पीएम मोदी ने ईरानी राष्ट्रपति से चाबहार बंदरगाह पर चर्चा की,दक्षिण अफ्रीका में मुलाकात भी करेंगे
By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: August 18, 2023 09:34 PM2023-08-18T21:34:50+5:302023-08-18T21:36:07+5:30
भारत ने ईरान के चाबहार बंदरगाह को यूरोपीय देशों में शिपमेंट को पहुंचाने के लिए विकसित किया था। हालांकि ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण भारत को कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ा है। इस बंदरगाह का सामरिक महत्व भी है।
नई दिल्ली : प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार, 18 अगस्त को ईरानी राष्ट्रपति सैय्यद इब्राहिम रायसी के साथ बातचीत की और द्विपक्षीय और क्षेत्रीय महत्व के मामलों पर चर्चा की। दोनों नेताओं ने कनेक्टिविटी हब के रूप में चाबहार बंदरगाह को पूरी क्षमता के साथ शुरू करने सहित द्विपक्षीय सहयोग को और मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
पीएम मोदी और सैय्यद इब्राहिम रायसी की बातचीत के बाद प्रधान मंत्री कार्यालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि पीएम मोदी और ईरानी राष्ट्रपति रायसी ने ब्रिक्स के विस्तार समेत बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग पर चर्चा की। दोनों नेता 22-24 अगस्त तक दक्षिण अफ्रीका में होने वाले आगामी ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर अपनी मुलाकात के लिए उत्सुक हैं। दोनों नेताओं की बात टेलीफोन के माध्यम से हुई और इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि ईरान और भारत के बीच संबंध करीबी ऐतिहासिक और सभ्यतागत संबंधों पर आधारित हैं।
प्रधान मंत्री कार्यालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, "प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत-ईरान संबंध करीबी ऐतिहासिक और सभ्यतागत संबंधों पर आधारित है, जिसमें लोगों के बीच मजबूत संपर्क भी शामिल है।" इससे पहले जुलाई में, पीएम मोदी ने एससीओ शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता की थी और कहा था कि ईरान संगठन के नए सदस्य के रूप में शामिल होने जा रहा है। पीएम मोदी ने बेलारूस की एससीओ सदस्यता के लिए दायित्व ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने का भी स्वागत किया।
बता दें कि चाबहार बंदरगाह दक्षिण-पूर्वी ईरान में ओमान की खाड़ी में स्थित है। यह मध्य-एशियाई देशों के साथ भारत, ईरान और अफगानिस्तान के व्यापार के लिये सुनहरे अवसरों के प्रवेश द्वार के रूप में देखा जाता है । भारतीय फर्म ‘इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड’ ने इसके एक भाग शाहिद बेहेश्ती बंदरगाह पर परिचालन कार्य संभालती है।
भारत ने ईरान के चाबहार बंदरगाह को यूरोपीय देशों में शिपमेंट को पहुंचाने के लिए विकसित किया था। हालांकि ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण भारत को कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ा है। भारत को चाबहार बंदरगाह के विकास में लगाई गई पूंजी को निकालने में काफी परेशानी हो रही है। चाबहार भारत के लिए एक महत्वपूर्ण परियोजना है। यही कारण है कि घाटे के बावजूद भी भारत सरकार इस परियोजना से हाथ नहीं खींचना चाहती। इस बंदरगाह का सामरिक महत्व भी है। चीन पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को विकसित कर रहा है। चाबहार मध्य-पूर्व में चीन को एक जवाब भी है।