नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2024 में सेना भर्ती की नई योजना अग्निपथ को विपक्ष ने निशाने पर लिया था। अब जानकारी सामने आई है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार अग्निपथ योजना में कुछ सुधार कर सकती है। इस बारे सरकार ने एक आंतरिक सर्वे किया था और सिफ़ारिशों के अनुसार नियमित सैनिकों और अग्निवीरों के वेतन को बराबर करने का प्रस्ताव भी शामिल है।
टाइम्स नाउ ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि चार साल की सेवा पूरी करने के बाद स्थाई किए जाने वाले सैनिकों की संख्या 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत की जा सकती है। नियमित सैनिकों और अग्निवीरों के वेतन को बराबर करने पर भी विचार किया जा सकता है। प्रशिक्षण या ड्यूटी के दौरान लगी चोट के मामलों में अग्निवीरों के लिए लाभ बढ़ाने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला गया है।
रिपोर्ट के अनुसार अग्निवीर योजना पर फीडबैक इकट्ठा करने की प्रक्रिया सावधानीपूर्वक आयोजित की गई है। सैन्य पदानुक्रम के विभिन्न स्तरों पर विभिन्न हितधारकों के इनपुट को इसमें शामिल किया गया है। फीडबैक स्वयं अग्निवीरों, भर्ती एजेंसियों, प्रशिक्षण केंद्रों, इकाइयों जहां अग्निवीरों को तैनात किया गया है, और सेना मुख्यालय के भीतर विभिन्न निकायों से प्राप्त किया गया है।
इस सर्वे में अग्निपथ योजना को लेकर जितने भी फीडैक मिले हैं उसे विचार के लिए सैन्य मामलों के विभाग (डीएमए) को प्रस्तुत किया जाएगा। अग्निपथ योजना के कार्यान्वयन के तुरंत बाद फीडबैक सर्वेक्षण शुरू हुआ था। अनुमान लगाया गया है कि किसी भी निर्णय को अंतिम रूप देने से पहले सिफारिशों पर सरकार के साथ गहन परामर्श किया जाएगा। यदि प्रस्तावित सुधारों को अपनाया जाता है तो संभावित रूप से अग्निपथ योजना को नया आकार दिया जा सकता है।
अग्निवीर योजना क्या है?
2022 में तीनों सेनाओं की भर्ती से संबंधित नए नियम लाए गए थे। अग्निपथ योजना में चार साल की अवधि के लिए उम्मीदवारों का चयन शामिल है। इस अवधि के पूरा होने पर उम्मीदवार स्थायी कैडर में नामांकन के लिए पात्र होते हैं। नई योजना के तहत भर्ती किए गए जवानों में से केवल 25% को नियमित सदस्यों के रूप में सशस्त्र बलों में शामिल होने का अवसर मिलता है।अग्निपथ योजना के तहत चुने गए लोगों को अग्निवीरों के रूप में जाना जाता है। 17.5 से 21 वर्ष की आयु के युवा इसके लिए योग्य हैं।