पटना: लोजपा के चुनाव चिन्ह झोपड़ी को चुनाव आयोग के द्वारा फ्रीज कर दिए जाने के बाद अब चारा पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस और भतीजा चिराग पासवान के बीच बिहार में एक बंगले को लेकर खींचतान जारी है। हालांकि भतीजा इसमें पर्दे के पीछे है, लेकिन चाचा को भतीजे के खेल की जानकारी हर पल मिल रही है। दरअसल, लोजपा के लिए बिहार सरकार के द्वारा पूर्व में आवंटित बंगला(कार्यालय) को लेकर मामला दिलचस्प मोड पर पहुंच गया है। भतीजा अपनी पार्टी लोजपा(रा) के लिए इस पर नजर गड़ाए बैठा है, जबकि इस पर रालोजपा का कब्जा था। इसी बीच बिहार सरकार के पहल के बाद पशुपति कुमार पारस के द्वारा पार्टी का कार्यालय को तो खाली कर दिया गया, लेकिन चाभी भवन निर्माण विभाग को नहीं सौंपी गई है।
बताया जा रहा है कि अधिकारी पार्टी कार्यालय चाभी लेने पहुंचे तो उन्हें चाभी नहीं मिला। वहीं, इस मामले में राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी कार्यालय के प्रभारी राजेंद्र विश्वकर्मा का कहना है कि हमने विभाग को पत्र लिखा था पहले ही कि हमें कार्यालय दिया जाए। हम मान्यता प्राप्त दल है तो हमें कार्यालय क्यों नहीं दिया गया? अभी तक कार्यालय नहीं दिया गया है। हम अधिकारी से बात कर रहे हैं। अधिकारी रालोजपा कार्यालय के अंदर बैठे हुए हैं। ऐसे में सवाल उठने लगा है कि क्या पशुपति पारस को कार्यालय मिल पाएगा? चाचा का कार्यालय उनके भतीजे केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान को कब तक मिल पाएगा? सब कुछ अधर में लटका हुआ है और विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है।
इस बीच रालोजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण कुमार अग्रवाल ने कहा कि पार्टी को कार्यालय आवंटित करने के मामले में भवन निर्माण मंत्री गलत बयानी कर रहे हैं। भवन निर्माण मंत्री उनकी पार्टी को पटना में राज्य कार्यालय देने को लेकर नियम और कानून और राज्य पार्टी होने का हवाला दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि भवन निर्माण मंत्री को यह बताना चाहिए कि वर्तमान कार्यालय जहां से हम पार्टी कार्यालय चला रहे हैं, इसका आवंटन रद्द करके लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को किस नियम और कानून के तहत आवंटित किया गया है?
श्रवण कुमार अग्रवाल ने भवन निर्माण मंत्री को जानकारी दुरुस्त करने को कहा है। उन्होंने कहा कि 2021 में पार्टी टूटने के बाद आज की तिथि तक देश के निर्वाचन आयोग द्वारा बिहार में रालोजपा और लोजपा (रामविलास) को राज्य निर्वाचन आयोग में समान दर्जा प्राप्त है। देश के निर्वाचन आयोग ने बिहार निर्वाचन आयोग को 2021 में भेजे गए पत्र में इस बात का स्पष्ट उल्लेख किया है कि जब तक लोजपा के नाम और उसके मूल चुनाव चिह्न बंगला (झोपड़ी) चुनाव चिह्न का अंतिम फैसला देश के निर्वाचन आयोग नई दिल्ली नहीं सुना देता है, तब तक दोनों पार्टियों को बिहार में एक समान का दर्जा राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा मिलता रहेगा। ऐसे में वर्तमान कार्यालय हमारा आवंटन रद्द कर लोजपा (रामविलास) को आवंटित कर देना बेहद ही आश्चर्यजनक है।