जम्‍मू कश्‍मीर ही नहीं बर्फीले रेगिस्‍तान लद्दाख को भी है इंतजार पर्यटकों का

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: May 28, 2025 14:43 IST2025-05-28T14:43:19+5:302025-05-28T14:43:35+5:30

Ladakh: यह फिल्म घाटियों में सन्नाटे, बंद दरवाजों की शांति और स्थानीय लोगों की तड़प को शक्तिशाली ढंग से प्रदर्शित करती है, जिनकी आजीविका टूरिस्‍टों पर निर्भर करती है।

Not only Jammu and Kashmir but the snowy desert of Ladakh is also waiting for tourists | जम्‍मू कश्‍मीर ही नहीं बर्फीले रेगिस्‍तान लद्दाख को भी है इंतजार पर्यटकों का

जम्‍मू कश्‍मीर ही नहीं बर्फीले रेगिस्‍तान लद्दाख को भी है इंतजार पर्यटकों का

Ladakh: पहलगाम नरसंहार के बाद सिर्फ कश्‍मीर वादी या जम्‍मू संभाग ही नहीं बल्कि बर्फीले रेगिस्‍तान लद्दाख को भी अब टूरिस्‍टों का इंतजार है क्‍योंकि डर के माहौल में कोई आने को तैयार नहीं है। दरअसल कश्‍मीर आने वाले ही लद्दाख का दौरा किया करते थे जो अब 95 परसेंट तक कम हो गए हैं।

ऐसे में लद्दाख पर्यटकों के आगमन में आई भारी गिरावट के मद्देनजर, ऑल लद्दाख होटल एंड गेस्ट हाउस एसोसिएशन ने "लद्दाख इंतज़ार कर रहा है" शीर्षक से एक बेहद भावनात्मक अभियान शुरू किया है। इस क्षेत्र के पर्यटन क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से, यह अभियान यात्रियों को उस भूमि से फिर से जोड़ने का प्रयास करता है जिसे वे कभी संजो कर रखते थे।

अभियान के केंद्र में एक मार्मिक लघु फिल्म है - एक दृश्य कहानी जो लद्दाख के आतिथ्य क्षेत्र द्वारा सामना की जाने वाली कठोर वास्तविकताओं को दर्शाती है। कभी साहसी लोगों, तीर्थयात्रियों और शांति चाहने वालों से भरा रहने वाला लद्दाख अब अपने होटलों, गेस्ट हाउस और होमस्टे को लगभग खाली पाता है। यह फिल्म घाटियों में सन्नाटे, बंद दरवाजों की शांति और स्थानीय लोगों की तड़प को शक्तिशाली ढंग से प्रदर्शित करती है, जिनकी आजीविका टूरिस्‍टों पर निर्भर करती है।

पर्यटन लद्दाख की अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा है, जो इसके दूरदराज और ऊबड़-खाबड़ इलाकों में हजारों परिवारों का भरण-पोषण करती है। मौजूदा मंदी ने कई लोगों को बिना काम या उम्मीद के छोड़ दिया है, जिससे ऑल लद्दाख होटल एंड गेस्ट हाउस एसोसिएशन को दुनिया तक पहुंचने के लिए तन्यकता और याद का हार्दिक संदेश देने के लिए प्रेरित किया। 
ऑल लद्दाख होटल एंड गेस्ट हाउस एसोसिएशन के प्रवक्ता का कहना था कि यह सिर्फ़ एक अभियान नहीं है - यह उन सभी लोगों के लिए एक आह्वान है, जिन्होंने कभी लद्दाख में खुद का एक हिस्सा पाया है।" "अगर आपने इन पहाड़ों पर सैर की है, किसी स्थानीय घर में बटर टी पी है, या पैंगोंग त्सो से मिल्की वे को देखा है - तो अब वापस देने का समय है।" 
यह पहल लोगों को फिल्म साझा करने, संदेश को बढ़ाने और लद्दाख के बारे में बातचीत को फिर से शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करती है - दुनिया को इसकी बेजोड़ सुंदरता, शांति और इसके लोगों की गर्मजोशी की याद दिलाती है। 
यह अभियान पहले से ही हैशटैग #लद्दाखइजवेटिंग के तहत ऑनलाइन लोकप्रियता हासिल कर रहा है, जिसे ट्रैवल इन्फ्लुएंसर, पर्यावरणविदों और पिछले आगंतुकों से समर्थन मिल रहा है। जैसे ही गर्मी का मौसम शुरू होता है, लद्दाख के लोग उम्मीद करते हैं कि दुनिया उनका संदेश सुनेगी - और वापस आएगी।

Web Title: Not only Jammu and Kashmir but the snowy desert of Ladakh is also waiting for tourists

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