लाइव न्यूज़ :

RBI ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- जबरदस्ती ब्याज माफी ठीक नहीं,  इससे बैंकों का वित्तीय जोखिम बढ़ेगा 

By भाषा | Updated: June 4, 2020 05:37 IST

रिजर्व बैंक ने किस्त भुगतान पर रोक के दौरान ब्याज लगाने को चुनौती देने वाली याचकिा का जवाब देते हुये कहा कि उसका नियामकीय पैकेज, एक स्थगन, रोक की प्रकृति का है, इसे माफी अथवा इससे छूट के तौर पर नहीं माना जाना चाहिये। 

Open in App
ठळक मुद्देरिजर्व बैंक ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर वह कर्ज किस्त के भुगतान में राहत के हर संभव उपाय कर रहा है।उसने कहा कि जबरदस्ती ब्याज माफ करवाना उसे सही निर्णय नहीं लगता है क्योंकि इससे बैंकों की वित्तीय स्थिति बिगड़ सकती है

नई दिल्लीः रिजर्व बैंक ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर वह कर्ज किस्त के भुगतान में राहत के हर संभव उपाय कर रहा है, लेकिन जबरदस्ती ब्याज माफ करवाना उसे सही निर्णय नहीं लगता है क्योंकि इससे बैंकों की वित्तीय स्थिति बिगड़ सकती है और जिसका खामियाजा बैंक के जमाधारकों को भी भुगतना पड़ सकता है। 

रिजर्व बैंक ने किस्त भुगतान पर रोक के दौरान ब्याज लगाने को चुनौती देने वाली याचकिा का जवाब देते हुये कहा कि उसका नियामकीय पैकेज, एक स्थगन, रोक की प्रकृति का है, इसे माफी अथवा इससे छूट के तौर पर नहीं माना जाना चाहिये। 

रिजर्व बैंक ने कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियों के बंद रहने के दौरान पहले तीन माह और उसके बाद फिर तीन माह और कर्जदारों को उनकी बैंक किस्त के भुगतान से राहत दी है। कर्ज की इन किस्तों का भुगतान 31 अगस्त के बाद किया जा सकेगा। इस दौरान किस्त नहीं चुकाने पर बैंक की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की जायेगी। 

रिजर्व बैंक ने उच्चतम न्यायालय में सौंपे हलफनामे में कहा है, ‘‘कोरोना वायरस महामारी के प्रसार के बीच वह तमाम क्षेत्रों को राहत पहुंचाने के लिये हर संभव उपाय कर रहा है। लेकिन इसमें जबर्दस्ती बैंकों को ब्याज माफ करने के लिये कहना उसे सूजबूझ वाला कदम नहीं लगता है, क्योंकि इससे बैंकों की वित्तीय वहनीयता के समक्ष जोखिम खड़ा हो सकता है और उसके कारण जमाकर्ताओं के हितों को भी नुकसान पहुंच सकता है।’’ 

केन्द्रीय बैंक ने कहा है कि जहां तक उसे बैंकों के नियमन के प्राप्त अधिकार की बात है वह बैंकों में जमाकर्ताओं के हितों की सुरक्षा और वित्तीय स्थिरता बनाये रखने को लेकर है, इसके लिये भी यह जरूरी है कि बैंक वित्तीय तौर पर मजबूत और मुनाफे में हों। शीर्ष अदालत ने 26 मई को केन्द्र सरकार और रिजर्व बैंक से रोक की अवधि के दौरान ब्याज की वसूली करने के खिलाफ दायर याचिका पर जवाब देने को कहा था। यह याचिका आगरा के निवासी गजेंद्र शर्मा ने दायर की। 

टॅग्स :भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई)सुप्रीम कोर्ट
Open in App

संबंधित खबरें

भारतरेपो दर में कटौती से घर के लिए कर्ज होगा सस्ता, मांग बढ़ेगी: रियल एस्टेट

कारोबारRBI Monetary Policy: 25 बेसिस पॉइन्ट की कटौती, लोन में सुविधा; जानें आरबीआई की MPC बैठक की मुख्य बातें

कारोबारShare Market Today: RBI के ब्याज दर कटौती से शेयर बाजार में तेजी, घरेलू शेयरों ने पकड़ी रफ्तार

भारतRBI MPC Meet: लोन होंगे सस्ते, RBI ने रेपो रेट 25 बेसिस पॉइंट्स घटाकर 5.25% किया

कारोबारRupee vs Dollar: अब तक के सबसे निचले स्तर पर रुपया, डॉलर के मुकाबले 28 पैसे टूटा; जानें कैसे उठेगा

भारत अधिक खबरें

भारतIndiGo Crisis: सरकार ने हाई-लेवल जांच के आदेश दिए, DGCA के FDTL ऑर्डर तुरंत प्रभाव से रोके गए

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक

भारतBihar: तेजप्रताप यादव ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास के खिलाफ दर्ज कराई एफआईआर

भारतबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम हुआ लंदन के वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज, संस्थान ने दी बधाई

भारत‘पहलगाम से क्रोकस सिटी हॉल तक’: PM मोदी और पुतिन ने मिलकर आतंकवाद, व्यापार और भारत-रूस दोस्ती पर बात की