प्रयागराज, 28 जून इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ‘लिव इन’ संबंध में रह रही एक महिला की उसके पति से सुरक्षा की मांग वाली याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति साधना रानी ने मथुरा जिले की रहनेवाली याचिकाकर्ता सुरभि को किसी तरह की सुरक्षा देने से इनकार कर दिया।
महिला ने याचिका में आरोप लगाया था कि उसने अपने पति की असामाजिक गतिविधियों की वजह से अपना ससुराल छोड़ दिया। याचिकाकर्ता के मुताबिक, उसने अपने पति का घर इसलिए भी छोड़ दिया क्योंकि उसका पति उसका उत्पीड़न किया करता था। बाद में उसने अपने ‘लिव इन’ साथी मोहित के साथ रहना शुरू कर दिया।
याचिका में कहा गया था कि याचिकाकर्ता ने मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष के समक्ष भी एक प्रार्थना पत्र देकर अपने पति से सुरक्षा की मांग की है।
याचिकाकर्ता के वकील और सरकारी वकील की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने कहा, “इस मामले में यह स्वीकार किया गया है कि याचिकाकर्ता ने घरेलू हिंसा कानून और भारतीय दंड संहिता के संबंधित प्रावधानों के तहत किसी धमकी या अपने पति की हिंसा के संबंध में कोई प्रार्थना पत्र नहीं दिया है। यहां तक कि याचिकाकर्ता ने हिंदू विवाह अधिनियम के तहत तलाक के लिए भी कोई अर्जी नहीं दी है।”
अदालत ने कहा, “उपरोक्त कथन को देखते हुए इस याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता। इस याचिका में कोई दम नहीं है, इसलिए इसे खारिज किया जाता है।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।