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सुप्रीम कोर्ट में समान सेक्स के बीच हुई शादी को कानूनी मान्यता देने के लिए दायर हुई याचिका, मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने केंद्र को जारी किया नोटिस

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: December 14, 2022 22:04 IST

समान सेक्स के बीच हुई शादी को कानूनी वैधता प्रदान करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई याचिका। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने याचिका पर केंद्र सरकार को जारी किया नोटिस।

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ठळक मुद्देसुप्रीम कोर्ट समान सेक्स के बीच हुई शादी को कानूनी वैधता प्रदान करने के लिए दायर की गई याचिका एक भारतीय और एक अमेरिकी नागरिक ने अपनी शादी को रजिस्टर्ड कराने की दाखिल की है याचिका मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ की बेंच ने केंद्र को नोटिस जारी करके अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है

दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में एक भारतीय और एक अमेरिकी नागरिक ने समान सेक्स के बीच होने वाली शादी को कानूनी मान्यता देने के लिए बुधवार को एक याचिका दायर की। दायर याचिका में कोर्ट को बताया गया कि उनकी शादी अमेरिका में साल 2014 में अमेरिका में रजिस्टर्ड हो चुकी है और अब उनकी मंशा भारत में भी विदेशी विवाह अधिनियम 1969 के तहत रजिस्टर्ड कराना की है लेकिन चूंकि समान सेक्स के बीच शादी का यहां प्रवाधान नहीं है, इसलिए इससे संबंधिक कानून भी नहीं है। जिसके कारण वो अपनी शादी को भारत में रजिस्टर्ड नहीं करवा पा रहे हैं। इसलिए सुप्रीम कोर्ट सरकार को आदेश दे कि वो इस संबंध में कानूनी प्रावधान बनाएं ताकि वो यहां भी अमेरिका की तरह उसे वैधता दिला सकें।

सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच के सामने पेश की गई, जिस पर मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने केंद्र को नोटिस जारी करके उन्हें अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट में पेश हुईं वरिष्ठ वकील मेनका गुरुस्वामी, वकील अरुंधति काटजू और वकील आनंद ग्रोवर ने चीफ जस्टिस की बेंच से यह भी अपील की कि जब भी मामला सुनवाई के लिए कोर्ट के सामने पेश हो तो उसकी लाइव स्ट्रीमिंग भी की जाए।

मामले में वकील आनंद ग्रोवर ने कहा, "चूंकि इस केस को जानने, सुनने के लिए बहुत से लोग इच्छुक हैं, इसलिए माननीय कोर्ट इसके लाइव स्ट्रीमिंग की भी इजाजत दे।" जिसके जवाब में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, "हम आपकी अपील पर गौर करेंगे।"

मालूम हो कि बीते महीने ही सुप्रीम कोर्ट ने विशेष विवाह अधिनियम 1955 के तहत समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग करने वाली याचिकाओं पर भी नोटिस जारी किया था। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि उनके समुदाय से संबंधित व्यक्तियों को विषमलैंगिक समकक्षों के समान विवाह का अधिकार प्रकान किये जाएं।

इस संबंध में याचिकाकर्ता का कहना है कि उन्होंने पुणे में बतौर युगल 2021 में विवाह पंजीयन अधिकारी के समक्ष हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत विवाह को रजिस्टर्ड कराने का प्रयास किया था लेकिन रजिस्ट्रार ने कानूनी प्रवधान न होने का हवाा देते हुए विवाह के रजिस्ट्रेशन से इनकार कर दिया था।

उसके बाद उन्होंने इस साल की शुरुआत में वाशिंगटन डीसी स्थित भारतीय दूतावास को विदेशी विवाह अधिनियम के तहत अपनी शादी को रजिस्टर्ड करने के लिए लिखा। लेकिन कुछ समय बाद कानूनी प्रावधान न होने का उल्लेख करते हुए अनुरोध को खारिज कर दिया गया। इसके साथ ही याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि उसके साथ यूएस स्थित भारतीय दूतावास में बेहद अपमानजनक व्यवहार किया गया।

जिसके बाद याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में भारतीय दूतावास द्वारा उनकी मांग खारिज किये जाने को चुनौती दी गई है। उन्होंने कोर्ट से अपील की है कि उनकी शादी को भी हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 5 और विदेशी विवाह अधिनियम, 1969 की धारा 17 के तहत रजिस्टर्ड करने का अधिकार दिया जाए।

इसके साथ ही याचिका में यह भी कहा गया है कि भारत को छोड़कर दुनिया के 32 देशों ने समलैंगिक विवाह को मान्यता मिली हुई है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा समलैंगिकता के संबंध में दिये फैसलों का हवाला देते हुए भी याचिका में तर्क पेश किया गया है कि हर व्यक्ति को अपनी पसंद से शादी करने का अधिकार मिलना चाहिए ताकि सभी के मानवाधिकारों का संरक्षण हो सके।

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