नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। इस बार उन्होंने संसद सदस्यों (सांसदों) की तुलना मंदिरों की मूर्तियों से की है। राहुल ने कहा कि सांसद मंदिर की मूर्तियों की तरह हैं जिनके पास कोई शक्ति नहीं है।
राज्यसभा में महिला आरक्षण विधेयक पारित होने के एक दिन बाद एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने शुक्रवार को सरकार पर हमला करते हुए कहा कि यह विधेयक "जाति जनगणना की मांग से ध्यान भटकाने और ध्यान भटकाने की रणनीति" है।
ओबीसी आरक्षण और प्रतिनिधित्व को लेकर बीजेपी पर राहुल ने जमकर हमला किया। अमित शाह पर निशाना साधते हुए राहुल ने कहा कि लोकसभा में भाजपा के पास ओबीसी प्रतिनिधित्व है लेकिन यह सिर्फ कहने के लिए है। गांधी ने कहा कि कोई भी भाजपा सांसद कोई निर्णय नहीं ले सकता या कानून बनाने में भाग नहीं ले सकता।
कांग्रेस नेता ने कहा, "न तो कांग्रेस सांसद, न ही बीजेपी सांसद, न ही कोई अन्य सांसद। सांसदों को मंदिरों की मूर्तियों में बदल दिया गया है। ओबीसी सांसदों को (संसद में) मूर्तियों की तरह भर दिया गया है, लेकिन उनके पास कोई शक्ति नहीं है। देश चलाने में उनका कोई योगदान नहीं है। यह एक सवाल है जो मैंने उठाया है।"
राहुल के इस बयान पर सोशल माीडिया पर हंगामा भी शुरू हो गया है। उन्हें हिंदू विरोधी बताया गया है। भाजपा नेता और पार्टी के पूर्व महासचिव पी मुरलीधर राव ने गांधी पर उनकी टिप्पणियों को लेकर निशाना साधा और पूछा कि अगर गांधी परिवार को लगता है कि मूर्तियाँ शक्तिहीन हैं तो वे मंदिरों में क्यों जाते हैं।
राव ने एक्स, (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, "हिंदू विरोधी राहुल गांधी और कांग्रेस एक बार फिर बेनकाब हो गए हैं! अगर राहुल गांधी को लगता है कि मंदिरों में मूर्तियां शक्तिहीन और निर्जीव हैं तो वे इतने सारे मंदिरों में क्यों जा रहे हैं? हिंदुओं के लिए इससे अधिक अपमानजनक नहीं हो सकता, चाहे इससे हिंदुओं की भावनाएं कितनी ही आहत क्यों न हों, चुनावी हिंदू राहुल गांधी के लिए यह कोई नई बात नहीं है।"