जम्मूः पिछले साल 5 अगस्त से ही नजरबंदगी में रखी गईं पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को लेकर आज सुप्रीम केार्ट ने प्रदेश प्रशासन की खिंचाई की है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती की हिरासत के मुद्दे पर कहा कि महबूबा को हमेशा हिरासत में नहीं रखा जा सकता।
पार्टी की बैठक में भाग लेने के लिए, उन्हें अधिकारियों से अनुरोध करना चाहिए। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए वह बैठक भाग लें, इस पर विचार किया जा सकता है। अदालत ने बेटी इल्तिजा और उनके भाई तस्दुक मुफ्ती को महबूबा मुफ्ती से मिलने की अनुमति दी है। जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की हिरासत पर सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर प्रशासन से जवाब भी मांगा है।
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत अधिकतम कितनी हिरासत हो सकती है? और महबूबा को कितने समय तक हिरासत में रखा जाएगा? न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति ऋषिकेश राय की पीठ ने कहा कि पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती को पार्टी की बैठकों में हिस्सा लेने के लिए अधिकारियों से अनुरोध करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इल्तिजा मुफ्ती और उनके मामा को महबूबा मुफ्ती से हिरासत में मिलने की अनुमति दी है।
पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा ने नजरबंदी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने से एक दिन पहले 4 अगस्त की रात महबूबा को हिरासत में लिया गया था। उन्हें पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत नजरबंद रखा गया है। इसके तहत किसी को भी बिना मुकदमे के 2 साल तक की हिरासत में रखा जा सकता है।
दरअसल महबूबा जम्मू कश्मीर की एकमात्र प्रमुख नेता हैं जिन्हें अब तक नजरबंद रखा गया है। उनके साथ हिरासत में लिए गए पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला को रिहा कर दिया गया है। फारूक अब्दुल्ला को गत 15 मार्च को रिहा किया गया था।
जबकि उमर को 10 दिन बाद 25 मार्च को रिहा किया गया था। अपनी रिहाई के बाद से उमर लगातार सभी नेताओं की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। दरअसल प्रदेश प्रशासन इस बात से दहशतजदा है कि महबूबा अभी भी हवा का रुख मोड़ने की कुव्वत रखती हैं, इसलिए वह उसकी रिहाई को लगातार टाल रहा है।