नई दिल्ली, 20 मार्च; विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में मंगलवार को यह सूचना दी इराक के मोसुल से अगवा किए 39 भारतीयों की मौत हो गई है। सुषमा स्वराज के इस सूचना के बाद लोग इसकी निंदा कर रहे हैं। राजनेताओं से लेकर आम लोगों का भी यह कहना है कि आखिरकर सुषमा स्वराज ने यह बात छुपाकर क्यों रखी। इसी दौरान इन 39 भारतीयों में मारे गए पंजाब के मंजिंदर सिंह की बहन का भी बयान आया है।
न्यूज एजेंसी एएनआई से इराक के मोसुल में मारे गए मंजिंदर सिंह की बहन गुरपीरेंद्र कौर ने कहा, आखिरकर भारत सरकार ने हमने यह क्यों छुपाकर रखा कि उनके भाई की मौत हो चुकी है। 4 साल से सरकार यह बात क्यों छुपा रही है और अचानक इस तरह संसद में इस बात का खुलासा कर देने से हमें समझ नहीं आ रहा है कि हम क्या करें। मुझे सुषमा स्वराज से बात करनी है कि हमारे परिवार को इस बारे में कोई सूचना क्यों नहीं दी गई। मैं उनसे बात करके इस बात का जवाब मांगना चाहती हूं।'
वहीं, इस मामले में जालंधर से मारे गए मृतक के एक भाई ने कहा कि मुझे इस बारे में जानकारी तो थी लेकिन यह कब, कैसे हुआ इसकी कोई सूचना नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि इस मामेल में मेरा दो बार DNA सैंपल भी लिया गया था। सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में कहा कि मोसुल से 2014 में अगवा हुए सारे 39 भारतीयों की मौत हो चुकी है। जिसमें से 38 भारतीयों का डीएनए मैच हो गया है, जबकि 39वें शख्स का डीएनए 70 प्रतिशत तक ही मैच हुआ है। जिसपर अभी जांच जारी है। उन्होंने यह भी बताया कि सभी 39 भारतीयों को ISIS ने मारा है। सभी को मारने के बाद शवों को बगदाद भेज दिया गया था। हमने सभी शवों को पहाड़ की खुदवाई कराके निकलवाया है। सुषमा स्वराज ने इस बात का आश्वासन दिया है कि मृतकों के शरीर को उनके परिवार को सौंपा जाएगा। मारे गए लोगों में 31 लोग पंजाब के हैं। बाकी 4 लोग हिमाचल प्रदेश के हैं। वहीं, इसमें बिहार और पश्चिम बंगाल के लोग भी शामिल हैं।इस मामले में राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सरकार ने आश्वासन दिया था कि सभी भारतीय जिंदा है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर कभी न कभी चर्चा जरूर होनी चाहिए।वहीं, इस मामले में कांग्रेस नेता शशि थरूर ने सरकार से सवाल करते हुए पूछा है कि ये हर भारतीय के लिए दुख की खबर है। लेकिन मैं ये जानना चाहता हूं कि ये जानकारी देने में सरकार ने देरी क्यों की? सरकार को ये बताना चाहिए की ये कैसे हुआ, वो लोग कब मरे। साथ ही सरकार ने उनके परिवार वालों को जो उम्मीद दी थी वो गलत है।