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पेगासस स्पाईवेयर विवादः संसद तक पहुंची मामले की गूंज, राहुल गांधी का ट्वीट- हम जानते हैं, वे क्या पढ़ रहे हैं 

By अभिषेक पारीक | Updated: July 19, 2021 18:08 IST

पेगासस स्पाईवेयर विवाद पर छिड़ी बहस अब संसद तक पहुंच गई है। विपक्षी सांसदों ने आज से शुरू संसद के मानसून सत्र में इस मामले पर चर्चा के लिए नोटिस दिया है।

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ठळक मुद्देपेगासस स्पाईवेयर विवाद को लेकर छिड़ी बहस की गूंज अब संसद के मानसून सत्र में भी सुनाई दी है। पेगासस मामले को लेकर के विपक्षी सांसदों ने मानसून सत्र में चर्चा कराने के लिए नोटिस दिया है। इस मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी कूद पड़े हैं। उन्होंने पेगासस मामले में एक ट्वीट किया है। 

पेगासस स्पाईवेयर विवाद पर छिड़ी बहस अब संसद तक पहुंच गई है। विपक्षी सांसदों ने आज से शुरू संसद के मानसून सत्र में इस मामले पर चर्चा के लिए नोटिस दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक, पेगासस का देश के कई राजनेताओं और पत्रकारों की फोन टैपिंग के लिए इस्तेमाल किया गया था। इस मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी कूद पड़े हैं। उन्होंने पेगासस मामले में एक ट्वीट किया है। 

पेगासस हैशटैग के साथ राहुल गांधी ने एक ट्वीट किया है और उसमें लिखा है, 'हम जानते हैं कि वे क्या पढ़ रहे हैं- आपके फोन में सब कुछ!'

दुनिया भर के समाचार संगठनों के एक समूह ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। जिसके मुताबिक इजरायली स्पाईवेयर कंपनी पेगासस का विभिन्न देशां की सरकारों द्वारा पत्रकारों, राजनेताओं और अन्य प्रमुख नागरिकों की जासूसी के लिए इस्तेमाल किया गया। 

लोकसभा चुनाव से पूर्व बनाया निशाना

रविवार को प्रकाशित रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि भारत में पेगासस का इस्तेमाल करीब 300 लोगों के फोन हैक करने के लिए किया गया। इनमें राजनेता, प्रमुख पत्रकार, विपक्ष के नेता और यहां तक की कुछ केंद्रीय मंत्री भी शामिल थे। साथ ही रिपोर्ट में कहा गया कि ज्यादातर प्रमुख लोगों को लोकसभा चुनाव से पूर्व 2018 और 2019 में निशाना बनाया गया। 

केंद्र ने कहा-काल्पनिक निष्कर्षों पर आधारित

केंद्र ने इसे लेकर कहा है कि यह रिपोर्ट तथ्यों पर आधारित नहीं है और काल्पनिक निष्कर्षां पर आधारित है। साथ ही सरकार की ओर से कहा गया है कि यह खराब शोध और सम्मानित मीडिया संगठनों द्वारा परिश्रम की कमी की ओर भी इशारा करता है। केंद्र ने कहा है कि कुछ अनाधिकृत नहीं हुआ है। इससे पहले करीब डेढ साल पहले जब यह मामला सामने आया था, तब भी सरकार की ओर से यही कहा गया था। 

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