नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार, 10 मार्च को विज्ञान भवन में आपदा जोखिम न्यूनीकरण राष्ट्रीय मंच (NPDRR) के तीसरे सत्र का उद्घाटन किया। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने तकनीक को आज की जरूरत के हिसाब से विकसित करने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि हाल ही में तुर्की और सीरीया में आगे भूकंप के बाद भारतीय दल के प्रयासों को पूरी दुनिया ने सराहा है। पीएम ने कहा कि प्राकृतिक आपदाएं रोकी नहीं जा सकती लेकिन तकनीक के इस्तेमाल से नुकसान कम किया जा सकता है।
पीएम मोदी ने कहा, "भारत में आपदा प्रबंधन से जुड़ी व्यवस्था हमेशा स्थानीय रही है, समाधान और रणनीति भी स्थानीय रही है। सामग्री हो या फिर निर्माण तकनीक, इसको हमें आज की जरूरत और आज की तकनीक से समृद्ध करना है। राहत और बचाव से जुड़े मानव संसाधन और तकनीकी क्षमता को भारत ने जिस तरह बढ़ाया है, उससे देशभर में भी अलग-अलग आपदा के समय बहुत सारे लोगों के जीवन बचाने में मदद मिली है।"
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, "ओडिशा स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट ऑथोरिटी विभिन्न आपदाओं के दौरान बेहतरीन काम करती रही है। मिजोरम के लुंगलेई फायर स्टेशन ने जंगल में लगी आग को बुझाने के लिए अथक परिश्रम किया। मैं इन संस्थानों में काम करने वाले सभी साथियों को बधाई देता हूं। हाल में तुर्की और सीरिया में भारतीय दल के प्रयासों को पूरी दुनिया ने सराहा है। ये बात हर भारतीयों के लिए गौरव का विषय है।"
प्रधानमंत्री ने आपदा नियंत्रण को और ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए कुछ उपाय भी सुझाए। उन्होंने कहा, "हमें आपदा प्रबंधन को ध्यान में रखते हुए नई गाइडलाइन बनानी होगी। सके लिए हमें दो स्तर पर काम करना होगा। डिजास्टर मैनेजमेंट एक्सपर्ट्स को लोकल पार्टिसिपेशन पर सबसे ज्यादा ध्यान देना चाहिए। हमें आपदाओं से जुड़ें खतरों से लोगों को जागरूक करना होगा।"
बता दें कि कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री ने सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार के विजेताओं को सम्मानित भी किया।