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महाराष्ट्र: प्रवासियों के सड़कों पर उतरने के मामले में फड़णवीस, उद्धव ठाकरे ने गृह मंत्री अमित शाह से की बात

By भाषा | Updated: April 15, 2020 05:05 IST

महाराष्ट्र के पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे ने इस प्रदर्शन के लिये केंद्र पर आरोप लगाया और इन कामगारों के पैतृक स्थान जाने के लिये एक विस्तृत रूपरेखा पेश किए जाने की मांग की।

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ठळक मुद्देमहाराष्ट्र सरकार के मंत्री और कांग्रेस नेता बालासाहब थोराट ने कहा कि भोजन के इंतजाम करने के बावजूद ये सभी महाराष्ट्र में नहीं रुकना चाहते थे।इस मामले को लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने गृह मंत्री अमित शाह से बात की।

मुंबईमुंबई में राष्ट्रव्यापी बंद के दौरान अपने घर जाने के लिये प्रवासी कामगारों द्वारा किये गए प्रदर्शन के बाद महाराष्ट्र में मंगलवार को सरकार और विपक्ष के बीच जुबानी जंग तेज हो गई। मुंबई में दिहाड़ी मजदूरी पर काम करने वाले सैकड़ों प्रवासी कामगार वापस अपने पैतृक स्थान पर भेजे जाने के लिये मंगलवार को परिवहन इंतजाम करने की मांग को लेकर सड़कों पर उतर गए। हाल ही में गुजरात के सूरत में भी प्रवासी कामगारों ने ऐसा प्रदर्शन किया था। इस मामले को लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने गृह मंत्री अमित शाह से बात की।

ठाकरे ने कहा कि वह कोरोना वायरस संकट को लेकर सभी दलों के नेताओं से चर्चा कर रहे हैं। उन्होंने कहा, '' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा (कुछ दिन पहले) मैंने आज गृह मंत्री अमित शाह से बात की। मैंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी बात की। राकांपा के अध्यक्ष शरद पवार और मनसे नेता राज ठाकरे भी हमारे साथ हैं।'' ठाकरे ने चेताया कि उनकी सरकार किसी को भी गरीब प्रवासी मजदूरों की भावना के साथ खिलवाड़ नहीं करने देगी। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस ने प्रवासियों के सड़क पर उतरने को लेकर शिवसेना नीत महाराष्ट्र सरकार पर निशाना साधते हुए इसे 'बेहद गंभीर' घटना करार दिया। उन्होंने कहा कि श्रमिकों के लिए भोजन का इंतजाम करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की थी लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

फडणवीस ने ट्वीट किया, '' बांद्रा में हजारों श्रमिकों का सड़क पर उतरना बेहद गंभीर घटना है। इस तस्वीर से मुझे तकलीफ पहुंची। बाहरी राज्यों से आए श्रमिकों के लिए इतंजाम करना राज्य की जिम्मेदारी है। राज्य सरकार को इस घटना से सबक लेना चाहिए ताकि दोबारा ऐसा नहीं हो। लेकिन यह दुर्भाग्य की बात है कि ऐसे हालात में बच निकलने के लिए (जिम्मेदारी से) केंद्र पर आरोप लगाए जा रहे हैं।'' दूसरी तरफ महाराष्ट्र के मंत्री और राकांपा के नेता नवाब मलिक ने कहा कि कथित तौर पर रेल का संचालन शुरू होने की अफवाह फैलने के बाद श्रमिक स्टेशन के बाहर एकत्र हुए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे केंद्र से मांग कर रहे थे कि प्रवासी मजदूरों को उनके पैतृक स्थानों पर जाने के उचित इंतजाम किए जाएं लेकिन केंद्र ने इसकी इजाजत नहीं दी। प्रधानमंत्री की बंद की अवधि बढ़ाकर तीन मई किये जाने की घोषणा के बाद पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों से आने वाले करीब एक हजार कामगार बांद्रा रेलवे स्टेशन के पास एक बस डिपो पर प्रदर्शन करने लगे।

महाराष्ट्र के पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे ने इस प्रदर्शन के लिये केंद्र पर आरोप लगाया और इन कामगारों के पैतृक स्थान जाने के लिये एक विस्तृत रूपरेखा पेश किए जाने की मांग की। ठाकरे ने ट्वीट कर कहा, “बांद्रा में मौजूदा स्थिति जिसे अब सुलझा लिया गया या सूरत में हुआ उपद्रव केंद्र सरकार द्वारा इन प्रवासी कामगारों को वापस उनके गृह स्थान भेजे जाने के बारे में कोई फैसला नहीं ले पाने का नतीजा है।” गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि प्रवासी कामगारों को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री राज्यों की सीमाओं को फिर से खोलेंगे।

देशमुख ने कहा कि प्रवासी कामगारों को आश्वासन दिया गया कि राज्य सरकार उनके खाने और रहने का इंतजाम करेगी जिसके बाद वे वापस चले गए। महाराष्ट्र सरकार के मंत्री और कांग्रेस नेता बालासाहब थोराट ने कहा कि राज्य सरकार श्रमिकों के लिए भोजन संबंधित इंतजाम कर रही थी लेकिन ये सभी महाराष्ट्र में नहीं रुकना चाहते थे। थोराट ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन के विस्तार की घोषणा तो की लेकिन आम आदमी से जुड़े मुद्दों का जवाब नहीं दिया।

उन्होंने केंद्र सरकार पर राज्य सरकार को कोरोना वायरस से निपटने के लिए पर्याप्त संख्या में व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई किट) और अन्य चिकित्सा उपकरण मुहैया नहीं कराने का आरोप लगाया। भाजपा नेता और पूर्व मंत्री आशीष शेलार ने कहा कि यह प्रदर्शन बंद का लागू कराने में शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस सरकार की विफलता को दर्शाता है। शेलार ने कहा कि यह सभी कामगार बांद्रा (ईस्ट), बांद्रा (वेस्ट), खार और आसपास के अन्य इलाकों के थे। “बंद की स्थिति के दौरान वे प्रदर्शन स्थल पर कैसे पहुंचे? सरकार को लोगों के इकट्ठा होने के बारे में कोई खुफिया सूचना क्यों नहीं थी। यह सरकार की विफलता दर्शाता है। ”

उन्होंने कहा कि बंद को सफल बनाना चाहिए क्योंकि यह लोगों की सुरक्षा से जुड़ा है, जिन्हें खाना और दूसरे जरूरी सामान उनके घरों तक पहुंचाये जाने चाहिए। अतिरिक्त पुलिस आयुक्त मनोज शर्मा ने कहा, “ये सभी स्थानीय नागरिक थे। बड़ी संख्या में लोग इस इलाके (बांद्रा) में रहते हैं, अभी कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई है।” भाजपा नेता किरीट सोमैया ने भी प्रदर्शन को लेकर सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “यह बेहद गंभीर मामला है। उद्धव ठाकरे सरकार कोरोना वायरस महामारी से निपटने में विफल रही है।”

उन्होंने कहा कि सरकार को जरूरी सामान के वितरण के लिए समुचित व्यवस्था करनी चाहिए। सोमैया ने कहा, “उम्मीद है कि ठाकरे सरकार इस मामले को गंभीरता से लेते हुए आंख खोलने वाला मानेगी।” सोमैया पर पलटवार करते हुए महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत ने ट्वीट किया, '' क्या ऐसा ही हमें सूरत और दिल्ली के लिए भी कहना चाहिए। प्रवासियों की समस्या को सहानुभूति के साथ समझा जाना चाहिए जोकि भाजपा के पास नहीं है।'' स्थानीय कांग्रेसी विधायक जीशान सिद्दिकी ने कहा कि यह स्थिति तब बनी जब लोगों को बंद की अवधि बढ़ाए जाने के बारे में पता चला।

उन्होंने कहा, “यह सरकार की विफलता नहीं है, हम शुरू से ही स्थिति पर नजर रखे हुए हैं…।” बांद्रा पुलिस थाने के एक अधिकारी ने कहा कि जब कामगार शुरू में मौके पर जुटे थे तो पुलिसवालों ने उन्हें खाने के पैकेट बांटे थे। उन्होंने कहा, “लेकिन कुछ समय बाद उनकी संख्या बढ़ गई और वे खाने के पैकेट छीनने लगे, सबकुछ नियंत्रण में है, भीड़ को वहां से हटा दिया गया।”  

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