जम्मू कश्मीर को लेकर बोले पीएम मोदी, जमीनी स्तर पर लोकतंत्र मजबूत करना प्राथमिकता, युवाओं को दें नेतृत्व, जानिए किसने क्या कहा
By अभिषेक पारीक | Updated: June 24, 2021 21:48 IST2021-06-24T21:00:24+5:302021-06-24T21:48:22+5:30
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू कश्मीर के नेताओं के साथ गुरुवार को बैठक की। सौहार्दपूर्ण वातावरण में हुई बैठक के बाद पीएम मोदी ने इसे लेकर अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से ट्वीट किए हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू कश्मीर के नेताओं के साथ मुलाकात की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू कश्मीर के नेताओं के साथ गुरुवार को बैठक की। सौहार्दपूर्ण वातावरण में हुई बैठक के बाद पीएम मोदी ने इसे लेकर अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से ट्वीट किए हैं। जिनमें उन्होंने लिखा है कि हमारी प्राथमिकता जमीनी स्तर पर जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र को मजबूत करना है। साथ ही उन्होंने जम्मू कश्मीर के नेताओं से कहा कि युवाओं को राजनीतिक नेतृत्व देना है और यह सुनिश्चित करना है कि उनकी आकांक्षाएं पूरी हो।
पीएम मोदी ने जम्मू कश्मीर को लेकर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में आठ दलों के 14 नेताओं को आमंत्रित किया गया था। बैठक के बाद पीएम मोदी ने एक ट्वीट किया है। जिसमें उन्होंने लिखा, 'हमारे लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत एक मेज पर बैठने और विचारों का आदान-प्रदान करने की क्षमता है। मैंने जम्मू कश्मीर के नेताओं से कहा कि लोगों खासकर युवाओं को जम्मू कश्मीर की राजनीति में नेतृत्व देना है और यह सुनिश्चित करना है कि उनकी आकांक्षाएं पूरी हों।'
Our democracy’s biggest strength is the ability to sit across a table and exchange views. I told the leaders of J&K that it is the people, specially the youth who have to provide political leadership to J&K, and ensure their aspirations are duly fulfilled. pic.twitter.com/t743b0Su4L
— Narendra Modi (@narendramodi) June 24, 2021
एक अन्य ट्वीट में पीएम मोदी ने लिखा, 'जम्मू कश्मीर में हमारी प्राथमिकता जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करना है। परिसीमन तेज गति से होना चाहिए ताकि चुनाव कराए जा सकें और जम्मू कश्मीर को एक चुनी हुई सरकार मिले जो जम्मू कश्मीर के विकास पथ को ताकत दे।'
Our priority is to strengthen grassroots democracy in J&K. Delimitation has to happen at a quick pace so that polls can happen and J&K gets an elected Government that gives strength to J&K’s development trajectory. pic.twitter.com/AEyVGQ1NGy
— Narendra Modi (@narendramodi) June 24, 2021
उन्होंने अपने एक अन्य ट्वीट में लिखा, 'जम्मू कश्मीर के राजनीतिक नेताओं के साथ आज की बैठक एक विकसित और प्रगतिशील जम्मू कश्मीर की दिशा में चल रहे प्रयासों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जहां सभी क्षेत्रों में विकास को आगे बढ़ाया गया है।'
Today’s meeting with political leaders from Jammu and Kashmir is an important step in the ongoing efforts towards a developed and progressive J&K, where all-round growth is furthered. pic.twitter.com/SjwvSv3HIp
— Narendra Modi (@narendramodi) June 24, 2021
विश्वास कायम करने के लिए राज्य का दर्जा बहाल करना जरूरी : फारूक
नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने बैठक के दौरान पीएम मोदी से अपील की कि जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल कर विश्वास कायम करने की दिशा में काम किया जाए। अब्दुल्ला ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को प्राप्त विशेष दर्जे को समाप्त किए जाने को वह कानूनी एवं संवैधानिक माध्यम से चुनौती देते रहेंगे। लोकसभा सदस्य अब्दुल्ला ने कहा, 'विश्वास खत्म हो गया है और उसे तुरंत बहाल करने की जरूरत है और उसके लिए केंद्र को जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य के दर्जे की बहाली की दिशा में काम करना चाहिए।' करीब तीन घंटे चली बैठक के बाद उन्होंने कहा, 'मैंने प्रधानमंत्री से कहा कि राज्य के दर्जे का मतलब है कि जम्मू-कश्मीर के आईएएस और आईपीएस कैडर को भी वापस करना। पूर्ण राज्य होना चाहिए।' नेशनल कांफ्रेंस के नेता ने कहा कि केंद्र के लिए यह महत्वपूर्ण है कि जम्मू-कश्मीर की पहचान जल्द बहाल करे ताकि अन्य लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को आगे बढ़ाया जा सके।
परिसीमन की प्रक्रिया, शांतिपूर्ण चुनाव पूर्ण राज्य की बहाली में मील के पत्थरः शाह
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि परिसीमन की प्रक्रिया और शांतिपूर्ण चुनाव जम्मू-कश्मीर में पूर्ण राज्य की बहाली के प्रमुख मील के पत्थर हैं। उनका यह बयान जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई सर्वदलीय बैठक के बाद आया। उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'जम्मू-कश्मीर पर आज की बैठक बहुत ही सौहार्दपूर्ण वातावरण में हुई। सभी ने संविधान और लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता जाहिर की। जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने पर जोर दिया गया। हम जम्मू-कश्मीर के सर्वांगीण विकास को लेकर कटिबद्ध हैं।' एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, 'जम्मू-कश्मीर के भविष्य को लेकर चर्चा हुई और परिसीमन की प्रक्रिया तथा शांतिपूर्ण चुनाव राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए अहम मील के पत्थर हैं, जैसा कि संसद में वादा किया गया था।'
चुनाव कराने का इससे अनुकूल समय नहीं हो सकता : आजाद
आजाद ने बैठक के बाद अपने आवास पर पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 निरस्त करने के दौरान केंद्र की ओर से आश्वासन दिया गया था कि उपयुक्त समय पर जम्मू-कश्मीर के राज्य के दर्जे को बहाल कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा, 'हमने कहा कि अब समय आ गया है कि कि पूर्ण राज्य के दर्जे को बहाल किया जाए। अभी शांति भी है और चुनाव कराने का इससे अनुकूल समय नहीं हो सकता।' उन्होंने कहा कि सरकार लोकतंत्र को मजबूत कराने की बात करती है तो उसे राज्य में तुरंत विधानसभा चुनाव कराना चाहिए। आजाद ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि केंद्र सरकार राज्य का दर्जा बहाल करने और चुनाव कराने को लेकर वचनबद्ध है लेकिन उससे पहले परिसीमन की प्रक्रिया समाप्त होना जरूरी है।
पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने, विधानसभा चुनाव कराने की मांग
पूर्व उपमुख्यमंत्री व भाजपा नेता कविंद्र गुप्ता ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री ने सभी राजनीतिक दलों को विश्वास दिलाया कि परिसीमन की प्रक्रिया समाप्त होते ही पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने और विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया आरंभ की जाएगी। पीपुल्स कांफ्रेंस के नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री मुजफ्फर हुसैन बेग ने भी कहा कि केंद्र की ओर से बैठक में आश्वासन दिया गया कि परिसीमन की प्रक्रिया खत्म होते ही चुनाव की प्रक्रिया आरंभ की जाएगी। उन्होंने कहा, 'अधिकांश राजनीतिक दलों ने बैठक में पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने और विधानसभा चुनाव कराने की मांग उठाई।'
पीएम मोदी ने 14 नेताओं के साथ बैठक की
गौरतलब है कि पिछले लगभग दो सालों में पहली बार जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक नेतृत्व के साथ वार्ता का हाथ बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस केंद्रशासित प्रदेश के भविष्य की रणनीति का खाका तैयार करने के लिए गुरुवार को को वहां के 14 नेताओं के साथ एक अहम बैठक की। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधान हटाए जाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित किए जाने के बाद यह पहली ऐसी बैठक है जिसकी अध्यक्षता खुद प्रधानमंत्री मोदी ने की।