महाकुंभ नगरः उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में भगदड़ मच गई। इस हादसे में 10 श्रद्धालुओं की मौत की खबर है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ट्वीट किया, "प्रयागराज महाकुंभ में भगदड़ की घटना अत्यंत दुखद है। मैं घायल श्रद्धालुओं के परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करती हूं और ईश्वर से प्रार्थना करती हूं कि सभी घायल श्रद्धालु शीघ्र स्वस्थ हों।" मौनी अमावस्या के अवसर पर प्रयागराज महाकुंभ के संगम क्षेत्र में बुधवार तड़के पवित्र स्नान करने बड़ी संख्या में पहुंचे तीर्थयात्रियों के बीच भगदड़ मचने से कई लोग हताहत हुए। उत्तर प्रदेश सरकार ने भगदड़ में मरने वालों की संख्या के बारे में बिल्कुल चुप्पी साध रखी है, वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस ‘हादसे’ को ‘अत्यंत दुखद’ करार दिया और इसमें अपने परिजनों को खोने वाले श्रद्धालुओं के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की।
हादसे के मद्देनजर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से चार बार बात करने के बाद मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘प्रयागराज महाकुंभ में हुआ हादसा अत्यंत दुखद है। इसमें जिन श्रद्धालुओं ने अपने परिजनों को खोया है, उनके प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं। इसके साथ ही मैं सभी घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं।’’
उन्होंने कहा कि स्थानीय प्रशासन पीड़ितों की हरसंभव मदद में जुटा हुआ है और इस सिलसिले में उनकी मुख्यमंत्री योगी से बातचीत हुई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह लगातार राज्य सरकार के संपर्क में हैं। कुंभ मेला SSP राजेश द्विवेदी ने कहा, "कोई भगदड़ नहीं हुई, अत्यधिक भीड़भाड़ थी जिसके कारण कुछ श्रद्धालु घायल हो गए... किसी भी अफवाह पर ध्यान न दें।
मेरी श्रद्धालुओं से अपील है कि जो घाट उनके लिए खुले हैं, वहां आराम से स्नान करें। अमृत स्नान जल्द ही शुरू होने वाला है और यह शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न होगा...कई घाट विकसित किए गए हैं और लोग सुगमता से वहां स्नान कर रहे हैं..." मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान के बाद पंचायती निरंजनी अखाड़े के दिगंबर नागा बाबा चिदानंद पुरी ने कहा, "...आज एक आक्समिक घटना के कारण हमारी (अखाड़ों की) शोभा यात्रा नहीं निकाली जा सकी। अब हम कम संख्या में पवित्र डुबकी लगाने आ रहे हैं।"
महाकुंभ के DIG वैभव कृष्ण ने कहा, "अमृत स्नान शुरू होने वाला है। जो परंपरागत क्रम है उस तरह से यह होगा... पुलिस और प्रशासन सभी अखाड़ों को उनके परंपरागत क्रम में जाने में मदद करेगा... स्थिति नियंत्रण में है। हम आज सुबह की घटना के कारणों की जांच कर रहे हैं। यह लोगों की भारी भीड़ के कारण हुआ। 10 करोड़ से अधिक लोगों के पहुंचने की उम्मीद है।"
उत्तराखंड सरकार ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ में भाग लेने वाले अपने नागरिकों की सहायता के लिए टोल-फ्री नंबर जारी किए हैं। राज्य से महाकुंभ के लिए प्रयागराज आने वाले लोग टोल-फ्री नंबरों - 1070, 8218867005, 9058441404 पर कॉल करके किसी भी तरह की सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भगदड़ के बाद स्थिति की समीक्षा के लिए लखनऊ में मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक समेत अनेक वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक करने के बाद संवाददाताओं से कहा कि हादसे में कुछ श्रद्धालु ‘गंभीर रूप से घायल’ हुए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हादसे के बाद प्रात:काल से ही प्रधानमंत्री मोदी ने लगभग चार बार हाल-चाल लिया है।
उन्होंने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जे पी नड्डा और राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने भी हादसे के संबंध में जानकारी ली है। उन्होंने कहा, ‘‘रात में एक से दो बजे के बीच अखाड़ा मार्ग पर, जहां से अमृत स्नान की दृष्टि से बैरिकेड्स लगाए गए थे, उनको फांदकर आने में कुछ श्रद्धालु गंभीर रूप से घायल हुए हैं।
उन्हें तत्काल अस्पताल पहुंचाकर उपचार की व्यवस्था की गई है। उनमें से कुछ श्रद्धालु गंभीर रूप से घायल हैं।’’ घटना के बाद संगम की ओर जा रही एंबुलेंस और पुलिस वाहनों के तेज सायरन की आवाज कुंभ मेला क्षेत्र में लाउडस्पीकरों से गूंज रहे मंत्रों और श्लोकों के निरंतर उच्चारण को भेद रही थी।
अधिकारियों ने बताया कि घायलों को मेला क्षेत्र में स्थापित केंद्रीय अस्पताल ले जाया गया है, जहां उनका इलाज जारी है। घायलों के कई रिश्तेदार भी वहां पहुंचे हैं। सुरक्षाकर्मी और बचावकर्मी कई घायलों को स्ट्रेचर पर ले जाते देखे गए। घटनास्थल पर कंबल और बैग समेत लोगों का सामान भी इधर-उधर बिखरा नजर आया।
अखाड़ों द्वारा मौनी अमावस्या का अमृत स्नान किए जाने के बारे में मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘अखाड़ा परिषद से जुड़े हुए पदाधिकारियों के साथ मैंने खुद भी बातचीत की है। आचार्य, महामंडलेश्वरों और पूज्य संतों के साथ भी बातचीत हुई है और उन्होंने बड़ी ही विनम्रता के साथ इस बात को कहा है कि श्रद्धालु जन पहले स्नान करेंगे और फिर जब उनका दबाव कुछ कम होगा और वे सकुशल वहां से निकल जाएंगे तब हम लोग स्नान करने के लिए संगम की तरफ जाएंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आज सुबह साढ़े आठ तक लगभग तीन करोड़ श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं और यह लगातार जारी है।
लेकिन संगम नोज, अखाड़ा मार्ग और नाग वासुकी मार्ग पर लगातार दबाव बना हुआ है।’’ उन्होंने सभी श्रद्धालुओं से अपील की कि वे ‘अफवाहों’ पर ध्यान ना दें और संयम से काम लें। उन्होंने स्नानार्थियों से अपील करते हुए कहा, ‘‘लगभग 15 से 20 किलोमीटर के दायरे में अस्थाई घाट बनाए गए हैं। आप जहां पर हैं, उसमें कहीं भी स्नान कर सकते हैं।
आवश्यक नहीं है कि संगम नोज की तरफ ही आएं। भीड़ को देखते हुए खास तौर पर जो बुजुर्ग हैं, बच्चे हैं, सांस के रोगी है उनको लंबी दूरी तय नहीं करनी चाहिए और जो नजदीक के घाट हैं वहीं पर स्नान करें। सब गंगा जी के घाट हैं और गंगा जी के उस भाग में भी वही पुण्य प्राप्त होगा।’’ मेला विशेष कार्य अधिकारी आकांक्षा राणा ने पहले कहा था, ‘‘संगम में बैरियर टूटने के बाद कुछ लोग घायल हो गए हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हमें अभी तक घायलों की सही संख्या नहीं पता है।’’ कर्नाटक की एक श्रद्धालु सरोजिनी ने कहा, ‘‘हम दो बसों में 60 लोग आए थे।
अचानक भीड़ में धक्का-मुक्की होने लगी और हम फंस गए। हममें से बहुत से लोग गिर गए और भीड़ बेकाबू हो गई।’’ महिला ने बताया, ‘‘भागने का कोई मौका नहीं था, हर तरफ से धक्का-मुक्की हो रही थी।’’ मध्य प्रदेश के छतरपुर से आये एक व्यक्ति ने बताया कि उसकी मां घायल हो गई और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है जबकि मेघालय से आया एक अधेड़ दंपत्ति पत्रकारों को भगदड़ में फंसने के अपने भयावह अनुभव के बारे में बता रहा था। भगदड़ में घायल हुए अपने बच्चों का इलाज कराने अस्पताल पहुंची एक महिला ने अपनी आपबीती सुनाते हुए दावा किया, ‘‘जाने के लिए कोई जगह नहीं थी।
कुछ लोग हमें धक्का दे रहे थे और हंस रहे थे, जबकि हम उनसे बच्चों के प्रति दया की भीख मांग रहे थे।’’ अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के प्रमुख महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि महाकुंभ के दौरान संगम घाट पर ‘भीड़’ के कारण सभी अखाड़ों के पारंपरिक स्नान अनुष्ठान को स्थगित कर दिया गया है। हालांकि पुरी ने भगदड़ का जिक्र नहीं किया।
उन्होंने कहा, ‘‘हम देख रहे हैं कि अब भीड़ कम हो रही है और हम मेला प्रशासन के साथ बातचीत कर रहे हैं।’’ पुरी ने कहा, ‘‘अगर भीड़ कम हो रही है, तो हम स्नान करना चाहेंगे।’’ पुरी ने कहा कि वह संतों के पारंपरिक अखाड़ा स्नान अनुष्ठानों को आगे बढ़ाने के लिए मेला प्रशासन से मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं।
कुंभ मेले की परंपरा के अनुसार, तीन संप्रदायों ‘संन्यासी, बैरागी और उदासीन’ से संबंधित अखाड़े संगम घाट पर एक भव्य, विस्मयकारी जुलूस के बाद एक निर्धारित क्रम में पवित्र डुबकी लगाते हैं। हिंदू धर्म में गंगा यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम को अत्यंत पवित्र माना जाता है।
ऐसी मान्यता है कि महाकुंभ के दौरान और विशेष रूप से मौनी अमावस्या जैसी विशेष स्नान तिथियों पर इसमें डुबकी लगाने से लोगों के पाप धुल जाते हैं और उन्हें ‘मोक्ष’ की प्राप्ति होती है। तीर्थयात्रियों की अनुमानित आमद को देखते हुए मेला अधिकारियों ने मंगलवार को एक परामर्श जारी किया था, जिसमें भक्तों से सुरक्षा और सुविधा के लिए भीड़-प्रबंधन दिशानिर्देशों का पालन करने का आग्रह किया गया था।
तीर्थयात्रियों से संगम घाट तक पहुंचने के लिए निर्धारित लेन का उपयोग करने, स्नान क्षेत्र में पहुंचने के दौरान अपनी लेन में रहने और पवित्र स्नान के बाद घाटों पर देर तक न रुकने के लिए कहा गया था। उन्हें सुचारू आवागमन सुनिश्चित करने के लिए तुरंत पार्किंग क्षेत्रों या अपने गंतव्यों पर जाने के लिए कहा गया था।
प्रशासन ने इस बात पर जोर दिया था कि ‘संगम के सभी घाट समान रूप से पवित्र हैं’। हर 12 वर्ष पर आयोजित होने वाला महाकुंभ 13 जनवरी को शुरू हुआ और 26 फरवरी तक जारी रहेगा। मेले की मेजबानी कर रही उत्तर प्रदेश सरकार को उम्मीद है कि दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक समागम में कुल 40 करोड़ तीर्थयात्री आएंगे।