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मोदी सरकार जल्द ही ई सिगरेट और निकोटिन के स्वाद वाले हुक्कों पर लगाएगी प्रतिबंध

By भाषा | Updated: August 18, 2019 18:07 IST

नई सरकार के 75 दिन पूरे होने के मद्देनजर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ‘इलेक्ट्रॉनिक निकोटिन डिलेवरी सिस्टम्स (ईएनडीएस) के निर्माण, बिक्री और आयात पर प्रतिबंध लगाने के लिए हरकत में आ गया है।

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ठळक मुद्देउच्च न्यायालय पूर्व में इस प्रकार के उत्पादों पर प्रतिबंध लाने के केन्द्र सरकार के फैसले पर रोक लगा चुका है। माना जा रहा है कि मंत्रालय इस मुद्दे पर कानूनी विकल्प भी तलाश रहा है।

केन्द्र सरकार ‘इलेक्ट्रॉनिक निकोटिन डिलेवरी सिस्टम्स (ईएनडीएस) के निर्माण, बिक्री और आयात पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक अध्यादेश लाने सहित कई विकल्पों पर विचार विमर्श कर रही है। केन्द्र सरकार इस मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय से राहत नहीं मिलने पर ऐसा कदम उठा सकती है।

दरअसल उच्च न्यायालय पूर्व में इस प्रकार के उत्पादों पर प्रतिबंध लाने के केन्द्र सरकार के फैसले पर रोक लगा चुका है। धूम्रपान के वैकल्पिक उपकरण जैसे ई सिगरेट ,‘हीट नॉट बर्न डिवाइस’,वेप तथा ई निकोटिन फ्लेवर वाले हुक्के पर प्रतिबंध मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में स्वास्थ्य मंत्रालय के पहले 100 दिनों के एजेंडे में शीर्ष प्राथमिकताओं में से एक है।

नई सरकार के 75 दिन पूरे होने के मद्देनजर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ‘इलेक्ट्रॉनिक निकोटिन डिलेवरी सिस्टम्स (ईएनडीएस) के निर्माण, बिक्री और आयात पर प्रतिबंध लगाने के लिए हरकत में आ गया है। सूत्रों ने बताया,‘‘मंत्रालय ईएनडीएस डिवाइसों के निर्माण,बिक्री और आयात पर प्रतिबंध के लिए अध्यादेश लाने सहित अनेक विकल्प तलाश रहा है।’’ माना जा रहा है कि मंत्रालय इस मुद्दे पर कानूनी विकल्प भी तलाश रहा है।

केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने राज्य के सभी औषधि नियंत्रकों को पत्र लिख कर कहा है कि वे ईएनडीएस की बिक्री,निर्माण, वितरण,व्यापार,आयात अथवा विज्ञापन करने की इजाजत नहीं दें। दिल्ली उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने इस साल मार्च में अपने एक फैसले में केन्द्र के सर्कुलर पर अंतरिम रोक लगाते हुए कहा था कि ये उत्पाद मादक पदार्थ नहीं हैं और इस प्रकार का निर्देश जारी करने का अधिकार अधिकारियों को नहीं है।

केन्द्र ने इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय की खंडपीठ में अपील की थी। खंडपीठ ने केन्द्र की याचिका खारिज कर दी। हालांकि सरकार को अपनी याचिका ले कर एकल पीठ के पास जाने का निर्देश दिया। 

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