Parliament Monsoon Session: सीएपीएफ और असम राइफल्स में 1,09,868 पद रिक्त?, मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में कहा- 72689 पदों पर भर्ती प्रक्रिया जारी
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 23, 2025 17:30 IST2025-07-23T17:29:34+5:302025-07-23T17:30:58+5:30
Parliament Monsoon Session: बलों में स्वीकृत पदों की संख्या 2021 में 10,04,980 से बढ़कर एक जनवरी, 2025 तक 10,67,110 हो गई है। इसी अवधि में 1,09,868 पद रिक्त हैं।

सांकेतिक फोटो
नई दिल्लीः केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) और असम राइफल्स में एक जनवरी, 2025 तक कुल 1.09 लाख पद रिक्त थे, जबकि 72,689 पदों पर भर्ती प्रक्रिया जारी है। गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बुधवार को राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी साझा की। उन्होंने सीएपीएफ में स्वीकृत पदों, कुल क्षमता और रिक्तियों से संबंधित आंकड़े प्रस्तुत किए। राय के अनुसार, इन बलों में स्वीकृत पदों की संख्या 2021 में 10,04,980 से बढ़कर एक जनवरी, 2025 तक 10,67,110 हो गई है। इसी अवधि में 1,09,868 पद रिक्त हैं।
मंत्री से यह पूछा गया था कि क्या सीएपीएफ में भारी संख्या में पद रिक्त हैं? इस पर उन्होंने जवाब दिया ‘‘नहीं।’’ उन्होंने स्पष्ट किया कि सीएपीएफ और असम राइफल्स में रिक्तियां सेवानिवृत्ति, इस्तीफे, पदोन्नति, मृत्यु, नयी बटालियनों का गठन तथा नए पदों के सृजन आदि के कारण उत्पन्न होती हैं और रिक्तियों को भरना एक निरंतर प्रक्रिया है।
राय ने बताया कि यूपीएससी, एसएससी आदि के माध्यम से भर्ती की प्रक्रिया को तेजी से पूरा करने के लिए गृह मंत्रालय सक्रिय प्रयास कर रहा है। उन्होंने बताया कि कांस्टेबल (जनरल ड्यूटी) के पदों पर शीघ्र भर्ती के लिए कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
संसद के दोनों सदनों में विपक्षी दलों के सदस्यों द्वारा बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) और कुछ अन्य मुद्दों को लेकर हंगामे के कारण बुधवार को लगातार तीसरे दिन गतिरोध कायम रहा, वहीं अगले सप्ताह लोकसभा एवं राज्यसभा में पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा कराये जाने के आसार हैं।
लोकसभा एवं राज्यसभा में बुधवार को विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण कार्यवाही दो बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे के उपरांत पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी। दोनों सदनों में प्रश्नकाल एवं शून्यकाल सामान्य ढंग से नहीं चल पाए। लोकसभा में सरकार की ओर से दो विधेयक पेश किए गए।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने हंगामा कर रहे सदस्यों को कड़े शब्दों में चेतावनी दी थी कि सदन में तख्तियां लेकर आने वाले सांसदों पर उन्हें निर्णायक कार्रवाई करनी पड़ेगी। लोकसभा में विपक्षी सांसदों ने आसन के निकट पहुंचकर नारेबाजी की और तख्तियां लहराईं, जिन पर एसआईआर विरोधी नारे लिखे हुए थे।
उन्होंने बिहार में एसआईआर की कवायद, पहलगाम आतंकी हमले, ऑपरेशन सिंदूर को रोकने और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मध्यस्थता संबंधी दावों समेत कुछ विषयों पर चर्चा की मांग करते हुए हंगामा किया। बिरला ने हंगामा कर रहे विपक्षी सदस्यों से कहा, ‘‘संसद और संसद परिसर के अंदर आपका व्यवहार, आचरण और कार्यपद्धति मर्यादित होने चाहिए।
देश की जनता ने आप लोगों को अपनी आवाज, कठिनाई, चुनौतियों, देश से जुड़ें मुद्दों और नीतियों पर चर्चा के लिए भेजा है।’’ हंगामे के बीच ही खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने राष्ट्रीय खेल शासन विधेयक, 2025 और राष्ट्रीय डोपिंग रोधी संशोधन विधेयक 2025 सदन में पेश किए।
राज्यसभा में सदन की बैठक शुरू होने पर शून्यकाल में उप सभापति हरिवंश ने कहा कि नियत कामकाज स्थगित कर विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने के लिए उन्हें नियम 267 के तहत 25 नोटिस मिले हैं। उपसभापति ने बताया कि पूर्व में दी गई व्यवस्था के अनुपालन में ये नोटिस अस्वीकार कर दिए गए।
नोटिस अस्वीकार किए जाने पर विपक्षी सदस्यों ने कड़ा विरोध जताया और हंगामा करने लगे। कुछ सदस्य अपने स्थानों से आगे भी आ गए। विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण उच्च सदन में प्रश्नकाल भी नहीं चल सका। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे समेत कई विपक्षी दलों के नेता अपने अपने मुद्दों पर चर्चा कराए जाने की मांग कर रहे थे।
कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी भी सदन में मौजूद थीं। दो बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे बैठक शुरू होने पर पीठासीन अध्यक्ष भुवनेश्वर कालिता ने पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्वानंद सोनोवाल को समुद्र द्वारा माल वहन विधेयक, 2025 विचार करने एवं पारित करने के लिए पेश करने को कहा।
किंतु हंगामे के कारण इस विधेयक पर चर्चा नहीं हो सकी। उच्च सदन की कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) की आज उपसभापति हरिवंश की अध्यक्षता में बैठक हुई। इसमें विपक्षी दलों के सदस्यों ने अगले सप्ताह से पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर दो दिवसीय चर्चा कराए जाने तथा इस दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति सुनिश्चित करने की मांग की।
बैठक में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ सदन के नेता एवं केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा तथा संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू भी शामिल हुए। राज्यसभा के निवर्तमान सभापति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद पहली बार यह बैठक आयोजित हुई।
धनखड़ ने मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार को उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके चलते बीएसी की बैठक का समय सोमवार के बाद बार-बार बदला गया। बैठक के बाद राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता प्रमोद तिवारी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति की बैठक आज उपसभापति हरिवंश की अध्यक्षता में हुई।
बैठक में पूरे विपक्ष ने मांग की कि पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा अगले सप्ताह से शुरू की जाए।’’ तिवारी के अनुसार, यह मांग की गई कि पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा में चर्चा शुरू होने के अगले दिन, इसे राज्यसभा में शुरू किया जाए और इसके लिए कुल 16 घंटे निर्धारित किए जाएं।
उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष चाहता है कि चर्चा के दौरान कोई प्रस्ताव पारित न किया जाए और चर्चा सामान्य तरीके से चले। तिवारी ने दावा किया, ‘‘हमने मांग की है कि चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री को सदन में मौजूद रहना चाहिए और इस संबंध में सरकार से आश्वासन भी मिला है।’’ गौरतलब है कि सोमवार से संसद का मानसून सत्र शुरू होने के बाद हंगामे के कारण दोनों सदनों में लगातार गतिरोध बना हुआ है।
सोमवार देर शाम एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेज दिया जिसमें उन्होंने तुरंत प्रभाव से पद त्यागने की बात कही। बाद में गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर उनके इस्तीफे को राष्ट्रपति द्वारा स्वीकार करने की जानकारी दी।