नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को मनीष सिसोदिया द्वारा आबकारी नीति मामले में दायर जमानत याचिका खारिज कर दी है।
याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि मनीष सिसोदिया उच्च पद रह चुके हैं और वह एक पावरफुल व्यक्ति है ऐसे में वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। साथ ही पूर्व डिप्टी सीएम पर काफी गंभीर आरोप हैं और आबकारी नीति में अनुचित लाभ की गहरी साजिश रची गई थी।
अदालत में न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि मनीष सिसोदिया के खिलाफ आरोप बहुत गंभीर हैं। इस मामले में उनका व्यवहार सही नहीं है। वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। वह उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं और 18 विभागों को संभाल चुके हैं उन्हें जमनात नहीं दी जा सकती।
मालूम हो कि मनीष सिसोदिया न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में बंद हैं और सीबीआई जांच का सामना कर रहे हैं। गौरतलब है कि दिल्ली शराब नीति मामले में सीबीआई की चार्जशीट में पूर्व उपमुख्यमंत्री को आरोपी बनाया गया था। जांच एजेंसी द्वारा दायर चार्जशीट में दावा किया गया है कि मनीष सिसोदिया ने दो मोबाइल फोन नष्ट करने की बात स्वीकार की थी।
सीबीआई ने सप्लीमेंट्री चार्जशीट में हैदराबाद के सीए बुच्ची बाबू गोरंतला, शराब कारोबारी अमनदीप सिंह ढल्ल और अर्जुन पांडेय को भी नामजद किया है।
कई दौर की पूछताछ के बाद 26 फरवरी को मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया था। कथित भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर आप के वरिष्ठ नेता की सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जांच की जा रही है।