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मिशन शक्ति: 'यूपीए सरकार में नहीं थी क्षमता, वैज्ञानिकों को कर दिया था परीक्षण करने से मना'

By रोहित कुमार पोरवाल | Updated: March 27, 2019 16:45 IST

प्रेस कॉन्फ्रेस में जेटली ने कहा, ''वैज्ञानिकों का कहना था कि उनके पास यह क्षमता है.. और भारत सरकार हमें अनुमति नहीं देती है.. और क्योंकि भारत सरकार हमें अनुमति नहीं देती है तो हम इस ताकत को बनाने और डेबलप करने में समर्थ नहीं हैं..।''

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ठळक मुद्देमिशन शक्ति: कांग्रेस ने लिया श्रेय, अरुण जेटली बोले- वैज्ञानिकों में थी लेकिन यूपीए सरकार में नहीं थी क्षमता'अरुण जेटली ने कहा कि ए-सेट की पूरी प्रकिया 2014 के बाद तब शुरू हुई जब प्रधानमंत्री मोदी ने अनुमति दी

दुश्मन देश के सैटेलाइट भेदने की क्षमता में भारत भी शामिल हो गया और इस प्रकार देश अंतरिक्ष में चौथी महाशक्ति बन गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को बताया कि डीआरडीओ ने स्वदेशी एंटी सैटेलाइट वेपन (ए-सेट) के जरिये मिशन शक्ति को अंजाम दिया। रूस, अमेरिका और चीन के बाद एलीट स्पेस क्लब में शामिल होना भारत के लिए निश्चित तौर पर बड़ी उपलब्धि हैं लेकिन अब सत्तारूढ़ नरेंद्र मोदी सरकार और पूर्व की यूपीए सरकार के बीच इसका श्रेय लेने की होड़ देखी जा रही है। प्रधानमंत्री द्वारा भारतीय वैज्ञानिकों और देशवासियों को बधाई देने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने कहा, ''यूपीए सरकार ने ए-सेट प्रोग्राम शुरू किया था जो आज फलीभूत हुआ है। मैं अपने अंतरिक्ष वैज्ञानिकों और डॉक्टर मनमोहन सिंह के दूरदर्शी नेतृत्व को बधाई देता हूं।'' 

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कांग्रेस पर पलटवार किया। प्रेस कॉन्फ्रेस में जेटली ने कहा, ''वैज्ञानिकों का कहना था कि उनके पास यह क्षमता है.. और भारत सरकार हमें अनुमति नहीं देती है.. और क्योंकि भारत सरकार हमें अनुमति नहीं देती है तो हम इस ताकत को बनाने और डेबलप करने में समर्थ नहीं हैं। ये क्षमता इस देश के वैज्ञानिकों में थी और इसका सबसे बड़ा सबूत ये है.. और मेरे जो कांग्रेस के मित्र खुद की पीठ थपथपा रहे हैं वो याद रखें कि जब अग्नि-5 लॉन्च हुआ था.. तो उसके लॉन्च की जब घोषणा हुई.. अप्रैल 2012 में.. 

मैं तारीख भी बता दूं अगर आप 21 अप्रैल 2012 के समाचार पत्र.. विशेष रूप से इंडियन एक्सप्रेस पढ़ लें और उसमें मनु पवी की स्टोरी पढ़ लें कि डॉक्टर वीके सारस्वत ने ये कहा, ''वी नाउ हैव दि कैपेसिटी टू डेबलप एंड द डिजायर टू डेबलप एन एंटी सैटेलाइट मिसाइल, बट द गवर्नमेंट हैज नॉट परमिटिड अस टू डू सो.. तो इसलिए जो अपनी गलत पीठ थपथपाते हैं.. अपने फेलियर्स के लिए.. उनको याद रहे कि उनकी जो कहानी है उसके फुट प्रिंट्स बहुत लंबे हैं.. और कहीं न कहीं इस झूठ के फुट प्रिंट्स मिल जाते हैं।''

अरुण जेटली ने आगे कहा कि ए-सेट की पूरी प्रकिया 2014 के बाद तब शुरू हुई जब प्रधानमंत्री मोदी ने अनुमति दी। उसके बाद वैज्ञानिकों ने शोध कार्य किया। उन्होंने कहा,  ''कितनी बड़ी एचीवमेंट है.. केवल हम स्पेस पावर बन गए हैं ये केवल इतना नहीं है.. वो तो स्वाभाविक हैं कि हम स्पेस पावर हैं.. हम इस दृष्टि से बिग फोर में हैं।'' 

वित्त मंत्री ने कहा, ''हमें याद रहे कि जो पुरानी लड़ाइयां थीं, जो पुराने युद्ध होते थे और जो अगले युग के युद्ध होंगे वो अलग-अलह होंगे। आने वाले कल के युद्ध बीते हुए कल की तरह नहीं होंगे।'' उन्होंने ए-सेट के स्वदेशी होने पर खासा जोर दिया और कहा कि भारत अब सुरक्षित हाथों में है।

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