मणिपुर हिंसा: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'भीड़ ने गुलामी का संदेश देने के लिए गैंगरेप जैसी घटना को अंजाम दिया है, राज्य इसे रोकने के लिए बाध्यकारी है'

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: August 11, 2023 02:57 PM2023-08-11T14:57:26+5:302023-08-11T15:00:11+5:30

सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में महिलाओं पर हुए गंभीर अत्याचार पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा है कि हिंसक भीड़ दूसरे समुदाय को गुलामी का संदेश देने के लिए यौन हिंसा का इस्तेमाल कर रही है और राज्य किसी भी तरह ऐसे अपराध को रोकने के लिए बाध्य है।

Manipur violence: Supreme Court said, 'Mob has carried out gangrape-like incident to give message of slavery, state is bound to stop it' | मणिपुर हिंसा: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'भीड़ ने गुलामी का संदेश देने के लिए गैंगरेप जैसी घटना को अंजाम दिया है, राज्य इसे रोकने के लिए बाध्यकारी है'

फाइल फोटो

Highlightsसुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में महिलाओं पर हुए गंभीर अत्याचार पर नाराजगी व्यक्त कीवहां हिंसक भीड़ दूसरे समुदाय को गुलामी का संदेश देने के लिए यौन हिंसा का इस्तेमाल कर रही हैमहिलाओं को यौन अपराधों और हिंसा का शिकार बनाना पूरी तरह से अस्वीकार्य है

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में महिलाओं पर हुए गंभीर अत्याचार पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा है कि हिंसक भीड़ दूसरे समुदाय को गुलामी का संदेश देने के लिए यौन हिंसा का इस्तेमाल कर रही है और राज्य किसी भी तरह ऐसे अपराध को रोकने के लिए बाध्य है।

इसके साथ ही देश की सर्वोच्च अदालत ने अपने द्वारा गठित हाईकोर्ट के रिटायर जजों की तीन सदस्यीय समिति को आदेश दिया कि वो 4 मई से मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ हुई हिंसक सभी घटनाओं की गहनता से जांच करे। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि महिलाओं को यौन अपराधों और हिंसा का शिकार बनाना पूरी तरह से अस्वीकार्य है और यह  गरिमा, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और स्वायत्तता के संवैधानिक मूल्यों का गंभीर उल्लंघन है।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्र की बेंच ने कहा, "भीड़ आमतौर पर कई कारणों से महिलाओं के खिलाफ हिंसा का सहारा लेती है, जिसमें एक तथ्य यह भी है कि यदि वे किसी बड़े समुदाय से हैं तो वे अपराधों के लिए तय सजा से बच सकते हैं। सांप्रदायिक हिंसा के समय भीड़ गुलामी का संदेश भेजने के लिए यौन हिंसा करती है। संघर्ष के दौरान महिलाओं के खिलाफ इस तरह की हिंसा अत्याचार के अलावा और कुछ नहीं है। यह राज्य का परम कर्तव्य है कि वो इस तरह की हिंसा के खिलाफ प्रभावी कार्य करते हुए ऐसी घटनाओं पर रोक लगाये।''

कोर्ट ने कहा कि पुलिस के लिए जरूरी है कि वो आरोपी की यथाशीघ्र पहचान करें और उनकी गिरफ्तार करके जांच की प्रक्रिया को जल्द से जल्द समाप्त करने की दिशा में सहयोग करें। सीजेआई की पीठ ने आगे कहा, "ऐसे जल्द से जल्द किया जाना चाहिए ताकि आरोपी सबूतों के साथ छेड़छाड़ या उन्हें नष्ट न कर सकें। इसके अलावा आरोपी गवाहों को डराने और भागने का भी प्रयास कर सकते हैं।"

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सांप्रदायिक संघर्ष के कारण मणिपुर में केवल आवासीय संपत्ति बल्कि पूजा स्थलों को भी बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा है। इस कारण कोर्ट को बाध्य होकर अपना संवैधानिक दायित्व निभाने के लिए कदम उठाना पड़ रहा है।

इसके साथ कोर्ट ने कहा कि वो मणिपुर हिंसा में इस कारण से हस्तक्षेप कर रहे हैं कि ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। अदालत की ओर से जो भी उपाय किये गए हैं, जिससे उम्मीद है कि सभी समुदायों से समान रूप से व्यवहार किया जाएगा और सभी लोगों के साथ न्याय किया जाएगा, जो सांप्रदायिक हिंसा से प्रभावित हुए हैं।

हिंसा के पीड़ितों को समान रूप से राहत मिलनी चाहिए चाहे वे किसी भी समुदाय के हों। ठीक उसी तरह हिंसा के जिम्मेदार आरोपियों पर सख्त कार्रवाई हो, भले ही वो किस समुदाय के हों। 

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि मणिपुर में हिंसा रुके, अपराधियों को दंडित किया जाए और न्याय व्यवस्था को मजबूत करने के लिए हाईकोर्ट के तीन पूर्व जजों की समिति गठित की, जिसमें जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की पूर्व चीफ जस्टिस गीता मित्तल, बॉम्बे हाईकोर्ट की जज शालिनी फणसलकर जोशी और दिल्ली हाईकोर्ट की जज आशा मेनन को शामिल किया गया है।

मालूम हो किगुजरे 3 मई को मणिपुर में पहली बार जातीय हिंसा भड़की थी। उसके बाद से अब तक 160 से अधिक लोग मारे गए हैं और कई सौ घायल हुए हैं। यह हिंसा तब शुरू हुई, जब मणिपुर की बहुसंख्यक मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में कूकी समुदाय ने पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' का आयोजन किया था।

Web Title: Manipur violence: Supreme Court said, 'Mob has carried out gangrape-like incident to give message of slavery, state is bound to stop it'

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