तिआनजिनः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जापान की दो दिवसीय यात्रा पूरी करने के बाद शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए शनिवार को चीन पहुंच गए। चीन के तिआनजिन शहर में पीएम मोदी का भव्य स्वागत किया गया। बच्चों ने भरतनाट्यम पेश किया। प्रधानमंत्री मोदी एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए दो दिवसीय यात्रा पर चीन के तिआनजिन पहुंचे। मोदी की जापान यात्रा के दौरान, भारत और जापान ने 13 प्रमुख समझौतों एवं घोषणाओं को अंतिम रूप दिया तथा कई परिवर्तनकारी पहलों की शुरुआत की घोषणा की।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चीन की दो दिवसीय यात्रा पर शनिवार को तियानजिन पहुंचे। सात साल से अधिक समय के बाद चीन की उनकी यह पहली यात्रा है, जो ऐसे समय में हो रही है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति को लेकर भारत और अमेरिका के संबंधों में अचानक गिरावट आई है।
मोदी मुख्य रूप से शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के 31 अगस्त और एक सितंबर को आयोजित होने वाले वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए चीन में हैं। हालांकि, उनके रविवार को चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ द्विपक्षीय बैठक करने का भी कार्यक्रम है।
मोदी और चिनफिंग की बैठक इसलिए अहम मानी जा रही है, क्योंकि भारत और चीन ट्रंप की टैरिफ नीति से वैश्विक व्यापार में उपजे तनाव के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर विचार कर रहे हैं। बैठक में मोदी और चिनफिंग के भारत-चीन आर्थिक संबंधों का जायजा लेने तथा पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद के बाद रिश्तों में बढ़ी तल्खी को दूर करने के उपायों पर विचार-विमर्श करने की संभावना है।
मोदी अपनी दो देशों की यात्रा के दूसरे और अंतिम चरण के तहत जापान से चीन के तियानजिन पहुंचे। उन्होंने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “चीन के तियानजिन में उतरा हूं। एससीओ शिखर सम्मेलन में विचार-विमर्श और विभिन्न विश्व नेताओं से मुलाकात को लेकर उत्सुक हूं।” कलाकारों के एक समूह ने मोदी का होटल में भारतीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य की दिलकश प्रस्तुति के साथ स्वागत किया गया।
एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान मोदी के रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और कई अन्य नेताओं के साथ द्विपक्षीय वार्ता करने की भी संभावना है। तियानजिन की यात्रा से पहले मोदी ने कहा था कि वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में स्थिरता लाने के लिए भारत और चीन का मिलकर काम करना महत्वपूर्ण है।
जापानी अखबार 'द योमिउरी शिंबुन' को शुक्रवार को दिए साक्षात्कार में प्रधानमंत्री ने कहा था कि भारत और चीन के बीच स्थिर, पूर्वानुमानित और मैत्रीपूर्ण संबंध क्षेत्रीय और वैश्विक शांति एवं समृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। उन्होंने कहा था, “विश्व अर्थव्यवस्था में मौजूदा अस्थिरता को देखते हुए, भारत और चीन जैसी दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का मिलकर काम करना आवश्यक है, ताकि वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में स्थिरता लाई जा सके।” मोदी की चीन यात्रा चीनी विदेश मंत्री वांग यी की भारत यात्रा के एक पखवाड़े से भी कम समय बाद हो रही है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल के साथ वांग की व्यापक वार्ता के बाद भारत और चीन ने दोनों पक्षों के बीच “स्थिर, सहयोगात्मक और दूरदर्शी” संबंधों के लिए कई उपायों की घोषणा की। इन उपायों में विवादित सीमा पर संयुक्त रूप से शांति बनाए रखना, सीमाओं को व्यापार के लिए फिर से खोलना और जल्द से जल्द सीधी उड़ान सेवाएं बहाल करना शामिल है।