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#MeToo: महिला पत्रकार ने पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर के खिलाफ दिल्ली की कोर्ट में दी गवाही

By भाषा | Updated: December 10, 2019 22:43 IST

महिला पत्रकार रमानी ने पिछले साल आरोप लगाया था कि अकबर ने 20 साल पहले उसके साथ कथित रूप से यौन दुर्व्यवहार किया। उन्होंने अंग्रेजी अखबार ‘एशियन एज’ में जनवरी से अक्टूबर 1994 तक काम किया।

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ठळक मुद्देमहिला पत्रकार ने मंगलवार को दिल्ली की एक अदालत में आरोप लगाया कि पूर्व केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर ने 1997 में उस समय उनका कथित रूप से यौन उत्पीड़न किया, जब वह उनके द्वारा संपादित एक अखबार में काम कर रही थीं। भारत में ‘मीटू अभियान’ के दौरान अकबर का नाम आने और सोशल मीडिया पर इसकी चर्चा बढ़ने के बाद उन्होंने पिछले साल 17 अक्टूबर को केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था।

एक महिला पत्रकार ने मंगलवार को दिल्ली की एक अदालत में आरोप लगाया कि पूर्व केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर ने 1997 में उस समय उनका कथित रूप से यौन उत्पीड़न किया, जब वह उनके द्वारा संपादित एक अखबार में काम कर रही थीं। महिला पत्रकार गजाला वहाब ने अकबर द्वारा लेखिका प्रिया रमानी के खिलाफ दायर की गई आपराधिक मानहानि शिकायत में रमानी के समर्थन में एक गवाह के रूप में अदालत के समक्ष अपना बयान दर्ज कराया।

भारत में ‘मीटू अभियान’ के दौरान अकबर का नाम आने और सोशल मीडिया पर इसकी चर्चा बढ़ने के बाद उन्होंने पिछले साल 17 अक्टूबर को केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। इस सिलसिले में अकबर ने रमानी के खिलाफ एक निजी आपराधिक मानहानि की शिकायत दर्ज कराई थी।

रमानी ने पिछले साल आरोप लगाया था कि अकबर ने 20 साल पहले उसके साथ कथित रूप से यौन दुर्व्यवहार किया। उन्होंने अंग्रेजी अखबार ‘एशियन एज’ में जनवरी से अक्टूबर 1994 तक काम किया। रमानी ने अदालत से कहा कि महिला के बयान से अकबर का ये दावा गलत साबित हो गया है कि उनकी “बेदाग प्रतिष्ठा” रही है।

वहाब ने अपने बयान में कहा, “मेरी डेस्क अकबर के कार्यालय के ठीक बाहर इस तरह थी कि अगर उसका दरवाजा थोड़ा भी खुला होता तो वह मुझे देख सकता था। मैंने कई बार उसे मुझे देखते हुए पाया। अगर वहां कोई मिलने आता तो दरवाजा बंद होता, और जब वह अकेला होता, तो दरवाजा खुला रहता। बाद में उसने एशियन एज की आंतरिक संदेश सेवा पर मुझे मेरे कपड़ों और रूपरंग को लेकर निजी संदेश भेजने शुरू कर दिए।”

उन्होंने आरोप लगाया कि बाद में अकबर ने उन्हें कार्यालय में बुलाकर उनके साथ यौन दुर्व्यवहार भी किया। अकबर ने यौन दुर्व्यवहार के सभी आरोपों से इनकार किया है। महिला लेखिका ने आगे कहा कि उन्होंने इस घटना के बारे में सीमा मुस्तफा को बताया, जो उस समय ब्यूरो प्रमुख थीं। उन्होंने अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट विशाल पाहुजा को बताया, “उन्होंने (मुस्तफा) कहा कि वह उसके व्यवहार से हैरान नहीं हैं और वह मेरी मदद करने में असमर्थ हैं और यह पूरी तरह से मेरी गलती थी और अब मुझे यह तय करना था कि आगे क्या करना है। मैं 26 साल की थी, अकेली उलझन में थी, असहाय और सबसे बड़ी बात थी कि (मैं) डर गई थी। एशियन एज में यौन दुर्व्यवहार की शिकायत सुनने के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी। इस तरह के मामलों को सुनने के लिए कोई आंतरिक तंत्र या नीति नहीं थी। जो करना था मुझे खुद करना था।“

उन्होंने आगे कहा, “अकबर न सिर्फ एशियन एज के प्रधान संपादक थे, वह सांसद भी थे और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता भी थे। उसकी ताकत और पहुंच को देखते हुए मैंने सोचा कि अपनी शिकायत को सार्वजनिक करना या इसके बारे में सोचना भी ठीक नहीं होगा। मेरा पूरा जीवन मेरे सामने था। पिछले तीन वर्षों के दौरान मैंने दिल्ली में रहने और काम करने के लिए अपने घर में लड़ाई लड़ी थी।”

वहाब ने कहा कि इसके बाद नवंबर 1997 में अकबर ने टैरो कार्ड रीडर वीनू सान्याल को मेरे पास भेजा और “जिन्होंने मुझसे कहा कि उन्हें मुझसे प्यार हो गया है और मुझे विरोध छोड़ देना चाहिए।” इस मामले में सान्याल अकबर के पक्ष से गवाह हैं। वहाब ने अदालत से कहा मीटू अभियान से उन्हें अपनी आपबीती साझा करने का हौसला मिला।

रमानी ने अदालत से कहा कि वहाब की कहानी से अकबर का दावा पूरी तरह गलत साबित हो गया है। अदालत इस मामले में बुधवार को भी सुनवाई जारी रखेगी, जब वहाब से अकबर द्वारा जिरह की जा सकती है। वहाब ने बताया कि उन्होंने एशियन एज समाचार पत्र के दिल्ली कार्यालय में 1995 में नौकरी शुरू की थी। वर्ष 1997 की शुरुआत में कार्यालय नए भवन में स्थानांतरित हुआ, जहां उनकी डेस्क अकबर के कार्यालय के ठीक बाद थी। वर्ष 1998 की शुरुआत में वहाब ने एशियन एज छोड़ दिया। ग

जाला वहाब इस समय फोर्स पत्रिका की कार्यकारी संपादक हैं। अकबर ने इससे पहले अदालत से कहा था कि ‘वोग’ पत्रिका में छपे लेख और उसके बाद किए ट्वीट से उनकी मानहानि हुई है और रमानी के “झूठे” आरोपों से उनकी प्रतिष्ठा को नुसकान पहुंचा है।

रमानी ने अदालत को बताया था कि उनके अकबर द्वारा कथित यौन दुर्व्यवहार के “खुलासे” की उन्होंने “निजी तौर पर भारी कीमत” चुकाई है और “इससे उन्हें कोई फायदा नहीं मिला है।” उन्होंने कहा कि उनके कदम से महिलाओं में बोलने की ताकत और कार्य स्थल पर अपने अधिकारों की समझ आएगी। 

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