारशिला पांच नवंबर 2015 को रखी थी।