Nirbhaya Case: फांसी टली, निर्भया की मां का दावा, दोषियों के वकील ने मुझे दी चुनौती, कहा- उन्हें कभी भी नहीं होगी फांसी
By रामदीप मिश्रा | Updated: January 31, 2020 18:06 IST2020-01-31T18:06:51+5:302020-01-31T18:06:51+5:30
Nirbhaya Case: मेडिकल की 23 वर्षीय छात्रा से 16-17 दिसंबर 2012 की मध्यरात्रि को छह लोगों ने दक्षिण दिल्ली में एक चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म किया था और जघन्य हमला किया था, जिसे ‘निर्भया’ के नाम से जाना जाता है। बाद में सिंगापुर के अस्पताल में उसने दम तोड़ दिया था।

निर्भया की मां आशा देवी (फाइल फोटो)
निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्याकांड मामले में मौत की सजा पाए दोषियों की फिलहाल फांसी टाल दी गई है। उन्हें कल सुबह छह बजे फांसी दी जानी थी। कोर्ट के इस फैसले के बाद निर्भया की मां आशा देवी ने आरोप लगाया है कि दोषियों के वकील ने उन्हें चुनौती दी है कि चारों दोषियों को कभी फांसी नहीं होने दी जाएगी।
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, निर्भया की मां आशा देवी ने कहा, 'दोषियों के वकील एपी सिंह ने मुझे चुनौती देते हुए कहा कि दोषियों को कभी भी फांसी नहीं दी जाएगी। मैं अपनी लड़ाई जारी रखूंगी। सरकार को दोषियों को फांसी दिलवानी होगी।'
इससे पहले दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने मामले में मौत की सजा पाए तीन दोषियों की एक फरवरी को होने वाली फांसी पर रोक के अनुरोध वाली उनकी याचिका पर अपना आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि सभी दोषियों को अगले आदेश तक फांसी पर नहीं चढ़ाया जाएगा। हालांकि कोर्ट ने फांसी की अगली तारीख अभी तय करने पर कुछ भी नहीं कहा है।
Asha Devi, mother of the 2012 Delhi gang-rape victim: The lawyer of the convicts, AP Singh has challenged me saying that the convicts will never be executed. I will continue my fight. The government will have to execute the convicts. pic.twitter.com/NqihzqisQo
— ANI (@ANI) January 31, 2020
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने तिहाड़ जेल अधिकारियों और दोषियों के वकील की दलीलें सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रखा था। तिहाड़ जेल अधिकारियों ने मामले में अपनी फांसी पर रोक के अनुरोध वाली तीनों दोषियों की याचिका को चुनौती देते हुए कहा था कि सिर्फ एक दोषी की याचिका लंबित है और अन्य को फांसी दी जा सकती है।
दोषियों के वकील ने जेल अधिकारियों से असहमति जताते हुए कहा था कि नियमों के अनुसार जब एक दोषी की याचिका लंबित है तो अन्य को भी फांसी नहीं दी जा सकती। दोषी पवन सिंह, विनय कुमार शर्मा और अक्षय कुमार की ओर से पेश हुए वकील ए पी सिंह ने अदालत से अनिश्चित काल के लिए फांसी स्थगित करने का अनुरोध किया था और कहा था कि विनय की दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित है।
मामले में मृत्युदंड की सजा पाए चौथे दोषी मुकेश कुमार की दया याचिका राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 17 जनवरी को खारिज कर दी थी, इस फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में उसने याचिका दायर की थी जिसे बुधवार को न्यायालय ने खारिज कर दिया था। निचली अदालत ने 17 जनवरी को मामले के चारों दोषियों मुकेश (32), पवन (25), विनय (26) और अक्षय (31) को एक फरवरी को तिहाड़ जेल में सुबह छह बजे फांसी देने के लिए दूसरी बार ‘ब्लैक वारंट’ जारी किया था।
इससे पहले सात जनवरी को अदालत ने फांसी के लिए 22 जनवरी की तारीख तय की थी। शीर्ष अदालत ने मामले में दोषी विनय और अक्षय की सुधारात्मक याचिकाओं को खारिज कर दिया था। पवन एकमात्र दोषी है जिसने अब तक सुधारात्मक याचिका दायर नहीं की है।
मेडिकल की 23 वर्षीय छात्रा से 16-17 दिसंबर 2012 की मध्यरात्रि को छह लोगों ने दक्षिण दिल्ली में एक चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म किया था और जघन्य हमला किया था, जिसे ‘निर्भया’ के नाम से जाना जाता है। बाद में सिंगापुर के अस्पताल में उसने दम तोड़ दिया था।