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तमिलनाडु में NPR का खौफ, लागू होने के डर से गांव के 100 से अधिक मुसलमानों ने बैंक से निकाले 'सारे पैसे'

By धीरज पाल | Updated: February 25, 2020 14:21 IST

एनपीआर के उद्देश्य से ‘सामान्य निवासी’ को ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया जाता है जो किसी क्षेत्र में पिछले छह महीने या अधिक समय से रह रहा हो या ऐसा व्यक्ति जो उस इलाके में अगले छह महीने या उससे अधिक समय तक रहना चाहता है।

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ठळक मुद्दे। एनपीआर के डर से करीब 100 से अधिक मुसलमानों ने कुछ ही दिनों के भीतर बैंक से अपने खाते से करीब सारे पैसे निकाल लिए।बैंक अधिकारी और कर्मचारियों ने उनके जमात के मुखिया और लोगों से बातचीत की और उन्हें पैसा निकालने से रोका। 

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) और नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर देशभर में बवाल मचा हुआ। इसी बीच तमिलनाडु के नागपट्टिनम जिले में एनपीआर का डर दिखा। एनपीआर के डर से करीब 100 से अधिक मुसलमानों ने कुछ ही दिनों के भीतर बैंक से अपने खाते से करीब सारे पैसे निकाल लिए।

न्यूज 18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह मामला तब सामने आया जब वीडियो में इंडियन ओवरसीज बैंक (OB) के एक अधिकारी लोगों को एक समझा रहे हैं कि वो अपने बैंक से पैसा न निकालें। वहीं, बैंक अधिकारी और कर्मचारियों ने उनके जमात के मुखिया और लोगों से बातचीत की और उन्हें पैसा निकालने से रोका। 

बैंक के अधिकारियों ने उन लोगों से कहा कि एनपीआर अभ्यास के दौरान दस्तावेज जमा करना अनिवार्य नहीं है और उनके पैसे बैंक में पूरी तरह सुरक्षित है। 

गांव वालों को सता रहा है ये डर

रिपोर्ट के मुताबिक गांव वालों को ये डर सता रहा है कि नागरिकता साबित करने को उनके पास जरूरी कागज नहीं होंगे। वहां के मुखिया का मानना है कि बैंक KYC लिस्ट में NPR के कागजातों को भी शामिल करने वाला है। उनके मुताबिक वो आगे अपने पैसे खोना नहीं चाहते हैं। गांव वालों के मुताबिक उनके पास नागरिकता साबित करने के लिए आवश्यक दस्तावेज नहीं है। 

जानिए क्या है एनपीआर

एनपीआर देश के ‘सामान्य निवासियों’ की सूची है। एनपीआर के उद्देश्य से ‘सामान्य निवासी’ को ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया जाता है जो किसी क्षेत्र में पिछले छह महीने या अधिक समय से रह रहा हो या ऐसा व्यक्ति जो उस इलाके में अगले छह महीने या उससे अधिक समय तक रहना चाहता है। राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी के लिए 2010 में 2011 की जनगणना में घरों को सूचीबद्ध करने के चरण के साथ आंकड़े एकत्रित किये गये थे। 

वर्ष 2015 में घर-घर जाकर सर्वेक्षण किया गया और इन आंकड़ों का नवीनीकरण किया गया। संशोधित जानकारी को डिजिटल तरीके से संग्रहित करने का काम पूरा कर लिया गया है।महापंजीयक और जनगणना आयुक्त कार्यालय की वेबसाइट के अनुसार अब 2021 की जनगणना के घरों को सूचीबद्ध करने के चरण के साथ अप्रैल 2020 से सितंबर 2020 तक एनपीआर को अपडेट करने का फैसला किया गया है।

यह काम असम को छोड़कर शेष सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में किया जाएगा।इस संबंध में इस साल अगस्त में राजपत्रित अधिसूचना जारी की गयी थी। अधिसूचना में कहा गया, ‘‘नागरिकता (नागरिक पंजीकरण और राष्ट्रीय परिचय पत्र जारी करना) नियम, 2003 के नियम 3 के उप-नियम (4) के अनुरूप केंद्र सरकार राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी को तैयार करने तथा अपडेट करने का फैसला करती है।’’ एनपीआर में भारत के हर सामान्य निवासी के लिए पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।

टॅग्स :नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर एनपीआरतमिलनाडु
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