महाराष्ट्र: अमरावती में अल्पसंख्यकों की दुकानें जलाई गईं, भारी संख्या में जुटे थे हिंदूवादी संगठन, 60 गिरफ्तार
By विशाल कुमार | Published: November 15, 2021 08:05 AM2021-11-15T08:05:49+5:302021-11-15T08:10:03+5:30
अमरावती पुलिस अधिकारियों ने बताया कि हिंसाग्रस्त कोतवाली इलाके में भाजपा, बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के कार्यकर्ता पुलिस से भी अधिक संख्या में जुट गए थे.
अमरावती: त्रिपुरा में हिंसा के विरोध महाराष्ट्र के अमरावती में शुक्रवार को निकाली गई रैली में हिंसा के विरोध में शनिवार को भाजपा द्वारा बुलाए गए बंद में मुस्लिम समुदाय की दुकानों में आगजनी और तोड़फोड़ की गई.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों ने बताया कि हिंसाग्रस्त कोतवाली इलाके में भाजपा, बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के कार्यकर्ता पुलिस से भी अधिक संख्या में जुट गए थे.
एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि वे राजकमल चौक पर एकत्र हुए. इस भीड़ का एक वर्ग हिंसक हो गया, दो दुकानों को जला दिया, कुछ अन्य दुकानों को क्षतिग्रस्त कर दिया, वाहनों को जला दिया. लगभग सभी पीड़ित अल्पसंख्यक समुदाय से हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि शुक्रवार को हुई हिंसा के प्रतिशोध में अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ सदस्यों द्वारा हिंसा की योजना एक दिन पहले ही बना ली गई थी.
इनमें से एक दुकान के बाहर खड़ी दो दुकानों और तीन दोपहिया वाहनों को जला दिया गया. एक अन्य दुकान को नुकसान पहुंचा और दुकान मालिक का वाहन भी जल गया. दो धार्मिक स्थलों को भी नुकसान पहुंचा है.
दरअसल, शुक्रवार को त्रिपुरा में मुस्लिम विरोधी हिंसा के खिलाफ एक मुस्लिम संगठन रजा अकादमी द्वारा बुलाया गया एक विशाल विरोध मार्च कोतवाली क्षेत्र से गुजरा था और स्थानीय भाजपा नेता प्रवीण पोटे के घर पर पत्थर फेंके गए थे, एक खिड़की तोड़ दी थी. कहीं और पथराव में एक व्यक्ति घायल हो गया. पुलिस के अनुमान के मुताबिक, इस विरोध प्रदर्शन में करीब 25,000 लोगों ने हिस्सा लिया था.
जवाब में भाजपा ने शनिवार के बंद का आह्वान किया और स्थानीय पुलिस के अनुमानों के अनुसार, पार्टी और अन्य सहयोगी संगठनों के लगभग 6,000 कार्यकर्ता बंद में शामिल हुए और इसके बाद हिंसा भड़क उठी. पोटे को एक वीडियो में भाजपा कार्यकर्ताओं से राजकमल चौक पर इकट्ठा होने का आग्रह करते हुए देखा गया था. उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि हिंसा नहीं होनी चाहिए.
कुल मिलाकर, पुलिस ने शहर के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में 26 प्राथमिकी दर्ज की हैं, जिनमें से 15 शनिवार की हिंसा के लिए और 11 शुक्रवार की घटनाओं के लिए दर्ज की गई हैं और 60 लोगों को गिरफ्तार किया है.
शहर में चार दिन के लिए कर्फ्यू लगाया दिया गया है और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं.
शुक्रवार को अमरावती के साथ ही नांदेड़ और मालेगांव में भी हिंसा की घटनाएं सामने आई थीं. नांदेड़ में हिंसक भीड़ ने कई दुकानों में तोड़फोड़ की और भारी पथराव किया, जिसमें 2 पुलिसकर्मी घायल हो गए. प्रदर्शन के दौरान सरकारी वाहनों को नुकसान पहुंचाया गया. मालेगांव में भी काफी उतपात मचा. हिंसक भीड़ को काबू में करने के लिए पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा.
बता दें कि, बांग्लादेश में दुर्गा पूजा पांडालों और अल्पसंख्यओं पर हुई हिंसा के विरोध में पिछले दो हफ्तों से त्रिपुरा में हिंदूवादी संगठन विरोध प्रदर्शन और रैलियां निकाल रहे हैं. इस दौरान अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों में तोड़फोड़ और आगजनी भी हुई.
हालांकि, पुलिस ने इससे इनकार करते हुए ऐसा दावा करने वाले कम से कम 102 सोशल मीडिया अकाउंट और यूजरों पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज कर लिया है और सख्त कार्रवाई की बात कही है.