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निजी डेटा सरंक्षण बिल: सरकारी एजेंसियों को मिलेंगे व्यापक अधिकार, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए कर सकती हैं निजी डेटा की निगरानी

By अभिषेक पाण्डेय | Updated: December 11, 2019 09:18 IST

Personal Data Protection Bill: निजी डेटा सरंक्षण बिल में सरकारी एजेंसियों को राष्ट्रीय जांच एजेंसियों को निगरानी और जासूसी का अधिकार दिया गया है

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ठळक मुद्देनिजी डेटा सरंक्षण बिल में सरकारी एजेंसियों को मिलेगा निजी डेटा की निगरानी का अधिकारसरकारी जांच एजेंसियां जरूरत पड़ने पर किसी भी सोशल मीडिया कंपनी से मांग सकती हैं डेटा

सरकार द्वारा इसी हफ्ते लोकसभा में पेश किए जाने वाले निजी डेटा सरंक्षण बिल में कुछ निश्चित प्रकार के निजी डेटा के विदेश भेजने की इजाजत देने का प्रस्ताव है। इस बिल में सरकारी एजेंसियों को नागरिकों के निजी और संवेदनशील डेटा को एकत्र करने का व्यापक अधिकार दिया गया है। 

जस्टिस बीएन श्रीकृष्ण समिति द्वारा तैयार पहले के ड्राफ्ट बिल में सुरक्षा, आपराधिक जांच और अपराध की रोकथाम के लिए इस तरह के डेटा को इकट्ठा करने के लिए सरकार को छूट प्रदान की गई थी। हालांकि, उसमें यह निर्धारित किया गया था कि इन अपवादों को एक अलग कानून और डेटा द्वारा अधिकृत किया जाएगा, और इसका प्रयोग केवल तभी होगा जब यह "आवश्यक'' हो, और सरकार के हितों के लिए ''समानुपातिक" हो।

सरकारी एजेंसिया एकत्र कर सकती हैं किसी का भी निजी डेटा

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, लेकिन श्रीकृष्णा समिति के ड्राफ्ट बिल से उलट इस बिल में सरकारी जांच एजेंसियों को देश की संप्रभुता और अखंडता कायम रखने, राज्यों की सुरक्षा सुनिश्चित करने, शांति व्यवस्था बनाए रखने और देशों के साथ मित्रतापूर्ण संबंध बनाए रखने के लिए निजी डेटा की निगरानी और उनकी जासूसी करने का अधिकार दिया गया है।

विधेयक, संभवत: बुधवार को संसद में पेश किया जाएगा। इसमें कहा गया है कि केंद्र किसी भी एजेंसी को इस तरह के निजी डेटा को प्रोसेस करने की अनुमति दे सकता है जब तक कि वह इस बात के लिए "संतुष्ट" हो कि इसका उद्देश्य "किसी संज्ञेय अपराध' को उकसाने या रोकने के लिए जरूरी है।

सरकार को होगा सोशल मीडिया कंपनियों से डेटा मांगने का अधिकार

इस बिल के प्रावधानों के मुताबिक, सरकार के पास किसी भी इंटरनेट या सोशल मीडिया प्रोवाइडर (गूगल, ट्विटर, ऐमजॉन, फेसबुक, वॉट्सऐप, फ्लिपकार्ट, ऐपल जैसी कंपनियां) (नागरिकों को छोड़कर) किसी भी सरकारी जांच एजेंसी द्वारा मांगे गए डेटा को जारी करने का आदेश या निर्देश देने का अधिकार होगा।  

निजी डेटा को विदेश ट्रांसफर किया जा सकता है

वहीं श्रीकृष्णा समिति द्वारा तैयार ड्राफ्ट बिल से एक और चीज इस बिल में अलग है। इसके मुताबिक, अब निजी डेटा की जानकारी भारत में एकत्र किए बिना ही कुछ स्थितियों में विदेश में स्टोर की जा सकती है और प्रोसेस की जा सकती है। हालांकि, वित्तीय, स्वास्थ्य, यौन अभिविन्यास, बॉयोमीट्रिक, आनुवंशिक, ट्रांसजेंडर स्थिति, जाति और धार्मिक विश्वास से संबंधित-संवेदनशील निजी डेटा को केवल भारत में ही स्टोर किया जा सकता है और कुछ परिस्थितियों में डेटा सुरक्षा प्राधिकरण की स्वीकृति से विदेश ट्रांसफर किया जा सकता है। 

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