नई दिल्लीः भाजपा ने सोमवार को कांग्रेस पर प्रहार करते हुए दावा किया कि पेगासस जासूसी मामले से सत्तारूढ़ दल या मोदी सरकार को जोड़े जाने का ‘‘एक भी साक्ष्य’’ नहीं है।
जासूसी विवाद पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत को विकास के पथ से भटकाने के लिए अड़चनें व रोड़े अटकाने वाले अपनी साजिशों में सफल नहीं होंगे। मैं देश के लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि मोदी सरकार की प्राथमिकता स्पष्ट- ‘राष्ट्रीय कल्याण’ है।कुछ लोगों द्वारा एक रिपोर्ट को सिर्फ एक उद्देश्य से फैलाया जाता है- विश्व स्तर पर भारत को बदनाम करने के लिए हैं।
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सिद्धांतविहीन कांग्रेस का इस मामले में कूदना अप्रत्याशित नहीं है, उन्हें लोकतंत्र को कुचलने का अनुभव है। कुल लोग हमारे राष्ट्र के बारे में पुराने विमर्श को हवा देने और भारत की विकास यात्रा को पटरी से उतारने की कोशिश कर रहे हैं।
कांग्रेस ने इस मामले में केंद्र सरकार पर हमला किया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने एक संवाददाता सम्मेलन में इस प्रकरण में शामिल लोगों की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े किए और आरोप लगाया कि समाचार पोर्टल ‘द वायर’ इस समाचार से पहले से जुड़ा रहा है जो ‘‘गलत’’ पाया गया है, जबकि एम्नेस्टी इंटरनेशनल का ‘‘भारत विरोधी’’ एजेंडा जगजाहिर है।
खबर को द वायर ने ही पहली बार भारत में उजागर किया। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने यह खबर चलाई उन्होंने ही कहा कि डाटाबेस में किसी खास नंबर की मौजूदगी से इस बात की पुष्टि नहीं होती है कि यह पेगासस से संक्रमित है। उन्होंने खबर के समय पर भी सवाल उठाया जिसे सोमवार को संसद का मॉनसून सत्र शुरू होने से एक दिन पहले जारी किया गया।
उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ जांच की कांग्रेस की मांग को भी खारिज कर दिया और विपक्षी दल पर आरोप लगाया कि वह निराधार आरोप लगाने में ‘‘काफी निचले स्तर’’ तक गिर गया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के ‘‘लगातार सिकुड़ने और हारने’’ के कारण वह संसद को बाधित करना चाह रही है और निराधार एजेंडा चला रही है।
प्रसाद ने कहा, ‘‘कांग्रेस द्वारा भाजपा के खिलाफ लगाए गए निराधार आरोपों की पार्टी निंदा करती है। भारत में 50 वर्षों से अधिक समय तक शासन करने वाला दल राजनीतिक विमर्श को काफी निचले स्तर पर ले गया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारे सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने आज स्पष्ट किया कि इलेक्ट्रॉनिक संचार को कानूनी तरीके से भारतीय दूरसंचार कानून, 1885 की धारा 5 (2) और सूचना प्रौद्योगिकी कानून 2000 की धारा 69 के तहत ही इंटरसेप्ट किया जा सकता है। किसी भी तरह की अवैध निगरानी संभव नहीं है।’’