कैलाश मानसरोवर यात्रा: नेपाल में फंसे 1500 में से 250 से ज्यादा तीर्थयात्री बचाए गए, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

By स्वाति सिंह | Published: July 4, 2018 01:01 PM2018-07-04T13:01:44+5:302018-07-04T13:46:23+5:30

भारतीय दूतावास के एक अधिकारी ने बताया, '250 से ज्यादा लोगों को निकाल कर हिलसा सिमिकोट लाया गया है।' अधिकारी ने बताया कि 158 लोगों को सिमिकोट से नेपालगंज ले जाया गया है। नेपालगंज एक बड़ा शहर है और इसमें सभी आधुनिक सुविधाएं हैं।

Nepal: 158 pilgrims have been rescued from Simikot and 250 pilgrims brought to Simikot from Hilsa | कैलाश मानसरोवर यात्रा: नेपाल में फंसे 1500 में से 250 से ज्यादा तीर्थयात्री बचाए गए, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

कैलाश मानसरोवर यात्रा: नेपाल में फंसे 1500 में से 250 से ज्यादा तीर्थयात्री बचाए गए, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

काठमांडो, 4 जुलाई: तिब्बत में कैलाश मानसरोवर की तीर्थ यात्रा से नेपाल के जरिए वापस आने के दौरान फंसे करीब 1,500 भारतीयों में से 250 से ज्यादा को हिलसा से निकाल लिया गया। वहीं अन्य भारतीयों को निकालने के प्रयास तेज कर दिए गए हैं। भारतीय खराब मौसम और भारी बारिश के चलते नेपाल के पर्वतीय क्षेत्र में फंस गए हैं। भारतीय दूतावास ने बताया कि केरल के नारायणम लीला (56) और आंध्र प्रदेश की सत्या लक्ष्मी की मौत हो गई। उनकी मौत सिमिकोट में ऊंचाई से जुड़ी बीमारी और तिब्बत में दिल का दौरा पड़ने से हुई है। 


दूतावास ने एक बयान में बताया कि उनके शवों को विशेष हेलीकॉप्टर के जरिए क्रमश काठमांडो और नेपालगंज लाया गया है। भारतीय दूतावास के एक अधिकारी ने बताया, '250 से ज्यादा लोगों को निकाल कर हिलसा सिमिकोट लाया गया है।' अधिकारी ने बताया कि 158 लोगों को सिमिकोट से नेपालगंज ले जाया गया है। नेपालगंज एक बड़ा शहर है और इसमें सभी आधुनिक सुविधाएं हैं। सड़क मार्ग के जरिए तीन घंटे में यहां से लखनऊ पहुंचा जा सकता है।



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उन्होंने बताया कि मिशन के प्रतिनिधियों की गणना के मुताबिक , सिमिकोट में 629 जबकि हिलसा में 451 लोग फंसे हुए हैं। अधिकारी ने बताया कि दूतावास ने विभिन्न यात्रा संचालकों से अनुरोध किया था कि तीर्थयात्रियों को तिब्बत की तरफ रोकने का प्रयास करें क्योंकि वहां पर सुविधाएं बेहतर हैं। इस वजह से हिलसा में लोग कम आ रहे हैं। हिलसा में सिर्फ 51 लोगों ने प्रवेश किया है। 

उन्होंने कहा कि हिलसा या सिमिकोट में आज किसी की मौत होने की खबर नहीं है। हमारे प्रतिनिधि चिकित्सकीय जटिलताओं का पता लगाने के लिए दौरे कर रहे हैं लेकिन कोई भी बड़ी चिकित्सा जटिलता रिपोर्ट नहीं हुई है। भारतीय दूतावास नेपाल की सेना के संपर्क में है जिसने हेलीकॉप्टर को तैयार रखा है। हेलीकॉप्टर मौसम सुधरते ही उड़ान भरने के लिए खड़े हैं। उन्होंने कहा है कि स्थिति नियंत्रण में बनी हुई है और घबराने की जरूरत नहीं है। दूतावास ने अगले तीन चार दिन में सभी भारतीयों को निकालने की उम्मीद जताई। 

दूतावास ने आज चार सदस्य टीम को नेपालगंज भेजा है। यह टीम सिमिकोट और हिलसा में फंसे तीर्थयात्रियों की सहायता के लिए अस्थायी कार्यालय स्थापित करेगी। अधिकारी ने बताया कि सिमिकोट और तिब्बत में दूतावास के दो-दो कर्मचारियों को तैनात किया गया है। उनके पास जरूरी सुविधाएं हैं जिनके जरिए वहां फंसे हुए भारतीय अपने घरों से संपर्क कर सकते हैं।दूतावास कैलाश मानसरोवर यात्रा (नेपाल के जरिए) के नेपालगंज-सिमिकोट- हिलसा मार्ग पर स्थिति पर लगातार नजर बनाया हुआ है। 

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दूतावास ने बताया कि उसने नेपालगंज और सिमिकोट में अपने प्रतिनिधि तैनात किए हैं। वे तीर्थयात्रियों के सम्पर्क में है और उन्हें भोजन एवं आवास मुहैया करा रहे हैं।  दूतावास ने सभी यात्रा संचालकों से कहा है कि वह ज्यादा से ज्यादा तीर्थयात्रियों को जहां तक संभव हो तिब्बत की तरफ रोकने का प्रयास करें क्योंकि नेपाल की तरफ चिकित्सीय और नागरिक सुविधाएं कम हैं। सिमिकोट में बुजुर्ग तीर्थयात्रियों की स्वास्थ्य जांच की गई है और सभी तरह की चिकित्सा मदद उपलब्ध करायी जा रही है। दूतावास ने तीर्थ यात्रियों एवं उनके परिवारों के लिये हॉटलाइन स्थापित की है तथा उन्हें तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम भाषा में सूचनाएं प्रदान की जायेंगी । 

उल्लेखलीय है कि चीन के तिब्बत स्वायत्त इलाके में स्थित कैलाश मानसरोवर हिन्दुओं, बौद्ध एवं जैन धर्म के लोगों के लिये पवित्र स्थान माना जाता है और हर वर्ष सैकड़ों की संख्या में तीर्थयात्री वहां जाते हैं । 

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(भाषा इनपुट के साथ )

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