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ईडी कोई "ड्रोन" नहीं, अपनी इच्छा से हमला कर दे और न ही "सुपर कॉप", संज्ञान में आने वाली हर चीज की जांच करे, आखिर क्यों मद्रास उच्च न्यायालय ने कहा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 20, 2025 16:17 IST

ईडी ने छत्तीसगढ़ में एक बिजली संयंत्र के लिए कोयला ब्लॉक आवंटन को लेकर 2014 में सीबीआई द्वारा दर्ज की गई एक प्राथमिकी के आधार पर यह कार्रवाई की थी।

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ठळक मुद्देकोयला ब्लॉक आवंटन में कोई अनियमितता नहीं मिली। क्लोजर रिपोर्ट से सहमत नहीं थी और कुछ पहलुओं पर विस्तृत जांच चाहती थी। ईडी ने आरकेएमपी से जुड़े निदेशकों और होल्डिंग कंपनियों के परिसरों की तलाशी ली।

चेन्नईः मद्रास उच्च न्यायालय ने कहा है कि ईडी कोई "ड्रोन" नहीं है जो अपनी इच्छा से हमला कर दे और न ही वह कोई "सुपर कॉप" है जो उसके संज्ञान में आने वाली हर चीज की जांच करे। ‘सुपर कॉप’ से आशय एक अत्यधिक दक्ष और सफल पुलिस अधिकारी से है। न्यायमूर्ति एम. एस. रमेश और न्यायमूर्ति वी. लक्ष्मीनारायणन की खंडपीठ ने शहर में स्थित आरकेएम पॉवरजेन प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। आरकेएम ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दर्ज मामले में उसकी 901 करोड़ रुपये की सावधि जमा जब्त करने को चुनौती दी है। ईडी ने छत्तीसगढ़ में एक बिजली संयंत्र के लिए कोयला ब्लॉक आवंटन को लेकर 2014 में सीबीआई द्वारा दर्ज की गई एक प्राथमिकी के आधार पर यह कार्रवाई की थी।

एजेंसी ने 2017 में एक क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी जिसमें कहा गया था कि उसे कोयला ब्लॉक आवंटन में कोई अनियमितता नहीं मिली। सीबीआई अदालत क्लोजर रिपोर्ट से सहमत नहीं थी और कुछ पहलुओं पर विस्तृत जांच चाहती थी। साल 2023 में, सीबीआई ने एक पूरक अंतिम रिपोर्ट दायर की, जिसमें पाया गया कि भारतीय दंड सहिंता (आईपीसी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत अभियोजन के लिए पर्याप्त सबूत मौजूद हैं। बाद में, ईडी ने आरकेएमपी से जुड़े निदेशकों और होल्डिंग कंपनियों के परिसरों की तलाशी ली।

31 जनवरी, 2025 को एक जब्ती आदेश पारित किया गया, जिसके तहत ईडी ने 901 करोड़ रुपये की सावधि जमा राशि को जब्त कर लिया। कंपनी ने उक्त आदेश को चुनौती दी और अदालत ने उसे रद्द कर दिया। पीठ ने कहा कि पीएमएलए की धारा 66(2) का सावधानीपूर्वक अध्ययन करने से पता चलता है कि यदि जांच के दौरान ईडी को कानून के अन्य प्रावधानों के उल्लंघन का पता चलता है, तो वह उन अपराधों की जांच नहीं कर सकता। अदालत ने कहा कि ईडी को उचित एजेंसी को सूचित करना होता है, जिसे उस अपराध की जांच करने का कानूनी अधिकार हो।

पीठ ने कहा कि अगर वह एजेंसी, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से सूचना मिलने पर, जांच शुरू करती है और शिकायत दर्ज करती है, तो निश्चित रूप से प्रवर्तन निदेशालय उन पहलुओं की भी जांच कर सकता है, बशर्ते कि "अपराध से आय अर्जित हुई" हो। पीठ ने कहा, "यदि जांच एजेंसी को ईडी द्वारा बताए गए पहलुओं के संबंध में कोई मामला नहीं मिलता है, तो ईडी स्वतः संज्ञान लेकर जांच को आगे नहीं बढ़ा सकता।

पीठ ने कहा, “ईडी किसी भी आपराधिक गतिविधि पर अपनी इच्छानुसार हमला करने वाला कोई ड्रोन नहीं है।" पीठ ने कहा कि दस्तावेजों के अवलोकन से पता चलता है कि उपरोक्त किसी भी कथित आपराधिक गतिविधि के संबंध में कोई शिकायत दर्ज नहीं की गई थी। पीठ ने कहा, “ईडी कोई ‘सुपर कॉप’ नहीं है जो उसके संज्ञान में आने वाली हर चीज की जांच करे।”

टॅग्स :Madras High Courtप्रवर्तन निदेशालयenforcement directorate
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