राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े भारतीय किसान संघ (बीकेएस) ने बृहस्पतिवार को कहा कि संगठन किसानों को उनकी उत्पादन लागत समेत फसल की ''लाभदायक कीमत'' देने के लिए दबाव बनाने के वास्ते आठ सितंबर को देशव्यापी आंदोलन करेगा। साथ ही केंद्र के नए कृषि कानूनों में ''सुधार'' का आह्वान किया जाएगा जिसको लेकर किसानों का एक वर्ग विरोध कर रहा है। किसान संगठन ने कहा कि केंद्र सरकार को प्रमुख कृषि उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के भुगतान का प्रावधान जोड़ने के लिए या तो एक नया कानून लाना चाहिए या पिछले साल बनाए गए कृषि-विपणन कानूनों में बदलाव करना चाहिए। बीकेएस के शीर्ष पदाधिकारी दिनेश कुलकर्णी ने नागपुर में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उत्पादन लागत को शामिल करते हुए किसानों को उनकी उपज की ''लाभकारी कीमत'' मिलनी चाहिए, जो उन्हें मौजूदा प्रणाली में नहीं मिल रही है। बीकेएस के अखिल भारतीय संगठन मंत्री कुलकर्णी ने कहा, '' लाभकारी मूल्य में उत्पादन लागत के साथ ही लाभ शामिल है, यही हम मांग कर रहे हैं। लाभकारी मूल्य किसानों का अधिकार है, जिसे सरकार द्वारा उपलब्ध कराया जाना चाहिए।'' उन्होंने कहा, '' सरकार द्वारा वर्तमान में घोषित एमएसपी लाभकारी मूल्य नहीं है। हालांकि, अगर वह ऐसा नहीं कर रही है तो उसे कम से कम घोषित एमएसपी देना चाहिए और इसके लिए एक कानून बनाएं।'' कुलकर्णी ने कहा कि तीन नए कृषि कानूनों में एमएसपी या कृषि उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के बारे में कोई प्रावधान नहीं है। उन्होंने कहा, ''सरकार को वर्तमान कृषि कानूनों में यह लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करना चाहिए या इसके लिए एक अलग कानून बनाना चाहिए। सरकार को अनुबंध खेती के संबंध में दिशानिर्देश तय करना चाहिए जिसमें फसलों को एमएसपी से कम पर नहीं खरीदा जाए। इसे कम से कम 23 फसलों के लिए लागू किया जाना चाहिए। जो वर्तमान में एमएसपी प्रावधान के तहत हैं।'' केंद्र के नए कृषि-विपणन कानूनों के बारे में पूछे जाने पर, जिनके खिलाफ किसान पिछले दस महीनों से विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं, कुलकर्णी ने पीटीआई-भाषा से कहा कि इनमें ''कुछ सुधार'' की जरूरत है। सितंबर 2020 में बनाए गए तीन कृषि कानूनों को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने कृषि क्षेत्र में बड़े सुधारों के रूप में पेश किया है। हालांकि, विरोध कर रहे किसानों ने आशंका व्यक्त की है कि नए कानून एमएसपी की सुरक्षा को खत्म करने का रास्ता साफ करेंगे और मंडियों को बड़े कॉरपोरेट घरानों की दया पर छोड़ देंगे।
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