लाइव न्यूज़ :

नोटबंदी के खिलाफ दायर सभी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज, कहा- केंद्र की निर्णय लेने की प्रक्रिया में कोई खामी नहीं, उद्देश्य हासिल हुए या नहीं प्रासंगिक नहीं

By मनाली रस्तोगी | Updated: January 2, 2023 11:40 IST

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के 2016 के नोटबंदी के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज किया, केंद्र के कदम को सही ठहराया।

Open in App
ठळक मुद्देन्यायमूर्ति बी आर गवई ने कहा कि केंद्र के फैसले में खामी नहीं हो सकती क्योंकि रिजर्व बैंक और सरकार के बीच इस मुद्दे पर पहले विचार-विमर्श हुआ था।गवई ने नोटबंदी पर कहा कि यह प्रासंगिक नहीं है कि इसके उद्देश्य हासिल हुए या नहीं।न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना बहुमत के दृष्टिकोण से भिन्न थे और उन्होंने एक असहमतिपूर्ण निर्णय दिया।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र के 2016 के नोटबंदी के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज किया, केंद्र के कदम को सही ठहराया। न्यायमूर्ति बी आर गवई ने कहा कि केंद्र के फैसले में खामी नहीं हो सकती क्योंकि रिजर्व बैंक और सरकार के बीच इस मुद्दे पर पहले विचार-विमर्श हुआ था। गवई ने नोटबंदी पर कहा कि यह प्रासंगिक नहीं है कि इसके उद्देश्य हासिल हुए या नहीं। 

न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना बहुमत के दृष्टिकोण से भिन्न थे और उन्होंने एक असहमतिपूर्ण निर्णय दिया। बता दें कि न्यायमूर्ति एस ए नजीर की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने इस मुद्दे पर फैसला सुनाया है। न्यायमूर्ति नजीर, न्यायमूर्ति गवई और न्यायमूर्ति नागरत्ना के अलावा पांच न्यायाधीशों की पीठ के अन्य सदस्य न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी। रामासुब्रमण्यन थे।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक को सात दिसंबर को निर्देश दिया था कि वे सरकार के 2016 में 1000 रुपये और 500 रुपये के नोट को बंद करने के फैसले से संबंधित प्रासंगिक रिकॉर्ड पेश करें। पीठ ने केंद्र के 2016 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी, आरबीआई के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम और श्याम दीवान समेत याचिकाकर्ताओं के वकीलों की दलीलें सुनी थीं और अपना फैसला सुरक्षित रखा था। 

एक हजार और 500 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले को 'गंभीर रूप से दोषपूर्ण' बताते हुए चिदंबरम ने दलील दी थी कि केंद्र सरकार कानूनी निविदा से संबंधित किसी भी प्रस्ताव को अपने दम पर शुरू नहीं कर सकती है और यह केवल आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड की सिफारिश पर किया जा सकता है। वर्ष 2016 की नोटबंदी की कवायद पर फिर से विचार करने के सुप्रीम कोर्ट के प्रयास का विरोध करते हुए सरकार ने कहा था कि अदालत ऐसे मामले का फैसला नहीं कर सकती है, जब 'बीते वक्त में लौट कर' कोई ठोस राहत नहीं दी जा सकती है।

(भाषा इनपुट के साथ)

टॅग्स :नोटबंदीसुप्रीम कोर्टभारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई)Reserve Bank of India
Open in App

संबंधित खबरें

भारतरेपो दर में कटौती से घर के लिए कर्ज होगा सस्ता, मांग बढ़ेगी: रियल एस्टेट

कारोबारRBI Monetary Policy: 25 बेसिस पॉइन्ट की कटौती, लोन में सुविधा; जानें आरबीआई की MPC बैठक की मुख्य बातें

कारोबारShare Market Today: RBI के ब्याज दर कटौती से शेयर बाजार में तेजी, घरेलू शेयरों ने पकड़ी रफ्तार

भारतRBI MPC Meet: लोन होंगे सस्ते, RBI ने रेपो रेट 25 बेसिस पॉइंट्स घटाकर 5.25% किया

कारोबारRupee vs Dollar: अब तक के सबसे निचले स्तर पर रुपया, डॉलर के मुकाबले 28 पैसे टूटा; जानें कैसे उठेगा

भारत अधिक खबरें

भारतIndiGo Crisis: सरकार ने हाई-लेवल जांच के आदेश दिए, DGCA के FDTL ऑर्डर तुरंत प्रभाव से रोके गए

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक

भारतBihar: तेजप्रताप यादव ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास के खिलाफ दर्ज कराई एफआईआर

भारतबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम हुआ लंदन के वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज, संस्थान ने दी बधाई

भारत‘पहलगाम से क्रोकस सिटी हॉल तक’: PM मोदी और पुतिन ने मिलकर आतंकवाद, व्यापार और भारत-रूस दोस्ती पर बात की