हिंदी के मशहूर साहित्यकार और आलोचक रहे डॉक्टर नामवर सिंह का मंगलवार रात (19 फरवरी) निधन हो गया। वह 92 साल के थे। नामवर सिंह ने दिल्ली के एम्स में तकरीबन 11.50 बजे आखिरी सांस ली। उनके निधन की खबर आते ही सोशल मीडिय पर भी कई जानी-मानी हस्तियों और आम लोगों ने भी दुख जताया। नामवर पिछले महीने अपने घर में गिर गये थे। इसके बाद से ही वह एम्स में भर्ती थे।
पत्रकार उत्पल पाठक ने नामवर सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, "हिन्दी साहित्य में आलोचना और स्वस्थ साहित्यिक संवाद के एक युग का अवसान। नामवर जी का जाना एक स्वयं रचित इतिहास की इति: है। बनारस का एक बड़ा हिस्सा आज बनारस से अलग हो गया। हिन्दी की दूसरी परम्परा के प्रथम खोजकर्ता को अन्तिम प्रणाम।"
उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने डॉक्टर नामवर सिंह के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया। हरीश रावत ने शोक व्यक्त करते हुए ट्वीट किया, नामवर जी नहीं रहे।सचमुच एक युग बीत गया।कृतज्ञ हिंदी समाज आपको पढ़कर बल अर्जित करता रहेगा।विनम्र श्रद्धांजलि गुरुवर! हिन्दी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार और समालोचक डॉ० #NamvarSingh जी का निधन साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। मैं नामवर सिंह जी के निधन पर अपना गहरा दु:ख व्यक्त करता हूं और दिवंगत पुण्य आत्मा की शांति के लिए व शोक संतप्त परिजनों को संबल प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना करता हूं।"
इंडिया टीवी के संस्थापक संपादक रजत शर्मा ने डॉक्टर नामवर सिंह के निधन पर शोक जताते हुए इसे साहित्य जगत के लिए अपूर्णनीय क्षति बताया। रजत शर्मा ने ट्वीट किया, हिन्दी साहित्य के मूर्धन्य आलोचक और वाचिक परम्परा के पुरोधा नामवर सिंह के निधन की खबर से मर्माहत हूं। ईश्वर उनकी आत्मा को चिर शांति प्रदान करें।
वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी ने नामवर के निधन पर लिखा, 'हिंदी में फिर सन्नाटे की ख़बर। नायाब आलोचक, साहित्य में दूसरी परम्परा के अन्वेषी, डॉ नामवर सिंह नहीं रहे। मंगलवार को आधी रात होते-न-होते उन्होंने आख़िरी साँस ली। कुछ समय से एम्स में भरती थे। 26 जुलाई को वे 93 के हो जाते। उन्होंने अच्छा जीवन जिया, बड़ा जीवन पाया। नतशीश नमन।' पीयूष रंजन परमार ने नामवर सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए फेसबुक पर लिखा है, "आधुनिक हिन्दी आलोचना जिनके इशारे पर चलने को विवश हुई- ऐसे युग-पुरुष को अत्यंत आदर के साथ मेरी श्रद्धांजलि। हिंदी साहित्य का पहाड़ टूट गया। नामवर सिंह नहीं रहे। नामवर सिंह जब तक रहे यह लगता था मानो साहित्य की दुनिया में 'देस' बचा हुआ है। जगह जो भी रहे - दिल्ली या लंदन, धोती-कुर्ता बचा हुआ है। पान मुंह में घुलाये हुए एक बनारसी का थाट बचा हुआ है। एक परंपरा खो गयी है और अब हिंदी के पास गर्व करने को कोई ध्रुव-तारा नहीं।" साहित्यिक आलोचकों का एक जलता दीप बुझा और काशी का शान भी। 19 फ़रवरी 2019 का रात्रि आपको आलोचना हेतु भगवान के पास ले जाकर हम साहित्य प्रेमियों को दुखी किया। गुरुवर प्रो नामवर सिंह जी को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि। नामवर जी नहीं रहे।सचमुच एक युग बीत गया।कृतज्ञ हिंदी समाज आपको पढ़कर बल अर्जित करता रहेगा।विनम्र श्रद्धांजलि गुरुवर! जनवादी लेखक संघ (जलेस) ने नामवर सिंह के निधन पर शोक-संदेश जारी किया। जलेस ने संदेश में नामवर जी के निधन को एक युग का अवसान बताया। जलेस ने इस संदेश में कहा, "उनका देहावसान एक युग का अवसान है. 92 वर्ष से अधिक की अवस्था में भी, और साहित्यिक सक्रियता के अत्यंत सीमित हो जाने के बावजूद, वे हिन्दी में एक अनिवार्य उपस्थिति की तरह थे. भारत से लेकर विश्व के अन्य हिस्सों तक के साहित्य और सराहना-प्रणालियों का ऐसा विशद ज्ञान, ऐसी तलस्पर्शी विश्लेषण-क्षमता, ऐसी भाषा और प्रत्युत्पन्नमति और आलोचना का ऐसा लालित्य अब हमारे बीच दुर्लभ है. 70 वर्षों की साहित्यिक सक्रियता में नामवर जी ने कभी अपने को पुराना नहीं पड़ने दिया. अपने ज्ञान को हमेशा अद्यतन रखना, नयी-से-नयी चीज़ें पढ़ना और उन्हें अपनी व्याख्या तथा व्याख्यान का हिस्सा बनाना नामवर जी से ही सीखा जा सकता था."