मुंबईः राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता एवं महाराष्ट्र के मंत्री छगन भुजबल ने बुधवार को कहा कि वह पात्र मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र जारी करने के सरकारी आदेश के खिलाफ अदालत का रुख करेंगे। मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे की भूख हड़ताल के बीच जारी शासी संकल्प (जीआर) पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के प्रमुख नेता भुजबल दिन में हुई कैबिनेट की बैठक में शामिल नहीं हुए। भुजबल ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘ओबीसी नेताओं को जीआर पर संदेह है... कि जरांगे के आंदोलन के बाद कौन जीता।
हम इस बारे में कानूनी राय ले रहे हैं कि क्या सरकार लोगों की जाति बदलने के लिए अधिकृत है।’’ जब उनसे पूछा गया कि क्या वह स्वयं शासी आदेश के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे, तो भुजबल ने हां में जवाब दिया। उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष एवं उपमुख्यमंत्री अजित पवार द्वारा बुलाई गई पार्टी नेताओं की बैठक में भी हिस्सा नहीं लिया।
इस बीच, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भुजबल से बात करेंगे और उन्हें तथ्य समझाएंगे। उन्होंने कहा कि तथ्यों की जानकारी मिलने के बाद भुजबल को संतुष्ट किया जाएगा। शिंदे ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘सरकार द्वारा लिया गया निर्णय कानून सम्मत है। निर्णय लेते समय किसी अन्य समुदाय के साथ कोई अन्याय नहीं किया गया है।’’
मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने सरकार द्वारा उनकी अधिकांश मागों को माने जाने के बाद मंगलवार को मुंबई में अपना पांच-दिवसीय विरोध प्रदर्शन समाप्त कर दिया। उनकी मांगों में पात्र मराठाओं को कुनबी जाति का प्रमाण पत्र प्रदान करना भी शामिल है, जिससे वे ओबीसी को मिलने वाले आरक्षण लाभ के पात्र हो जाएंगे। कुनबी एक पारंपरिक कृषक समुदाय है जो महाराष्ट्र में ओबीसी श्रेणी में शामिल है, लेकिन ओबीसी समुदाय मराठों को इस श्रेणी में शामिल किए जाने का विरोध कर रहे हैं।
कटु आलोचक राउत ने मराठा आरक्षण आंदोलन के समाधान का श्रेय फडणवीस को दिया
शिवसेना (उबाठा) नेता संजय राउत ने बुधवार को मराठा आरक्षण आंदोलन के समाधान और कार्यकर्ता मनोज जरांगे की भूख हड़ताल समाप्त कराने का श्रेय महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को दिया। राउत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और फडणवीस के कटु आलोचक रहे हैं। राउत ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि फडणवीस पर्दे के पीछे से काम कर रहे थे और मराठा आरक्षण पर कैबिनेट उप-समिति के साथ विचार-विमर्श में शामिल थे। राउत ने कहा कि यदि सरकार ने इस मुद्दे का समाधान किया है और जरांगे की जान बचाई है, तो इसका स्वागत किया जाना चाहिए।
शिवसेना (उबाठा) नेता राउत ने कहा, ‘‘देवेंद्र फडणवीस इस मुद्दे को सुलझाने के लिए विचार-विमर्श में शामिल थे। वह पर्दे के पीछे रहकर काम कर रहे थे। सारा श्रेय फडणवीस को जाना चाहिए।’’ जरांगे और मराठा प्रदर्शनकारियों द्वारा मुख्यमंत्री की तीखी आलोचना का उल्लेख करते हुए राउत ने कहा, ‘‘मैं फडणवीस के धैर्य की भी सराहना करता हूं।"
उन्होंने हालांकि, दावा किया कि जब जरांगे अपना अनशन शुरू करने मुंबई आए थे, तो भाजपा नेताओं की भाषा अलग थी। राउत ने दावा किया कि फडणवीस को छोड़कर भाजपा नेताओं ने ‘‘अत्यधिक नफरत फैलाने’’ की कोशिश की। शिवसेना (उबाठा) ने मराठा आंदोलन को लेकर उप-मुख्यमंत्री अजित पवार और एकनाथ शिंदे पर निशाना साधा। राउत ने कहा, ‘‘एकनाथ शिंदे और अजित पवार कहां थे? उन्होंने विचार-विमर्श में हिस्सा क्यों नहीं लिया? क्या वे चाहते थे कि मामला बिगड़े और फडणवीस मुश्किल में पड़ें।’’
जरांगे ने मंगलवार को अपने अनशन के पांचवें दिन जीत की घोषणा की, जब महाराष्ट्र सरकार ने उनकी अधिकांश मांगों को स्वीकार कर लिया। इसमें पात्र मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र प्रदान करना भी शामिल है, जिससे वे अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को मिलने वाले लाभों में आरक्षण के पात्र हो जाएंगे।