पटना: बिहार सरकार के सूचना एंव जनसंपर्क मंत्री महेश्वर हजारी के बेटे सन्नी हजारी का कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ना पिता के लिए भारी पड़ रहा है। सन्नी हजारी समस्तीपुर से कांग्रेस की टिकट से लोकसभा चुनाव मैदान में उतरे थे। सन्नी का मुकाबला लोजपा (रा) प्रत्याशी शांभवी चौधरी से था। इस मुकाबले में तो सन्नी हजारी को करारी हार मिली, लेकिन अब महेश्वर हजारी को जदयू किनारे लगाने में जुट गई है।
जदयू प्रदेश कार्यालय में जदयू कोटे के मंत्री फिर से लोगों की शिकायत सुन उसका निराकरण करेंगे। जदयू ने अपने मंत्रियों के लिए जो स्लॉट तय किए हैं, उसमें केवल सूचना एवं प्रसारण मंत्री महेश्वर हजारी को जगह नहीं मिली है। जदयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा के निर्देश पर जारी की गई। इस सूची में महेश्वर हजारी का नाम नहीं रहना आने वाले समय के लिए संकेत है।
बता दें कि, महेश्वर हजारी पर आरोप था कि वो अपने बेटे को जिताने के लिए समस्तीपुर में काम किए थे। साथ ही महेश्वर हजारी एनडीए प्रत्याशी के चुनाव प्रचार से भी दूर रहे थे। सीएम नीतीश कुमार जब समस्तीपुर में एनडीए प्रत्याशी के चुनाव प्रचार में गए तो वहां भी हजारी नहीं पहुंचे। उस समय से ही यह कयास लगाया जा रहा था कि महेश्वर हजारी के खिलाफ जदयू कार्रवाई करेगी। वहीं स्लॉट में हजारी के नाम ना होने से अब कयास लगाए जा रहे हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उन पर कार्रवाई करने वाले हैं।
उल्लेखनीय है कि जदयू ने जो स्लॉट तैयार किया है, उसमें मंगलवार को मंत्री विजय चौधरी, लेशी सिंह व जमां खान, बुधवार को श्रवण कुमार, सुनील कुमार, जयंत राज, गुरुवार को बिजेंद्र प्रसाद यादव, शीला मंडल, रत्नेश सदा तथा शुक्रवार को अशोक चौधरी, मदन सहनी और सुमित कुमार सिंह लोगों की समस्याओं को सुनेंगे। लेकिन इसमें महेश्वर हजारी का कहीं जिक्र नहीं किया गया है। ऐसे में यह अनुमान लगाया जाने लगा है कि नीतीश कुमार उन्हें किनारे लगाने में जुट गए हैं।