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राजधानी और शताब्दी जैसी रेलगाड़ियों का निजीकरण करने की कोई योजना नहीं: गोयल

By भाषा | Updated: June 28, 2019 18:07 IST

रेल मंत्री ने राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया ‘‘राजधानी और शताब्दी जैसी रेलगाड़ियों का निजीकरण करने की कोई योजना नहीं बनाई गई है। रेलवे के निजीकरण की कोई योजना ही नहीं है।’’ गोयल से सपा सदस्य सुरेन्द्र सिंह नागर ने पूछा था कि क्या सरकार राजधानी और शताब्दी जैसी रेलगाड़ियों का निजीकरण करने की योजना बना रही है।

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ठळक मुद्देगोयल ने एक अन्य प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि सरकार का लंबी दूरी की सभी ट्रेनों के डिब्बों में सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजना है। प्रीमियम, मेल, एक्सप्रेस और उपनगरीय रेल गाड़ियों के सभी सवारी डिब्बों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए कदम उठाए गए हैं।

नयी दिल्ली, 28 जून (भाषा) राजधानी और शताब्दी जैसी रेलगाड़ियों के निजीकरण की बात को सिरे से खारिज करते हुए रेल मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को कहा कि रेलवे के निजीकरण की कोई योजना नहीं है।

रेल मंत्री ने राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया ‘‘राजधानी और शताब्दी जैसी रेलगाड़ियों का निजीकरण करने की कोई योजना नहीं बनाई गई है। रेलवे के निजीकरण की कोई योजना ही नहीं है।’’ गोयल से सपा सदस्य सुरेन्द्र सिंह नागर ने पूछा था कि क्या सरकार राजधानी और शताब्दी जैसी रेलगाड़ियों का निजीकरण करने की योजना बना रही है।

गोयल ने एक अन्य प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि सरकार का लंबी दूरी की सभी ट्रेनों के डिब्बों में सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजना है। प्रीमियम, मेल, एक्सप्रेस और उपनगरीय रेल गाड़ियों के सभी सवारी डिब्बों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए कदम उठाए गए हैं।

पहले चरण के दौरान इन गाड़ियों के 7020 सवारी डिब्बों में सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजना है। उन्होंने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया ‘‘31 जनवरी 2019 तक बड़ी लाइन के बिना चौकीदार वाले सभी रेलवे क्रासिंग को समाप्त कर दिया गया है।

मौजूदा नीति के अनुसार, मीटर लाइन और छोटी लाइन पर बिना चौकीदार वाले रेलवे क्रॉसिंग को अमान परिवर्तन के दौरान समाप्त कर दिया जाएगा। गोयल ने अन्य एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह भी बताया कि त्यौहारों, गर्मी की छुट्टियों, अन्य अवकाशों जैसी भीड़ वाली अवधि के दौरान मांग उपलब्धता से अधिक हो जाती है तब यात्री सीटों की आरक्षण प्रणाली के दुरूपयोग के मामले भी होते हैं।

उन्होंने बताया कि इस तरह के मामलों में वर्ष 2018 के दौरान 2391 दलालों को गिरफ्तार किया गया और 78001 ई-टिकट पकड़े गए। इसी तरह वर्ष 2019 में मई तक 613 दलालों को गिरफ्तार किया गया और 18784 ई-टिकट पकड़े गए। 

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