सिंचाई घोटाला: बीजेपी के साथ आते ही अजित पवार को मिली राहत, सिंचाई घोटाला मामले में जांच हुई बंद
By रामदीप मिश्रा | Published: November 25, 2019 04:04 PM2019-11-25T16:04:25+5:302019-11-25T16:27:40+5:30
महाराष्ट्र सिंचाई घोटालाः राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री अजीत पवार के इस घोटाले में संलिप्त होने के सवाल पर एक अधिकारी ने कहा था किसी भी मामले में उनकी भूमिका अभी सामने नहीं आई है।
महाराष्ट्र में कथित करोड़ों रुपये के सिंचाई घोटाले के संबंध में अजित पवार के खिलाफ जांच बंद कर दी गई है। बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए बीजेपी के साथ आते ही पवार को राहत दी गई है। लगभग 70,000 करोड़ रुपये का यह घोटाला, पूर्ववर्ती कांग्रेस-एनसीपी के शासनकाल में महाराष्ट्र में विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं के अनुमोदन और निष्पादन में कथित भ्रष्टाचार और अनियमितताओं से संबंधित है।
एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है सोशल मीडिया पर प्रसारित होने वाले मामलों की सूची में, कोई भी मामला महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के खिलाफ कथित रूप से सिंचाई घोटाले से संबंधित नहीं है
एसीबी के सूत्रों का कहना है कि आज जो मामले बंद किए गए हैं वे सशर्त थे, यदि मामले में अधिक जानकारी प्रकाश में आती है या फिर अदालतें आगे की जांच का आदेश देती हैं दो जांच को दोबारा शुरू किया जा सकता है।
एसीबी के महानिदेशक परमबीर सिंह ने कहा कि हम सिंचाई संबंधी शिकायतों में लगभग 3000 टेंडरों की जांच कर रहे हैं। ये नियमित जांच थी, जिसे बंद किया गया है और सभी बाकी सभी जांचें जारी है।
Maharashtra Anti Corruption Bureau (ACB) DG, Parambir Singh to ANI: We are investigating around 3000 tenders in irrigation related complaints. These are routine inquiries which are closed and all ongoing investigations are continuing as they were earlier.
— ANI (@ANI) November 25, 2019
आपको बता दें कि महाराष्ट्र में सिंचाई घोटाले के संबंध में वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के एसीबी के सात प्रस्ताव राज्य जल संसाधन विभाग (डब्ल्यूआरडी) के प्रमुख सचिव के पास लंबित पड़े हैं। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत विदर्भ सिंचाई विकास निगम (वीआईडीसी) के अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव की मंजूरी की आवश्यकता है।
एसीबी नागपुर के पुलिस अधीक्षक, रश्मि नांदेडकर ने इसी महीने के शुरुआत में कहा था कि प्राथमिक दर्ज कराने की अनुमति मांगने संबंधित प्रस्ताव पिछले एक साल से जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव के पास लंबित है। इसलिए वीआईडीसी द्वारा आवंटित किए सात ठेके अभी तक पंजीकृत नहीं किए गए है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री अजीत पवार के इस घोटाले में संलिप्त होने के सवाल पर अधिकारी ने कहा था किसी भी मामले में उनकी भूमिका अभी सामने नहीं आई है। एसीबी नागपुर 17 सिंचाई परियोजनाओं के लिए वीआईडीसी द्वारा आवंटित 302 अनुबंधों की जांच कर रही है।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)