चेन्नई, नौ नवंबर मद्रास उच्च न्यायालय ने मंगलवार को ग्रेटर चेन्नई नगर निगम को शहर में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के कारण बने बाढ़ के हालात को लेकर कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि साल की पहली छमाही में नागरिक ''पानी के लिए रोते हैं'' और बाद की छमाही में ''पानी के कारण'' (बाढ़ में) मर जाते हैं।
मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी और न्यायमूर्ति पी डी औदिकेसवालु की पीठ ने आज एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा, '' आधे साल हम पानी के लिए रोने को मजबूर होते हैं (पेयजल की कमी के कारण) और बाकी आधे साल हम पानी में मरने के लिए मजबूर होते हैं।''
पीठ हाल में हुई बारिश के दौरान शहर में बाढ़ को रोकने के प्रयासों में नगर निगम की विफलताओं को रेखांकित कर रही थी।
पीठ ने कहा, '' वर्ष 2015 की बाढ़ के बाद पिछले पांच वर्षों से अधिकारी क्या कर रहे थे?''
अदालत ने अधिकारियों को चेतावनी दी कि अगर एक सप्ताह के भीतर स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो वह (अवमानना) कार्यवाही शुरू करने में संकोच नहीं करेगी।
जनहित याचिका सड़कों पर अतिक्रमण के खिलाफ और उसे हटाने के अनुरोध को लेकर थी।
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