प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अपने मंत्रिपरिषद का पहला फेरबदल किया। उन्होंने 2019 में दूसरे कार्यकाल के लिए शपथ ग्रहण किया था। इस मंत्रिपरिषद में कई लोगों को उनके कार्यों का इनाम मिला है। जहां असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल को पद छोड़ने का इनाम मिला है, वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस तोड़कर भाजपा में आने के लिए मंत्रिपरिषद में कैबिनेट पद दिया गया है।
सर्बानंद सोनोवाल को केंद्र में बड़ी जिम्मेदारी मिलने की उम्मीद तभी से लगाई जाने लगी थी, जब उन्होंने असम की कमान हेमंत बिस्व सरमा को सौंपी थी। यह पहला मौका नहीं है, जब वे मंत्रिपरिषद में शामिल हुए हैं। पीएम मोदी के पहले कार्यकाल में वे खेल एवं युवा मामलों के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) थे। 2016 में उन्हें असम का मुख्यमंत्री बनाया गया था।
वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया को कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई है। माना जा रहा है कि उन्हें रेल मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। कभी कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया करीब 15 महीने पहले भाजपा में शामिल हुए थे। वे मनमोहन सरकार में मंत्री भी रहे थे। हालांकि 10 मार्च 2020 को पार्टी छोड़कर अगले दिन भाजपा में शामिल हो गए थे। उनके साथ कई विधायकों ने भी कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। उन्हें मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार बनाने के लिए यह पुरस्कार मिला है।
वहीं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे ने 2019 में कांग्रेस का दामन छोड़कर भाजपा का दामन थामा था। राणे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी रहे हैं। 16 साल में शिवसेना से जुड़ने के बाद कई बार मंत्री रहे। इसके बाद कांग्रेस के साथ जुड़े और फिर भाजपा में आए। उद्धव ठाकरे से राणे का छत्तीस का आंकड़ा माना जाता है। बाल ठाकरे का सम्मान करने वाले राणे ठाकरे परिवार पर निशाना साधने के लिए जाने जाते हैं। ऐसे में जब शिवसेना और भाजपा के रिश्ते खराब हैं, राणे का कैबिनेट में आना इन दूरियों को और बढ़ा सकता है।
चिराग पासवान के चाचा और लोजपा से सांसद पशुपति कुमार पासवान को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। चिराग पासवान के कड़े विरोध को दरकिनार कर पीएम मोदी ने पारस को मंत्री बनाया है। बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग ने नीतिश कुमार का विरोध किया था, इसे लेकर भाजपा नेतृत्व चिराग के खिलाफ था। इसीलिए पारस को चुना गया। लोजपा कोटे से एक जगह खाली थी और उसे चिराग को देकर भाजपा नेतृत्व नीतीश कुमार और जेडीयू को नाराज नहीं करना चाहती थी।