Jharkhand Lok Sabha Elections 2024: 14 लोकसभा सीटों पर 16 नए चेहरे पर दांव, एनडीए और इंडिया गठबंधन में टक्कर, यहां जानिए सियासी समीकरण
By एस पी सिन्हा | Updated: April 29, 2024 16:49 IST2024-04-29T16:47:26+5:302024-04-29T16:49:45+5:30
Jharkhand Lok Sabha Elections 2024: भाजपा की ओर से हजारीबाग में मनीष जायसवाल, दुमका में सीता सोरेन, चतरा में कालीचरण सिंह, धनबाद में ढुल्लू महतो, लोहरदगा में समीर उरांव और राजमहल में ताला मरांडी के नाम हैं।

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Jharkhand Lok Sabha Elections 2024: झारखंड में लोकसभा चुनाव के दौरान अपनी-अपनी नैया को पार लगाने के लिए दोनों गठबंधनों एनडीए और महागठबंधन(इंडिया) ने नए खेवैया पर भरोसा जताया है। यहां एनडीए और इंडिया गठबंधन ने राज्य की 14 लोकसभा सीटों पर 16 नए चेहरे को मैदान में उतारा है। इनमें भाजपा की ओर से हजारीबाग में मनीष जायसवाल, दुमका में सीता सोरेन, चतरा में कालीचरण सिंह, धनबाद में ढुल्लू महतो, लोहरदगा में समीर उरांव और राजमहल में ताला मरांडी के नाम हैं।
वहीं, इंडिया गठबंधन की ओर से जमशेदपुर में समीर मोहंती, सिंहभूम में जोबा मांझी, पलामू में ममता भुइयां, कोडरमा में विनोद सिंह, हजारीबाग में जे.पी. पटेल, चतरा में के.एन. त्रिपाठी, दुमका में नलिन सोरेन, रांची में यशस्विनी सहाय, धनबाद में अनुपमा सिंह और गिरिडीह में मथुरा महतो पर दांव खेला है।
उधर, राज्य की उपराजधानी दुमका की लोकसभा सीट पर 47 साल में दूसरी बार झामुमो के अध्यक्ष शिबू सोरेन मैदान से बाहर हैं। वह 1977 से इस सीट पर लगातार लड़ते रहे हैं। यही नहीं कुल आठ बार यहां से सांसद रह चुके हैं। एक बार 1996 में उन्होंने यहां अपनी पत्नी रूपी सोरेन किस्कू को उतारा था, क्योंकि वह उस वक्त राज्यसभा के सदस्य थे।
अब उनकी उम्र 80 साल है और सेहत भी ठीक नहीं है। ऐसे में उन्हें चुनाव मैदान से दूर होना पड़ा है। इस बीच रांची से तीन बार सांसद रहे कांग्रेस के दिग्गज नेता सुबोधकांत सहाय(75 वर्षीय) 1984 से लगातार इस सीट पर लड़ते रहे हैं। इस बार भी उन्होंने अखाड़े में उतरने के लिए काफी प्रयास किया लेकिन कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया।
हालांकि पार्टी ने उनकी बेटी यशस्विनी सहाय को उम्मीदवार बनाकर उनका मान रख लिया। वहीं धनबाद सीट से 2009, 2014 और 2019 में लगातार तीन बार जीत दर्ज करने वाले भाजपा के सांसद पी.एन. सिंह भी उम्र के तकाजे की वजह से इस बार टिकट से वंचित रहे। वहीं, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं।
2019 के चुनाव में उन्होंने कोडरमा सीट से झारखंड विकास मोर्चा के टिकट पर भाग्य आजमाया था, लेकिन उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। बाद में वह भाजपा में वापस लौट आए। वहीं, हेमलाल मुर्मू इस बार चुनाव मैदान में नहीं हैं। वह भाजपा छोड़कर झामुमो में शामिल हो चुके हैं, लेकिन टिकट से वंचित रह गए।
इसी तरह लोहरदगा से लगातार तीन बार सांसद चुने गए सुदर्शन भगत, हजारीबाग से लगातार दो बार जीत दर्ज करने वाले जयंत सिन्हा और चतरा से दो बार के सांसद सुनील कुमार सिंह को पार्टी ने बेटिकट कर दिया। भाजपा ने दुमका सीट पर सुनील सोरेन को उम्मीदवार घोषित कर दिया था, लेकिन बदली हुई सियासी परिस्थितियों में उनका टिकट वापस लेकर उनकी जगह सीता सोरेन को उतारा गया।
वहीं कई पूर्व सांसदों ने भी इस बार मुकाबले में उतरने के लिए बहुत जोर लगाया, लेकिन सफलता नहीं मिल सकी। ऐसे नेताओं में हजारीबाग से भाकपा के भुवनेश्वर मेहता, गोड्डा से कांग्रेस के फुरकान अंसारी, गिरिडीह से भाजपा के रवींद्र पांडेय शामिल हैं।
यही नहीं पिछले चुनाव में भाग्य आजमा चुके कई नेताओं को भी इस बार निराशा ही हाथ लगी है। जबकि सभी दलों ने नए खेवनहारों पर भरोसा जताकर अपनी नैया को पार लगाने का हर संभव प्रयास किया है। लेकिन जनता किन पर भरोसा जताती है, यह तो 4 जून को ही पता चल पाएगा।