वाराणसी: काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में 37 किलो सोने की मढ़ाई देखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आश्चर्यचकित रह गये। बीते रविवार को संसदीय क्षेत्र वाराणसी में चुनावी दौरे पर पहुंचे पीएम मोदी ने संपूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी में भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। उसके बाद प्रधानमंत्री लहुराबीर, चेतगंज, नई सड़क से होते हुए सीधे बाबा विश्वनाथ के मंदिर में पहुंचे।
द्वादश ज्योतिर्लिगों में से एक श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचे, वो गर्भगृह की स्वर्ण आभा को देखकर हैरत में पड़ गये। प्रधानमंत्री ने इसे अद्भुत और अकल्पनीय कहते हुए काफी प्रशांसा की। मंदिर का गर्भगृह नीचे से ऊपर तक सोने से चमक रहा था।
वैदिक पद्धति से बाबा विश्वनाथ का दर्शन-पूजन करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गर्भगृह से बाहर निकले और विश्वनाथ परिसर के अंदर चारों ओर लग रहे स्वर्ण कार्यों का जायजा भी लिया। इसके बाद पीएम मोदी ने कहा मंदिर की दीवारों पर उकेरी गई देवी-देवताओं की आकृतियां स्वर्णमंडन के बाद और भी आकर्षक लग रही है और गर्भगृह के स्वर्ण मंडन के बाद उसकी आभा दिव्य रूप से प्रकाशवान हो रही है।
इस संबंध में मंदिर प्रशासन ने पीएम मोदी को जानकारी दी कि काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भ गृह में अब तक 37 किलो सोना मढ़ाया जा चुका है और अभी 23 किलो सोना लगाया जाना शेष है। मंदिर में स्वर्ण मढ़ाई के काम के लिए गुजरात के स्वर्णकारों और विशेषज्ञों की स्पेशल टीम बुलाई गई है।
मंदिर के गर्भगृह में सोना मढ़ने के बाद पीली रोशनी लगाई गई है, जिससे बाबा विश्वानथ के गर्भ गृह का वातावरण दिव्य सम्मोहक लग रहा है। मंदिर प्रशासन ने बताया कि मंगलवार को महाशिवरात्रि से पहले बाबा विश्वनाथ के गर्भगृह को स्वर्ण मंडित होने का कार्य लगभग-लगभग पूरा हो चुका है।
बताया जा रहा है कि काशी विश्वनाथ धाम के नव लोकार्पण के वक्त ही एक भक्त ने मंदिर के गर्भगृह और अन्य हिस्सों को स्वर्णजड़ित कराने की इच्छा मंदिर प्रशासन से जतायी थी। जिसे मंदिर प्रशासन ने सहर्ष मान लिया और उसके बाद करीब महीने भर मंदिर में सोना लगाने के लिए माप और सांचा की तैयारी का काम चला और उसके बाद बीते शुक्रवार को गर्भ गृह में सोना लगाने का काम शुरू हुआ।
मालूम हो कि काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण महारानी अहिल्या बाई होल्कर ने साल 1780 में कराया था और बाद में पंजाब के महाराजा रंजीत सिंह ने विश्वनाथ मंदिर के दो शिखरों को स्वर्णमंडित कराया था। कहा जाता है कि उस वक्त मंदिर के शिखर पर साढ़े 22 मन सोना लगाया गया था।