मोदी सरकार की NCAP बेहतर शुरुआत लेकिन अधिक पारदर्शिता की ज़रूरत: ग्रीनपीस

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: March 12, 2018 07:21 PM2018-03-12T19:21:38+5:302018-03-12T19:41:04+5:30

ग्रीनपीस ने उम्मीद जताई है कि एनसीएपी को कोयला आधारित बिजली संयंत्रों (दिसंबर 2015) के लिए नए उत्सर्जन मानकों के साथ क्या हो रहा है इसका पालन नहीं करना चाहिए।

Narendra Modi-Greenpeace India-National Clean Air Campaign-Airpocalypse | मोदी सरकार की NCAP बेहतर शुरुआत लेकिन अधिक पारदर्शिता की ज़रूरत: ग्रीनपीस

मोदी सरकार की NCAP बेहतर शुरुआत लेकिन अधिक पारदर्शिता की ज़रूरत: ग्रीनपीस

नई दिल्ली, 12 मार्च: गैर-सरकारी संगठन  (एनजीओ) ग्रीनपीस इंडिया ने पीएम नरेंद्र मोदी सरकार के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु अभियान (एनसीएपी) को अच्छी शुरूआत बताते हुए इसे ज्यादा पारदर्शी बनाए जाने की जरूरत पर बल दिया है। ग्रीनपीस इंडिया ने यह दस्तावेज सूचना के अधिकार के तहत  प्राप्त किया है।

ग्रीनपीस इंडिया के सीनियर कैंपेनेर सुनील दहिया ने कहा कि 'वायु प्रदूषण की दिशा में सरकार को एकाग्रता से सोचते हुए देखना खुशी का एसहास कराता है लेकिन एनसीएपी के बारे में जनता में जागरूकता नहीं दिखाई पड़ रही है। इसलिए इस कार्यक्रम में शुरू से ही जनता में सारी जानकारी होनी चाहिए और कार्ययोजना में भी आमलोगों की भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए। एनसीएपी का अवधारणा दस्तावेज एक सार्थक दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है जिससे वायु प्रदूषण में कमी आएगी। साथ ही हम आशा करते हैं सीपीसीबी और वन एवं पर्यावरण मंत्रालय अन्य मंत्रालयों से मिलकर विस्तृत सार्थक कदम उठाएगी और इससे जनता को अवगत भी कराएगी।'

बता दें कि 17 दिसबंर 2017 को वन एवं पर्यावरण मंत्री ने राज्य सभा में दिए एक सवाल के जवाब में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु अभियान शुरू करने की घोषणा की थी। इस योजना में अलग-अलग सकारात्मक पहलुओं का जिक्र किया गया था। सुनील दहिया ने कहा 'मसविदा में समय सीमा और लक्ष्य को लेकर स्पष्ट बात करने की जरूरत है कि अगले तीन वर्षों में 35 फीसदी और पांच वर्षों में 50 फीसदी प्रदूषण कम करने के लिए प्रदूषण फैलानेवाले सैक्टर ऊर्जा और उद्योग क्षेत्रों को क्या-क्या कदम उठाना चाहिए।' 

ग्रीनपीस ने उम्मीद जताई है कि एनसीएपी को कोयला आधारित बिजली संयंत्रों (दिसंबर 2015) के लिए नए उत्सर्जन मानकों के साथ क्या हो रहा है इसका पालन नहीं करना चाहिए। दिसंबर 2017 के निर्धारित समय सीमा के बावजूद एक भी बिजली संयत्रों ने मानदंडों का अनुपालन नहीं किया है जबकि हम अभी भी बिजली संयत्रों से उत्पन्न हो रहे वायु प्रदूषण के चलते आपात स्वास्थ्य का सामना कर रहे हैं।

ग्रीनपीस इंडिया ने Airpocalypse II की रिपोर्ट में कहा था कि देश में 80 फीसदी से अधिक शहरों में जहां हवा की गुणवत्ता की जांच पड़ताल की गई है, वे गंभीर रूप से प्रदूषित है और इससे 4। 7 करोड़ बच्चे प्रभावित हैं। इसके अलावा भारत में 58 करोड़ लोग जहां रहते हैं उन जिलों में प्रदूषण मापने का कोई यंत्र ही नहीं लगा है जिससे कि पता चल सके कि वे लोग जिस हवा में सांस लेते हैं उसकी गुणवत्ता कैसी है? 

गौरतलब है कि एनसीएपी देश भर में 684 से 1000 स्टेशनों और सीएएक्यूएमएमएस से मैनुअल मॉनिटरिंग स्टेशन बढ़ाने पर जोर देती है, मौजूदा 84 से यह 268 है जो स्वागतयोग्य कदम है।

दहिया ने कहा, 'हकीकत यह है कि यह अवधारणा दस्तावेज अभी भी आम लोगों की पहुंच में नहीं है जिससे पता चले कि सरकार एनसीएपी में जनता की भागीदारी कैसे सुनिश्चित कराएगी? इसके लिए यह जरूरी है कि इस विषय पर जितनी बहसें हुई हैं, जो योजनाएं बनी हैं, कैसे इसे लागू किया जाना है और बात कहां तक आगे बढ़ी है, उसे मीडिया या सूचना तंत्र के जरिए आमलोगों के बीच पहुंचाया जाए, जिससे कि उनकी भागीदारी हो सके।'

ग्रीनपीस इंडिया ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु अभियान  के ढ़ांचे को बेहतर बनाने के लिए कुछ सुझाव दिए हैं-

-वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के भीतर इस बात को लेकर चर्चा है कि देश के कम से कम सौ शहरों में अगले तीन वर्षों में वायु प्रदूषण का स्तर 35 फीसदी और पांच वर्षों में यह स्तर 50 फीसदी तक कम किए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया जाए। 

- देश भर में मैनुअल मॉनिटरिंग स्टेशन को 684 से 1000 किए जाने की योजना है जबकि सीएएक्यूएमएस की संख्या 84 से बढ़ाकर 268 करने की है।

- सभी 67 एनएएमपी स्टेशनों पर पीएम 2.5 मोनिटरिंग संरचना को बढ़ाने की जरूरत है जो इस वर्ष तक एक हजार कर दिया जाएगा।

- देश भर में विभिन्न श्रोतों से प्रदूषण से निपटने, बिजली, परिवहन, उद्योग, आवासीय और कृषि क्षेत्रों व शहरी समय सीमा के बाहर के क्षेत्रों और से बाहर का तत्काल अंतर्राज्यीय दृष्टिकोण 

- राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के लिए योजना और कार्यान्वयन पर सार्वजनिक, समावेशी भागीदारी के लिए प्रचार-प्रसार

- वायु की गुणवत्ता के आंकड़ों के लिए वायू सूचना केंद्र की स्थापना के साथ ही जीआईएस प्लेटफार्म का निर्माण

- वायु गुणवत्ता का लगातार सूचना प्रसारित करने के लिए सूचना केंद्र स्थापित करना जिससे कि अगले दिन की हवा की गुणवत्ता की जानकारी मिले।

- एक अद्यतन राष्ट्रीय उत्सर्जन सूची का निर्माण।


 

Web Title: Narendra Modi-Greenpeace India-National Clean Air Campaign-Airpocalypse

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