नेशनल मिल्क डे 2018: जानिए कहां से आई अमूल बटर गर्ल, सबसे पहले यहां आया था विज्ञापन
By मेघना वर्मा | Published: November 26, 2018 09:14 AM2018-11-26T09:14:34+5:302018-11-26T09:15:08+5:30
National Milk Day 2018 (नेशनल मिल्क डे) 2018: आज देश का कोई भी करेंट मुद्दा हो या बॉलीवुड से जुड़ी कोई चटपटी बातें अमूल बटर गर्ल एक ऐसी लड़की है जो किसी भी मुद्दे पर झट से अपनी टिप्पणी कहती है (विज्ञापन के माध्यम से)
भारत में दूध की महत्ता और गुणवत्ता की बात करें तो ये अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग तरह से हो सकती है। देश को दुनिया का सबसे ज्यादा दूध उत्पादक देश बनाने के पीछे जिनका हाथ है वो हैं डॉ. वर्गिस कुरियन। देश के प्रमुख ब्रांड अमूल के सह-संस्थापक डॉ. कुरियन को मिल्कमैन ऑफ इंडिया या फादर ऑफ व्हाइट रिवॉल्यूशन इन इंडिया भी कहा जाता है। हर सार डॉ. कुरियन के जन्मदिन यानी 26 नवंबर को नेशनल मिल्क डे के रूप में मनाया जाता है।
डॉ. कुरियन ने ना सिर्फ देश को भरोसेमंद दूध और डेयरी उत्पाद दिया बल्कि सालों से अमूल बटर गर्ल से रुबरु करवाया। सालों से अमूल बटर गर्ल को हम मक्खन के डिब्बों और डेयरी के डिब्बों में देखते आए हैं। पोलका डॉट्स फ्रॉक पहने अमूल की इस बटर गर्ल ने समय के साथ खुद को भी बदला। मिल्क डे पर आज बताते हैं डॉ. कुरियन के इसी बटर गर्ल की और साथ पढ़िए कि कैसे समय के साथ बदल गई ये अमूल गर्ल।
52 साल की हो चुकी है अमूल गर्ल
आज देश का कोई भी करेंट मुद्दा हो या बॉलीवुड से जुड़ी कोई चटपटी बातें अमूल बटर गर्ल एक ऐसी लड़की है जो किसी भी मुद्दे पर झट से अपनी टिप्पणी कहती है (विज्ञापन के माध्यम से)। अटरली-बटरली गर्ल ने अमूल बटर को इस कॉम्पटिश के दौर में एक अलग पहचान दी है। अगर ऐसा कहा जाए कि अमूल गर्ल आज के समय में सिर्फ डेयरी प्रोडेक्ट का चेहरा मात्र नहीं है तो ये गलत नहीं होगा। अमूल गर्ल अब हर ज्वलंत मुद्दे पर बोलने वाली वो गर्ल हैं जो चटपटे अंदाज में लोगों तक बाद पहुंचाती है।
मिल्क मैन ने नहीं की अमूल गर्ल की रचना
इस बात को हैरानी जरूर होगी मगर सच यही है कि देश के मिल्क मैन डॉ. कुरियन ने बतौर अमूल के सह-संस्थापक, अमूल गर्ल की रचना नहीं की। बात है 1966 की जब बाजार में अमूल की डेयरी प्रोडक्ट था तो मगर लोग पॉल्सन की पॉल्सन गर्ल को ज्यादा पसंद करते थे। जिस कारण लोग इस उत्पाद को भी ज्यादा खरीदते थे। पॉल्सन गर्ल की कुछ ऐसी ही सफलता को देखकर और उसके व्यापार को मात देने के लिए डॉ. कुरियन ने एक विज्ञापन एजेंसी एएसपी यानी एडवरटाइजिंग एंड सेल्स प्रमोशन के साथ मीटिंग की। उस एजेंसी के आर्ट डायरेक्टर यूस्टस फर्नांडिस ने इस डिस्कशन के बाद एक ऐसा मस्कट तैयार करने को कहा जो देश की हाउसवाइफ को पसंद आए और पॉल्सन गर्ल को टक्कर दे।
सबसे पहला विज्ञापन मुंबई की बसों पर
एएसपी के कम्यूनिकेशन्स के सिल्वेस्टर दाकुन्हा और यूस्टस फार्नांडिस ने अमूल गर्ल की रचना की। डॉ. कुरियन ने दाकुन्हा को अमूल गर्ल को बनाने की पूरी छूट दे दी। इसके बाद सामने आई सबसे पहली अमूल गर्ल जिसका विज्ञापन 1966 में थ्रूब्रेड के नाम से मुंबई की बसों पर पेंट करके किया गया। हलांकि तब और अब की अमूल गर्ल में समय के साथ कई बदलाव हुए मगर थीम हमेशा एक ही रखी गई।
बेबाक और बेझिझक बोलती है अमूल गर्ल
अमूल गर्ल उस समय लोगों के और ध्यान में आई जब उसने देश के विभिन्न मुद्दों पर बोलना शुरु किया। खासकर 90 के दशक में सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विदेश के मुद्दों पर भी अमूल गर्ल ने अपने विचार बेबाक और बेझिझक तरीके से अपने विचार रखे। हर मसलों पर कभी कटाक्ष तो कभी सीरियस वे में बोलती नजर आई। इस वजह से अमूल गर्ल की लोकप्रियता और ज्यादा बढ़ती गई।
बेटे ने दी अमूल गर्ल को तेजी
सिल्वेस्टर दाकुन्हा के बेटे राहुल ने 90 के दशक में अपने पिता को ज्वॉइन किया। अब अमूल की इस गर्ल और उसके विज्ञापन का पूरा काम राहुल ही देखते हैं। अब यह कंपनी हर हफ्ते चार से पांच दिन विज्ञापन शेयर करती है।
बहुत बार हुआ विज्ञापन पर विवाद
ऐसा नहीं है कि अमूल गर्ल की इस बेबाकी पर कई बार विवाद भी हुआ। लोगों ने अमूल गर्ल के इस विज्ञापन पर कई बार विरोध जताया। 2001 में जब अमूल ने अपने विज्ञापन पर इंडियन एयरलाइंस के हड़ताल पर कटाक्ष किया तो इंडियन एयरलाइंस ने फ्लाइट में अमूल के प्रोडक्ट नहीं परोसने की धमकी दे डाली। इसके बात इस विज्ञापर को हटा लिआ गया। इसके बाद ही अमूल गर्ल पर विवाद होता रहा। इसके अलावा ‘अमूल’ जगमोहन डालमिया, आईपीएल चीयरलीडर्स, ममता बनर्जी आदि पर भी विवाद हो चुका है मगर जनता ने अमूल बटर गर्ल के इस अंदाज को हमेशा पसंद किया है।